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आरजीपीवी में दो करोड़ रुपए से ज्यादा की आर्थिक अनियमितताओं के आरोपियों को किस का संरक्षण?

आरोपी कुलपति डॉ. सुनील कुमार और रजिस्ट्रार डॉ. आरएस राजपूत को कौन बचा रहा है?

भोपाल – भोपाल स्थित राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) के कुलपति डॉ. सुनील कुमार और रजिस्ट्रार डॉ. आरएस राजपूत पर 10 माह पहले दो करोड़ रुपए से ज्यादा की आर्थिक अनियमितताओं के आरोपों की जांच हुई थी। रिपोर्ट में आरोपों की पुष्टि के बावजूद राज्य शासन स्तर से दोनों के संबंध में अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है।

शिकायत में वीसी और रजिस्ट्रार पर आरोप लगे कि इंटीग्रेटेड यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट सिस्टम, हॉस्टलर्स की भोजन व्यवस्था, कम्प्यूटर खरीदी, ऑनलाइन परीक्षा, लाइब्रेरी की फर्नीचर खरीदी, स्मार्ट क्लास रूम बनाने आदि को लेकर आर्थिक अनियमितता की गई हैं। आरोपों की जांच तकनीकी शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक डॉ. मोहन सेन, डॉ. पीके झींगे और जितेंद्र सिंह ने की। जून 2022 में आई रिपोर्ट में अलग-अलग मामले में लिखा कि नियमों का पालन नहीं हुआ। पारदर्शिता नहीं अपनाई गई।

डेस्कटॉप खरीदी के लिए जेम पोर्टल से 60 कम्प्यूटर खरीदी का निर्णय कार्यपरिषद में लिया गया। इसके आधार पर 55 कम्प्यूटर 83 हजार 350 रुपए प्रति नग की दर पर दो अलग-अलग ऑर्डर जारी हुए। रजिस्टर में जिस दिन की एंट्री है, उस दिन ये सामान वहां पहुंचा ही नहीं था। जांच कमेटी ने लिखा कि यह स्थिति वित्तीय नियमों के अनुरूप प्रतीत नहीं होती है। सामग्री भौतिक रूप से प्राप्त होने पर ही स्टाक रजिस्ट्रार में एंट्री होनी चाहिए थी।

अंतर विवि महासंघ का गठन न होने के बाद भी इंटीग्रेटेड यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट सिस्टम (आईयूएमएस) से कार्य कराने का आरोप लगा। जांच कमेटी ने लिखा कि रिकॉर्ड में दिसंबर 2019 को हुई समन्वय समिति की बैठक में यह कार्य आरजीपीवी को सौंपे जाने का उल्लेख नहीं है। बैठक की कार्यवाही का विवरण भी नहीं है। प्रति कार्य दिवस 5 हजार की दर पर आईटी कंसल्टेंट को रखने में पारदर्शिता नहीं दिखी।

लाइब्रेरी के लिए फर्नीचर खरीदी के लिए 5 लाख के बजट का प्रावधान था। कुलपति ने पहले 50 रैक का और फिर 200 रैक खरीदने का अनुमोदन दिया। खरीदी के लिए 31.99 लाख रुपए के 7 आदेश जेम को दिए। हर आदेश 5 लाख रुपए से कम का। जांच कमेटी ने रिपोर्ट में लिखा है कि सक्षम स्वीकृति से बचने के लिए टुकड़ों में खरीदी की जाना गंभीर अनियमितता है। वहीं ऑनलाइन परीक्षा के लिए बगैर टेंडर/चयन प्रक्रिया के व्यक्तियों को रखा गया।

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