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टेस्ट के लिए डिस्पोजल में यूरिन लेकर पहुंचीं ‘दुल्हनें’:मंडप में बताया आप प्रेग्नेंट हैं, कन्यादान योजना की हकदार नहीं, वापस जाइए

अफसरों ने तर्क दिया सिकल सेल एनीमिया की जांच कराई गई थी,

भोपाल/ डिंडौरी – डिंडोरी में प्रेगनेंसी टेस्ट के नाम पर दुल्हनों को किस तरह शर्मसार होना पड़ा दैनिक भास्कर की इस रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है….

मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में डिंडौरी जिले में ‘दूल्हनों’ का प्रेग्नेंसी टेस्ट कराए जाने का विवाद तूल पकड़ता जा रहा है। अफसर भले ही तर्क दे रहे हैं कि विवाह से पहले सिकल सेल एनीमिया की जांच कराई गई थी, लेकिन महिलाओं ने ये कहकर उनकी नीयत पर सवाल खड़े कर दिए हैं कि यूरिन से कैसे सिकल सेल की जांच होती है? एनिमिया की जांच के लिए तो खून का ही सैंपल लिया जाता है। फिर कन्यादान योजना में शादी के लिए यूरिन से कौन सी जांच हो की गई। यूरिन से तो प्रेग्नेंसी की जांच की जाती है। इतना ही नहीं प्रेग्नेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव मिलने पर इन दुल्हनों को उस समय इस बात की जानकारी भी नहीं दी गई। विवाह की तय तारीख पर जब वे मंडप में पहुंचीं, तो उन्हें बताया गया कि आप प्रेग्नेंट हैं, इसलिए मुख्यमंत्री कन्यादान विवाह योजना के तहत आपका विवाह नहीं हो सकता। सिकल सेल एनीमिया खून की कमी से संबंधित एक बीमारी है।

सरपंच बोली-मुझे ऐसे सिस्टम पर शर्म आती है

बच्छरगांव पंचायत की जिन 6 लड़कियों का प्रेग्नेंसी टेस्ट हुआ। वहां की सरपंच मेदनी मरावी कहती हैं कि मुझे शर्म आती है ऐसे सिस्टम पर। मुझे बताया गया लड़कियों से फॉर्म भरवाने के बाद स्वास्थ्य जांच के लिए उनसे डिस्पोजल में यूरिन के सैंपल मांगे गए, जो अफसर ये कह रहे हैं कि एनीमिया और सिकल सेल की जांच करा रहे थे, वे ये क्यों नहीं बताते कि यूरिन से कैसे इसकी जांच हो सकती है। किसके कहने पर लड़कियों के यूरिन सैंपल लिए गए? उनकी मर्यादा भंग की गई। जिन लड़कियों को भरे मंडप में ये बताया गया कि वे प्रेग्नेंट हैं, उनके अपमान का हक इन्हें किसने दिया?

दैनिक भास्कर ने सरपंच मेदनी को बताया कि अफसर ये कह रहे हैं कि जिनके आवेदन खारिज किए गए, वे शादीशुदा थीं। इस पर सरपंच ने कहा कि ये बिल्कुल झूठ है। शादीशुदा होते, तो वे दोबारा शादी के लिए क्यों आवेदन करते? हालांकि मेदनी ये जरूर माना कि ऐसा हो सकता है कि ये लड़कियां शादी से पहले प्रेम के रिश्ते में रहीं होंगी, लेकिन शादीशुदा होने की बात बेबुनियाद है।

शनिवार को डिंडौरी जिले के गाड़ासरई कस्बे में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत सामूहिक विवाह का आयोजन हुआ था। इसमें कई दुल्हनों को आखिरी मौके पर यह कहकर अपात्र बता दिया गया कि उनका प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजिटिव है। इसके बाद ये विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी इस पर सवाल खड़े किए हैं।

जांच के बाद हमसे कहा गया कि शादी की तैयारी करो, पहुंचे तो नाम ही नहीं

प्रेग्नेंसी टेस्ट में पॉजिटिव मिली एक दुल्हन व उनके होने वाले पति ने बताया कि वे दोनों एक-दूसरे से प्रेम करते हैं। मुख्यमंत्री विवाह योजना के तहत विवाह के लिए उन्होंने आवेदन किया था। श्यामवती का मेडिकल टेस्ट भी हुआ था। तब हमें कहा गया था कि शादी की तैयारी करो, जब मंडप में पहुंचे, तो हमारा यहां लिस्ट में नाम ही नहीं था।

दूल्हन ने बताया कि विवाह सहायता के नाम पर प्रेग्नेंसी टेस्ट करके हमें बेइज्जत किया जा रहा है।

ऐसे ही दूसरी लड़की ने बताया कि उनकी मर्यादा को भंग किया जा रहा है। हमें तब क्यों नहीं बताया गया कि हम प्रेग्नेंट हैं। ऐसे यहां बुलाकर सबके सामने हमें बेइज्जत क्यों किया जा रहा है।

इन लड़कियों की शादी टूटी तो कौन जिम्मेदार होगा ?

