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कर्नाटक में कांग्रेस को 137 सीटें मिलने की संभावना, तो भाजपा 66 पर सिमटेगी

कर्नाटक में अपने ही जाल में फंसी भाजपा…मोदी पर भारी पड़ रही प्रियंका

बेंगलुरु – कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा अपने बुने गए जाल में पूरी तरह फंस गई है। यह जाल है नंदनी दूध का अमूल दूध में विलय की घोषणा का। भाजपा की इस घोषणा को वहां के लोगों ने कन्नड़ अस्मिता से जोड़ लिया है। इसका परिणाम यह हुआ है कि वहां के मतदताओं ने भाजपा से मुंह मोड़ लिया है।
इसको देखते हुए भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बजरंग बली का सहारा लेना शुरू कर दिया है, लेकिन उनका यह दांव भी फेल होता दिख रहा है। उधर, प्रियंका गांधी ने कांग्रेस के पक्ष में जबरदस्त माहौल बनाया है। जिससे कांग्रेस की जीत की संभावना बढ़ गई है। ईएमएस द्वारा कराए गए सर्वे में कांग्रेस राज्य में 137 सीटें जीत रही है, वहीं भाजपा 66 पर सिमट रही है। जबकि जद को 17 और अन्य को 4 सीटें मिलने की संभावना है। कर्नाटक विधानसभा का चुनाव बड़े रोचक मोड़ पर पहुंच गया है। 10 मई को मतदान होना है। 13 मई को चुनाव परिणाम घोषित होंगे। कर्नाटक के चुनाव प्रचार में इस बार मतदाताओं की बल्ले-बल्ले है। सभी राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। लोकलुभावन घोषणाएं हुई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृह मंत्री अमित शाह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित आधा दर्जन से ज्यादा भाजपा के मुख्यमंत्री दो दर्जन से ज्यादा केंद्रीय मंत्री और उनके स्टार प्रचारक पिछले कई महीनों से कर्नाटक विधानसभा के चुनाव प्रचार में लगे हुए थे। पिछले 1 हफ्ते से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने कर्नाटक में मोर्चा जमा कर रखा हुआ है। चुनाव प्रचार के दौरान सांप और बजरंग बली कर्नाटक के चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका में आए।

नंदनी दूध और अमूल दूध भी चुनाव प्रचार में अपनी रंगत जमाई, कर्नाटक के मतदाताओं को पहली बार एहसास हुआ कि वह कितने महत्वपूर्ण हैं।
 कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से सबसे असरकारी भूमिका प्रियंका गांधी वाड्रा ने निभाई। उन्होंने अपनी दादी इंदिरा गांधी की यादें कर्नाटक के चुनाव में ताजा कर दी। कर्नाटक में इंदिरा गांधी की बड़ी लोकप्रियता है। उन्होंने जिस आक्रमक शैली से भाजपा के नेताओं और भाजपा पर हमला किया। कांग्रेस के पक्ष में उन्होंने एक ऐसी हवा बनाई,उसने बड़े-बड़े युद्ध वीरों की हवा निकाल दी। कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में इंदिरा गांधी सोनिया गांधी  राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने कर्नाटक के हर वर्ग के मतदाताओं को प्रभावित करने में  अहम भूमिका निभाई है। जिसके कारण कर्नाटक विधानसभा के चुनाव परिणाम बड़े आश्चर्यजनक होने जा रहे हैं।कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में सबसे ज्यादा असर मतदाताओं पर 40 फीसदी कमीशन खोरी का पड़ा। उसके बाद नंदिनी दूध का अमूल दूध   मे विलय करने वाले बयान के बाद, कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कन्नड़ अस्मिता और गुजराती मॉडल का, मतदाताओं पर बड़ा असर पड़ा। रही सही कसर कर्नाटक में पहली बार भाजपा के वरिष्ठ नेताओं बगावत के रूप में देखने को मिला।उसके बाद कर्नाटक विधानसभा चुनाव की फिजा बड़ी तेजी से बदलती हुई चली गई।

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