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मध्यप्रदेश के डॉक्टरों में बुधवार से हड़ताल पर जाने की घोषणा की

चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी और चिकित्सक संगठनों के बीच बैठक बेनतीजा रही

भोपाल – स्वास्थ्य सेवा के मोर्चे पर चुनौतियों से जूझ रहे मध्यप्रदेश के डॉक्टरों ने हड़ताल पर जाने की घोषणा कर दी है। हड़ताल रोकने के लिए मंगलवार रात चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी और चिकित्सक संगठनों के बीच बैठक बेनतीजा रही है। करीब एक घंटे चली बैठक में दोनों पक्षों में सहमति नहीं बन पाई। इसके बाद सरकार ने भी हड़ताल से निपटने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। सरकार ने प्राइवेट अस्पताल से स्टाफ के बारे में जानकारी मांगी है। भोपाल में जीएमसी डीन ने 100 डॉक्टर मांगे हैं।

हड़ताल रोकने नहीं निकल पाया कोई रास्ता

मंगलवार रात चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के आवास पर बैठक हुई। बैठक में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, चिकित्सक संगठन के पदाधिकारी और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा मौजूद रहे। करीब एक घंटे चली बैठक में भी कोई सहमति नहीं बन पाई।
डॉक्टरों ने मंत्रियों को साफ कहा कि केन्द्र के समान डीएसीपी लागू कराने की मांग पहली है। यदि इस पर सरकार निर्णय नहीं लेती है, तो हड़ताल वापस नहीं ली जाएगी। मंत्री ने कहा कि कमेटी से एक-दो मीटिंग और कर लेते हैं, इसके बाद फैसला लेंगे। इस पर डॉक्टरों ने कहा कि बैठक करते-करते तो चुनाव की आचार संहिता लग जाएगी। यह कहकर डॉक्टर बाहर निकल आए।

इससे पहले मध्यप्रदेश के मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पताल के डॉक्टर्स मंगलवार दोपहर 1 बजे तक 2 घंटे की हड़ताल पर रहे। डॉक्टर्स सुबह 11 बजते ही कुर्सियों से उठ गए। ओपीडी (आउट पेशेंट डिपार्टमेंट) और आईपीडी (इन पेशेंट डिपार्टमेंट) बंद कर दी। उनकी मांग है कि समयबद्ध क्रमोन्नति और मेडिकल डिपार्टमेंट्स के तकनीकी मामलों में प्रशासनिक दखल को खत्म किया जाए। हड़ताल के कारण प्रदेशभर में व्यवस्थाएं चरमरा गईं।

हड़ताल में ये रहे शामिल

शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ के बैनर तले हेल्थ, मेडिकल एजुकेशन, गैस राहत, गृह विभाग, ईएसआई और जूनियर, एनएचएम संविदा डॉक्टर व बोंडेट डॉक्टर हड़ताल में शामिल हैं। इनके समर्थन में जूडा (जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन) भी समर्थन में उतर गया है। महासंघ के प्रमुख संयोजक डॉ. राकेश मालवीय ने बताया कि बिना आदेश हड़ताल वापस नहीं होगी।

जेपी में जूनियर डॉक्टर्स करेंगे मरीजों का इलाज

जेपी अस्पताल अधीक्षक डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि डॉक्टर्स की हड़ताल का असर मरीजों के इलाज पर नहीं हो, इसके लिए 6 जूनियर डॉक्टर (डीएनबी कोर्स ) और 6 एमबीबीएस इंटर्न डॉक्टर्स की ड्यूटी लगाई है। इसके अलावा आयुष डॉक्टर्स की ड्यूटी अलग – अलग वार्ड में लगाई है। ताकि अस्पताल में इलाज के लिए आए मरीज को बिना इलाज नहीं लौटना पड़े।

प्राइवेट अस्पतालों से मंगाई जानकारी

इसके अलावा सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों के स्टाफ और वहां की व्यवस्था की जानकारी भी मंगवाई है। प्राइवेट अस्पतालों से उनके यहां उपलब्ध डॉक्टर, उनके नाम, फोन नंबर मांगे हैं। इसके अलावा आईसीयू, जनरल और एचडीयू में खाली बेड्स की संख्या भी मांगी है। इस संबंध में सभी प्राइवेट अस्पतालों को लेटर लिखा है

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