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नई आबकारी नीति से धार्मिक स्थलों के पास शराब दुकानों पर पूरी तरह रोक संभव ‌नहीं

रजिस्टर्ड नहीं है तो आबकारी विभाग के धार्मिक स्थल नहीं मानता

भोपाल : शिवराज सरकार की नई आबकारी नीति धार्मिक स्थलों के पास शराब दुकानों को रोकने में नाकाम साबित हो रही है। आबकारी विभाग की नीति में धार्मिक स्थल की परिभाषा कुछ अजीब है। विभाग उसी धार्मिक स्थल काे मानता है जो रजिस्टर्ड है। यदि सरकारी रिकॉर्ड में कोई मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च रजिस्टर्ड नहीं है…तो आबकारी विभाग उसे धार्मिक स्थल मानता ही नहीं है।

ऐसा इसलिए क्योंकि भोपाल में कम से कम 10 शराब दुकानों के 100 मीटर के दायरे में कोई न कोई धार्मिक स्थल है, लेकिन इनमें से आबकारी विभाग ने सिर्फ 5 को ही धार्मिक स्थल माना है। बाकी जगह शराब दुकानें खुलने की परमिशन दे दी है। विभाग के नियंत्रण कक्ष प्रभारी सजेंद्र मोरी का कहना है कि नियमानुसार सिर्फ रजिस्टर्ड धार्मिक स्थल के 100 मीटर के दायरे में शराब दुकान नहीं हो सकती है।

शहर में 87 शराब दुकानों में से 10 दुकानों के 100 मीटर के दायरे में धार्मिक स्थल हैं। पांच नंबर, पीएनटी चौराहा, डिपो चौराहा, करोंद चौराहा, शाजहांनाबाद क्रमांक-1, पटेल नगर, मनीषा मार्केट, कोलार रोड क्रमांक-2, पुराना किला और बस स्टैंड हमीदिया रोड के आसपास कोई न कोई धर्मस्थल है। इनमें से पुराना किला, स्टेट बैंक, शाहजहांनाबाद-1, बस स्टैंड हमीदिया रोड और करोंद चौराहा की दुकानों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जा रहा है।

शराब ठेकेदार को इलाके में तय परिधि में दुकान खोलने के लिए लाइसेंस मिलता है। दुकानदार अपनी सुविधा को देखते हुए दुकान खोलता है। इसके लिए वह नियमानुसार सर्वे रिपोर्ट सौंपता है कि उसके पास कौन सा धार्मिक या अन्य शिक्षण संस्थान हैं। आबकारी विभाग संबंधित मंदिर से ही उनके रजिस्टर्ड होने का सबूत लेती है। यही कारण है कि 5 दुकानें ही धार्मिक स्थल के दायरे में मानकर हटाई जा रही हैं।

उधर शराब दुकानों के विरोध में महिलाओं का आंदोलन जारी है लेकिन सरकार के कान पर जूं नहीं रेंग रही है। शराब पीकर शराबी गलत हरकतें और कमेंट्स करते हैं। कई बार तो महिलाओं के साथ धक्का-मुक्की भी हो चुकी है। महिलाओं का कहना है कि हम चुप रहे, लेकिन अब और सहन नहीं होता। शराब दुकान जब तक नहीं हटेगी, तब तक दिन-रात धरना देंगे। चाहे सड़क पर उतरकर उग्र आंदोलन भी करना पड़े तो करेंगे।’

भोपाल के आनंदनगर की मेघा गोयल उन महिलाओं में शामिल हैं, जो पिछले पांच दिन से शराब दुकान के विरोध में धरने पर बैठी हैं। उनकी मांग है कि आनंदनगर की शराब दुकान को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाए। इस मांग के लिए महिलाओं ने 1 अप्रैल से शराब दुकान नहीं खुलने दी है। दुकान के सामने टेंट लगाकर धरना देते हुए सुंदरकांड और भजन-कीर्तन भी कर रही हैं।

प्रदर्शन में शामिल मेघा बताती हैं कि गादियापुरा के गेट पर ही शराब दुकान है। यहां सुबह से देर रात तक शराबियों की भीड़ रहती है। दुकान के सामने ही बस स्टॉप है। बच्चों की स्कूली बसें भी आती हैं। शराबियों के कारण घर से निकलना मुश्किल हो गया है।

आनंदनगर में शराब दुकान है। इस दुकान से लगा रहवासी इलाका गादियापुरा है। इस मोहल्ले के 100 से ज्यादा लोग दुकान के सामने टेंट लगाकर 1 अप्रैल से धरना दे रहे हैं। यह धरना 24 घंटे का है। सुबह से रात 10 बजे तक महिलाएं धरने पर बैठती हैं। इसके बाद पुरुष मोर्चा संभालते हैं। महिलाओं के साथ बच्चे भी आंदोलन में शामिल हैं। हाथों में तख्तियां लेकर वे दुकान को शिफ्ट कराने की मांग कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश में 1 अप्रैल से नई शराब नीति लागू हो गई। इसके साथ शराब दुकानों को लेकर विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं। राजधानी भोपाल में ही विरोध प्रदर्शन की तस्वीरें सामने आ रही हैं। किसी शराब दुकान के सामने सुंदरकांड हो रहा है तो कहीं धरना। कोई दूध के पैकेट बांट रहा तो कोई गुलाब के फूल। ऐसी पांच दुकानें हैं, जो स्कूल-हॉस्पिटल के पास और रहवासी इलाके में खुली हैं। जिन्हें हटाने के लिए पिछले पांच दिन से लोग प्रदर्शन कर रहे हैं।

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