जिन दो लड़कियों पर प्रेग्नेंट होने की बात कही जा रही है, वे दोनों एक ही गांव से हैं। इनके गांव की सरपंच कहती हैं कि जिन लड़कियों का रिश्ता पक्का हो गया है, उनकी प्रेग्नेंसी की रिपोर्ट सार्वजनिक की जा रही है। ससुराल वालों को पता चलेगा, तो क्या वे इन लड़कियों से रिश्ता रखेंगे? यदि उन्होंने रिश्ता तोड़ा, तो फिर इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? क्या ये सरकार और ये अफसर इसकी जिम्मेदारी लेंगे?

प्रेग्नेंसी में शादी नहीं होगी ये कहां लिखा है…

बच्छर गांव के रहने वाली दो युवतियों ने बताया कि हमें बजाग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया था। वहां हमारा प्रेग्नेंसी टेस्ट कराया गया। उस समय तो हमें कुछ नहीं बताया गया, लेकिन यहां पहुंचने पर हमें कह रहे हैं कि हमारी रिपोर्ट पॉजिटिव है। हमारा नाम सूची में ही नहीं है। इस बारे में हमें सूचना नहीं दी। हम जब यहां पहुंचे, तो हमसे कहा कि आपका नाम सूची में नहीं आपको अपात्र कर दिया। युवतियों ने बताया कि यह अफसरों की गलती है। प्रेग्नेंसी होने पर विवाह नहीं हो सकता, यह कहां का नियम है। ऐसा कहां लिखा है कि प्रेग्नेंट होने पर आपका विवाह नहीं हो सकता।

कुंवारेपन का क्या स्टैंडर्ड साफ करे सरकार

इस पूरे मामले में आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ओंकार सिंह मरकाम कहते हैं कि कन्यादान विवाह योजना में कुंवारेपन की जांच की जा रही है। सरकार को ये साफ करना चाहिए कि सरकारी कागजों में कुंवारे होने के क्या मापदंड हैं। जिस तरह से प्रेग्नेंसी टेस्ट की पॉजिटिव रिपोर्ट के आधार पर आवेदन खारिज किए जा रहे हैं, ये तो स्त्री का अपमान है। उनकी निजता का हनन है।

सरकार को आदिवासी क्षेत्र के नौजवानों का इस तरह अपमान नहीं करना चाहिए।

दैनिक भास्कर से चर्चा करते हुए मरकाम कहते हैं कि इस तरह से लड़कियों का प्रेग्नेंसी टेस्ट करना उनके निजता के अधिकार का हनन है। यदि मुख्यमंत्री विवाह योजना में इस तरह से प्रेग्नेंसी टेस्ट कराए जाने का प्रावधान है तो उसे सरकार को सार्वजनिक करना चाहिए, लेकिन इस तरह से उनकी प्रेग्नेंसी जांच कर उन्हें अपात्र बताया जाना उनकी गरिमा और मर्यादा के भी खिलाफ है। ये सिर्फ विवाह योजना का मसला नहीं है, बल्कि स्त्री समाज का अपमान है।

मरकाम कहते हैं कि भाजपा इस तरह से लोगों का चरित्र हनन कर रहे हैं। हम इसके खिलाफ आंदोलन करेंगे।

हालांकि भाजपा के जिला अध्यक्ष अवधराज बिलैया कहते हैं कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में बच्ची की फिटनेस का टेस्ट होता है। यहां बेटियों में खून की कमी (एनीमिया) की समस्या होती है। पिछले साल के अनुभवों में ये सामने आया है कि कई जोड़ो ने दोबारा शादी कर ली, इसलिए सावधानी के तौर पर मेडिकल टेस्ट किया जाता है। इस बार योजना के आवेदकों के मेडिकल टेस्ट के दौरान जो लड़कियां प्रेग्नेंट मिलीं, उन्हें शादीशुदा मानकर योजना के लिए पात्र नहीं माना गया। हालांकि वे इस मसले को बेटियों की अस्मिता से जोड़कर नहीं देखते।

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