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निजी नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने के पीछे सरकारी तंत्र की साठगांठ एवं लापरवाही उजागर

सत्र 2022-23 में ही 64 कालेजों में डुप्लीकेट फैकल्टी काम करना दिखाए गए

भोपाल (ईएमएस)। प्रदेश में निजी नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने के पीछे सरकारी तंत्र की साठगांठ एवं लापरवाही उजागर हुई है। निजी नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने में लापरवाही बरती गई। बीते दिनों चिकित्सा शिक्षा संचालक (डीएमई) की अध्यक्षता में हुई मध्य प्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल (एमपीएनआरसी) की बैठक में कार्य परिषद ने निर्णय लिया था कि 2022-23 से कालेजों की मान्यता के लिए शिक्षकों का आधार केवायसी अनिवार्य किया जाएगा, लेकिन यह व्यवस्था सिर्फ कागजों में ही रह गई। इसके बिना मान्यता दी गई। इस कारण कई कालेजों में कार्यरत दिखाए गए डुप्लीकेट शिक्षकों (जिनका एक से अधिक कालेजों में एक ही समय में फैकल्टी के रूप में नाम दर्ज है) को पकड़ा नहीं जा सका। हाईकोर्ट में पेश किए गए दस्तावेज में सामने आया है कि सत्र 2022-23 में ही 64 कालेजों में डुप्लीकेट फैकल्टी काम करना दिखाए गए हैं। 2020-21 में 500 और 2021-22 में 300 डुप्लीकेट फैकल्टी थे। इस स्तर तक गड़बड़ी हुई है कि एक ही फैकल्टी और प्रिंसिपल का नाम कागजों में दिखाकर 15-15 कालेज चल रहे हैं। एमपीएनआरसी द्वारा कालेजों से मान्यता हेतु आवेदन के समय यह भी तय किया गया था कि जिन कालेजों में डुप्लीकेट शिक्षक मिलेंगे उनका मान्यता आवेदन रद कर वैधानिक कार्रवाई भी की जाएगी, पर इसका भी पालन नहीं किया गया। यही कारण है प्रदेश के नर्सिंग कालेजों में सैकड़ों डुप्लीकेट शिक्षक और अन्य राज्यों से आए (माइग्रेट) दो हजार 697 शिक्षकों को बगैर स्थायी पंजीयन के नियमविरुद्ध कागजों में दिखाकर मान्यता ली जाती रही। अब हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता की आपत्ति के बाद इन्हें अपात्र घोषित किया है। ला स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने 2022 में प्रदेश में बिना संसाधनों और मापदंडों की पूर्ति किए नर्सिंग कालेज संचालित होने के संबंध में हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। इस बारे में मप्र ला स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं अधिवक्ता विशाल बघेल का कहना है कि प्रदेश में हुए नर्सिंग फर्जीवाड़े में शैक्षणिक अमले और संसाधनविहीन कालेज खोल कर नर्सिंग काउंसिल ने प्रदेश की चिकित्सा शिक्षा को खोखला करने का कार्य किया है, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हाईकोर्ट से फर्जीवाड़े के सभी जिम्मेदारों को उनके कृत्यों की सजा मिले और फैकल्टी की डुप्लीकेसी को रोकने के लिए आधार केवायसी के बगैर सत्र 2023-24 की मान्यता प्रकिया शुरू नही हो। वहीं चिकित्सा शिक्षा संचालक डा. एके श्रीवास्तव का कहना है कि एक फैकल्टी ने फर्जी तरीके से दो जगह अलग-अलग पैनकार्ड लगाए थे। उसके विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराई गई है। आगे भी ऐसी व्यवस्था करने की कोशिश करेंगे, एक फैकल्टी दूसरी जगह काम नहीं कर सके। मान्यता के पहले निरीक्षण की व्यवस्था को चुस्त और पारदर्शी बनाया जाएगा।

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