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नजरिया –

जब वोट नफरत फैलाकर मिल ही जाते हैं, तो सरकार आखिर क्यों करे आपकी चिंता

इंदौर शहर के बीचों-बीच एक मंदिर परिसर में स्थित बावड़ी धंसने से 37 लोगों की मौत हो गई, शहर में मातम पसर गया। ये भी बात सामने आ गई के एक बीजेपी नेता के दबाव के चलते नगर निगम अवैध कब्ज़ा नहीं हटा पाया और 37 परिवार की खुशियाँ काल के गाल में समा गई।

बचाव कार्य की बात करें तो टॉर्च और सामान्य रस्सी के सहारे बचाव कार्य में उतरी अनुभवहीन टीम भी कई मौतों का कारण बनी। हजारों करोड़ के बजट वाले नगर निगम और स्वछता में नंबर 1 कहलाने वाले इंदौर स्मार्ट सिटी की हकीकत वैसी ही निकली जैसी उस बावड़ी की थी….ऊपर से चमचमाती टाइल्स और फर्श लेकिन अन्दर गहरी खाई।
कड़वी बात करें तो विज्ञापन के भरोसे चल रही मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार भी कुछ ऐसी ही है, ऊपर से मजबूत और चमचमाती दिखाई देती है, लेकिन नीचे निकम्मे और नकारेपन की गहरी खाई है।
अब सब कह रहे हैं की सरकार से लापरवाही हुई, वैसे क्यों न करे सरकार लापरवाही ?
इस सरकार को आपसे या आमजनता से किस बात का डर ? इस सरकार पर आपका या आम जनता का किस बात का दबाव ? एक वोट की ताकत थी तुम्हारे पास, उसे इस सरकार ने विधायक खरीदी से ख़त्म कर दिया, अब तुम आखिर बिगाड़ क्या लोगे इस सरकार का ?
दो तरह के लोग हैं, एक जिन्हें लगता है कि जो मरे उनमें मैं या मेरे परिवार का सदस्य नहीं है इसलिए मैं सरकार के साथ हूँ, और दूसरे वो लोग जो इस घोषणावीर सरकार की हकीकत तो जानते हैं पर वोट देने की फुर्सत नहीं है। ये दोनों तरह के लोग भी इस सरकार को निरंकुश और निर्लज्ज बनाने के लिए बराबरी से जिम्मेदार हैं।

अब भी वक़्त है…जाग जाओ और सरकार या किसी राजनीतिक दल का गुलाम नहीं बल्कि एक जिम्मेदार मतदाता बनो। अपने मत में इतनी शक्ति रखो कि सरकार एक भी दिन ये सोचकर आपको नजरअंदाज न कर पाए कि वो कुछ करे या न करे लेकिन वोट तो मिल ही जायेगा। अपने वोट को इतना मज़बूत बनाकर रखो कि भविष्य में कोई भी नेता आपकी जिन्दगी से न खेल पाए।

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