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भोपाल में बड़ा तालाब के संरक्षण के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला

झील संरक्षण प्रकोष्ठ ने बिना अधिकारों के तालाब संरक्षण के नाम के पर खर्च किए करोड़ों रुपए

भोपाल – सरकार की नाक के नीचे राजधानी भोपाल में बड़े तालाब के संरक्षण के नाम पर किस तरह करोड़ों रुपए का घोटाला किया गया यह बता रही है दैनिक भास्कर की एक विशेष रिपोर्ट – भोपाल को झीलों के शहर के नाम से जाना जाता है। लेकिन, यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि राजधानी को विश्व स्तरीय पहचान दिलाने वाले तालाब ही राम भरोसे हैं। इस बात का खुलासा भी सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में हुआ है। झील संरक्षण प्रकोष्ठ से संबंधित एक भी जानकारी नगर निगम प्रशासन के पास नहीं है। बीते 18 सालों में प्रकोष्ठ ने बिना अधिकारों के तालाब संरक्षण के नाम के पर करोड़ों के खर्च भी किए। जो अब सवालों के घेरे में है। मामले में नगरीय विकास एवं आवास विभाग समेत मुख्यमंत्री कार्यालय में भी शिकायत दर्ज कराई गई है।
दरअसल, भोपाल में तालाबों को लेकर नगर निगम समेत अन्य सरकारी एजेंसियों की लापरवाही के मामले को लेकर आरटीआई के जरिए दस्तावेज मांगे गए थे। इसमें नगर निगम के झील संरक्षण प्रकोष्ठ के उद्देश्य, जवाबदारी, दायित्व, कार्यप्रणाली और अधिकार समेत अन्य बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई। इस पर झील संरक्षण प्रकोष्ठ ने लिखित जवाब में बताया कि मांगी गई जानकारी या कोई भी रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। जबकि पत्र में यह भी लिखा गया कि साल 2005 में झील संरक्षण प्रकोष्ठ की स्थापना की गई थी।
दरअसल, भोपाल में तालाबों को लेकर नगर निगम समेत अन्य सरकारी एजेंसियों की लापरवाही के मामले को लेकर आरटीआई के जरिए दस्तावेज मांगे गए थे। इसमें नगर निगम के झील संरक्षण प्रकोष्ठ के उद्देश्य, जवाबदारी, दायित्व, कार्यप्रणाली और अधिकार समेत अन्य बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई। इस पर झील संरक्षण प्रकोष्ठ ने लिखित जवाब में बताया कि मांगी गई जानकारी या कोई भी रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। जबकि पत्र में यह भी लिखा गया कि साल 2005 में झील संरक्षण प्रकोष्ठ की स्थापना की गई थी।
नगर निगम की इस बड़ी लापरवाही और मनमानी को लेकर जानकारों ने कई सवाल खड़े किए हैं। अर्बन एक्सपर्ट कमल राठी ने बताया कि प्रकोष्ठों का गठन भी उद्देश्य, दायित्व और नियमों के आधार पर होता है। सालों से तालाबों के संरक्षण का दावा करने वाला झील संरक्षण प्रकोष्ठ आखिर किन प्रावधानों के आधार पर तमाम वाटर बाडी का संरक्षण कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि तालाब को विश्व विख्यात ख्याति प्राप्त रामसर साइट का दर्जा मिला हुआ है। इसके संरक्षण की जिम्मेदारी भी नगर निगम के पास है।
घोटालों और गड़बड़ियों के भोपाल नगर निगम ने इस बार के बजट में भी तालाबों के संरक्षण के लिए प्रावधान किया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में झील संरक्षण प्रकोष्ठ को 9 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया। सूत्रों के मुताबिक बीते 17 सालों में अलग-अलग मदों के तहत तालाबों के संरक्षण पर 180 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की जा चुकी है।
मामले में आरटीआई से जवाब मांगने वाले नितिन सक्सेना ने बताया कि करोड़ों रुपये झील संरक्षण प्रकोष्ठ के नाम पर खर्च किए जा चुके हैं। बिना दायित्व, अधिकारों, नियमों के ही यह राशि खर्च की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि तालाब संरक्षण के नाम पर झील संरक्षण प्रकोष्ठ के द्वारा खर्च की गई राशि के नाम पर धांधली की गई है। इसकी वसूली भी संबंधित अधिकारियों से की जानी चाहिए।
आरटीआई एक्टिविस्ट नितिन सक्सेना ने मामले में नगरीय प्रशासन संचालनालय और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से शिकायत दर्ज की गई है। शिकायत में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ जांच और कार्रवाई की मांग की गई है। इसके अलावा उन्होंने यह भी मांग की है कि केंद्र सरकार के वेटलैंड रूल 2017 के मुताबिक प्रदेश के तमाम शहरी सीमा क्षेत्र में आने वाले तालाबों के लिए नियम बनाए जाएं।
मामले पर नगर निगम आयुक्त केवीएस कोलसानी ने बताया कि इस मामले में अधिकारियों से जानकारी ली जाएगी। हर प्रकोष्ठ और शाखा का दायित्व, उद्देश्य निर्धारित होते हैं। इन्ही के तहत प्रोजेक्ट का संधारण किया जा रहा है। तालाबों के संरक्षण के लिए हम निगम प्रशासन काम कर रहा है।

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