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मध्यप्रदेश के किसानों को रुलाने लगी है प्याज की कीमतें

मंडी में किसानों को 25 पैसे प्रति किलो के भाव मिल रहे, बेबस किसान फेंक रहे हैं प्याज

भोपाल – देश के टॉप-5 प्याज उत्पादन राज्यों में शामिल मध्यप्रदेश में किसानों को इस बार फिर प्याज रुला रही है। मंडी में किसानों को 25 पैसे प्रति किलो के भाव मिल रहे हैं। वहीं, कहीं-कहीं 2 से 4 रुपए किलो भी प्याज बेची जा रही है। ऐसे में हालात ये हैं कि किसान इसे सड़क पर फेंकने को मजबूर हैं। यह स्थिति बेमौसम बारिश और ओलों की वजह से हुई है। ऐसे दृश्य मध्यप्रदेश के कई जिलों से आ रहे हैं, क्योंकि सामान्य रूप से प्याज की खेती मध्यप्रदेश के लगभग हर जिले में होती है।

दैनिक भास्कर ने किसानों और मंडी व्यापारियों से बात की। बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से शाजापुर, खंडवा, छिंदवाड़ा, इंदौर, रतलाम, बुरहानपुर, रायसेन के भोजपुर में ज्यादा नुकसान होने की जानकारी सामने आई है। इन्हीं जिलों में प्याज की खेती सबसे ज्यादा होती है। मध्यप्रदेश देश के पांच सबसे ज्यादा प्याज उत्पादक राज्यों में आता है। राज्य में प्याज का रकबा लगभग 1.8 लाख हेक्टेयर है। यहां औसत उत्पादन 150 क्विंटल/ हेक्टेयर है। मध्यप्रदेश में पिछले पांच साल का औसत उत्पादन 42.80 लाख टन रहा है। पिछले सालों में रकबा बढ़ा है और इस वजह से उत्पादन भी। मगर इस बेमौसम बरसात ने किसानों का हौसला तोड़ दिया है।

किसानों पर कहर बनकर टूटी औसत से कहीं ज्यादा बारिश

मध्यप्रदेश में 3 मई से 10 मई के बीच क्लाइमेट चेंज का बहुत ज्यादा असर दिखा। मौसम विभाग की साप्ताहिक रिपोर्ट के अनुसार इस बीच मध्यप्रदेश के आधे से ज्यादा जिलों में औसत से अधिक बारिश हुई। कुछ जिलों में तो बारिश औसत से 60 प्रतिशत ज्यादा तक हुई। रिपोर्ट के अनुसार औसत से कम बारिश किसी भी जिले में नहीं हुई। अनुमान से पहले हुई इस जोरदार बारिश और ओलावृष्टि ने कृषि और मुख्य रूप से प्याज की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया। ऐसी स्थिति से निपटना किसानों के लिए काफी मुश्किल हो गया है।

औसत उत्पादन भी घटने की आशंका

मध्यप्रदेश सरकार के कृषि विभाग की वेबसाइट के अनुसार एक हेक्टेयर प्याज की खेती में लगभग 1 लाख 20 हजार रुपए खर्च होते हैं। उत्पादन प्रति हेक्टेयर 225 क्विंटल तक होता है। 1600 रुपए /क्विंटल विक्रय मूल्य के हिसाब से किसानों को 3 लाख 60 हजार तक की आमदनी होती है, अर्थात 2 लाख 40 हजार रुपए की शुद्ध बचत। आज की हालत में किसान बमुश्किल 300 रुपए क्विंटल तक प्याज बेच पा रहे हैं। इसका मतलब है कि उनकी लागत मूल्य भी उन्हें वापस नहीं मिल पा रही है। साथ ही उत्पादन भी औसत से कहीं कम हो रहा है।

हर साल यही हुआ तो नहीं करेंगे प्याज की खेती

राहुल वर्मा नाम के एक किसान ने अपना बिल दिखाते हुए हमें बताया कि उन्होंने अलग-अलग रेट पर लगभग 17 क्विंटल प्याज बेची। कीमत एक रुपए किलो से लेकर 40 पैसे प्रति किलो तक मिली। अधिकतम कीमत 1.70 रुपए/किलो तक रही। कुल पैसे मिले 2480 रुपए। इसमें से 1090 रुपए ढुलाई में लगने के बाद सिर्फ 1390 रुपए ही हाथ में आए। यानी 17 क्विंटल के सिर्फ 1390 रुपए। राहुल बताते हैं कि इससे कई गुना ज्यादा तो हमारी लागत लग चुकी है। ऐसे में प्याज सड़क पर फेंके नहीं तो क्या करें?

प्याज सड़ जाने के डर से व्यापारी भी ऊंची कीमतों में खरीदने से डर रहे

बेमौसम बरसात ने उपज को तो घटाया ही, जो प्याज बची वो भी तेजी से सड़ रहे हैं, इसलिए व्यापारी भी अच्छी कीमत देने से घबरा रहे हैं। किसान इस बात से घबराकर औने-पौने दामों में बेचकर लागत मूल्य निकालने की कोशिश कर रहे हैं। व्यापारी राहुल वर्मा बताते हैं कि किसानों की स्थिति बहुत ही खराब हो गई है। मगर हम भी मजबूर हैं। बारिश के कारण खराब हुए प्याज को कितने दिनों तक हम सही सलामत स्टॉक कर पाएंगे, इस पर संशय बना हुआ है, इसलिए हम भी वो कीमत नहीं दे पा रहे जो किसान उम्मीद कर रहे हैं। उल्टा वो इसकी ढुलाई में ज्यादा खर्च कर दे रहे हैं। हमारे यहां दूर-दूर से किसान बहुत उम्मीद के साथ आ रहे हैं, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है।

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