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मध्यप्रदेश में आंधी, बारिश और ओले फसलों के लिए कहर बनकर आए

सरकार के पास नहीं है मुआवजा देने के लिए वक्त और पैसे

बुरहानपुर – मध्यप्रदेश में आंधी, बारिश और ओले फसलों के लिए कहर बनकर आए। अप्रैल महीने में लगातार ओलावृष्टि और बारिश के कारण गेहूं, चना, मूंग समेत दूसरी फसलें भी बर्बाद हो गईं। बुरहानपुर में मौसम की सबसे ज्यादा मार केले की फसल पर पड़ी है। वजह- जब बारिश और ओलावृष्टि हुई, तो यहां की मुख्य फसल केला तैयार होने की स्थिति में थी। किसानों को उम्मीद थी कि इस बार अच्छे दाम मिलेंगे, लेकिन अचानक मौसम बदला और सब कुछ तबाह हो गया। केलों से लदे पेड़ उखड़कर जमीन पर बिछ गए। खेतों में पानी भर गया। पेड़ों पर दाग लग गए और फसल सड़ने लगी है।

कलेक्टर भव्या मित्तल के मुताबिक जिले में करीब 2200 हेक्टेयर में नुकसान हुआ है। अभी सर्वे चल रहा है। 3-4 दिन में पूरा होने पर सही आंकड़ा सामने आएगा कि वास्तविक नुकसान कितना हुआ है। किसानों ने दावा किया कि करीब 50 करोड़ रुपए की केले की फसल बर्बाद हो गई है। दैनिक भास्कर ने दुनिया भर में प्रसिद्ध बुरहानपुर के केलों के खेतों में पहुंचकर किसानों का दर्द जाना।बारिश-ओलों ने इन क्षेत्रों में मचाई तबाही

बोदरली: जिला मुख्यालय से करीब 5 किमी दूर ग्राम बोदरली महाराष्ट्र से सटी सीमा पर है। यह प्रमुख केला उत्पादक गांव है। 28 अप्रैल को बारिश और ओलावृष्टि से यहां खेतों में खड़ी केले की फसल आड़ी हो गई। कुछ खेतों में रखी हल्दी भीगने से भी किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है।


बंभाड़ा: शाहपुर क्षेत्र का बंभाड़ा गांव भी बेमौसम बारिश का शिकार हुआ। इंदौर-इच्छापुर हाईवे पर स्थित इस गांव के लोग साधन संपन्न हैं, लेकिन वे पिछले कई वर्षों से बार-बार केले की फसल पर प्राकृतिक आपदा झेल रहे हैं। इससे पहले सीएमवी वायरस के कारण यहां फसल खराब हुई थी। अब एक बार फिर कई किसानों की फसलें तबाह हो गई हैं।


इसके अलावा डोईफोड़िया, मातापुर, लोखंडिया, राजोरा, कालापाट, नायर, सायर, नागझिरी, सांईखेड़ा, कारखेड़ा, धाबा, ताजनापुर, सामरिया, नीम पड़ाव, सीतापुर में भी फसलों को नुकसान पहुंचा है।


बुरहानपुर और खकनार तहसील सबसे ज्यादा प्रभावित

जिले के अधिकतर केला उत्पादक किसानों के सपनों पर ओले और बारिश ने पानी फेर दिया है। सबसे ज्यादा नुकसान 28 अप्रैल की शाम काे चली आंधी ने किया। इससे बुरहानपुर तहसील सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। यहां 20 से ज्यादा गांवों में केले की फसल आड़ी हो गई। कई पेड़ जमीन पर गिर गए। पत्ते हवा से नीचे लटक गए हैं, तो फल सड़ने लगे हैं।

बुरहानपुर जिले में करीब 16 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में केले की फसल लगी है। इसमें से लगभग 2.50 लाख केले के पेड़ जमीन पर बिछ गए।
बुरहानपुर जिले में करीब 16 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में केले की फसल लगी है। इसमें से लगभग 2.50 लाख केले के पेड़ जमीन पर बिछ गए।


जिले में 2.50 लाख पौधे जमीन पर बिछे

फसलों में नुकसान के बाद सभी दलों के नेताओं का खेतों तक पहुंचना जारी है। जायजा लेने के बाद पर्याप्त मुआवजा दिलाने के आश्वासन दिए जा रहे हैं। किसान इस बात से भी दुःखी हैं कि केले की फसल पर बीमा प्रीमियम का लाभ नहीं मिलता। मुआवजा राजस्व विभाग के आरबीसी नियम 6-4 के तहत मिलता है, जो लागत का 10वां हिस्सा भी नहीं होता। जिले में करीब 16 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में केले की फसल लगी है, इसमें से 2.50 लाख पौधे गिर चुके हैं। 50 करोड़ रुपए से ज्यादा के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है, क्योंकि एक पौधे की कीमत करीब 300-400 रुपए होती है। फिलहाल, वास्तविक आकलन रिपोर्ट सामने नहीं आई है।

खाड़ी देशों के साथ देश भर में जाते हैं बुरहानपुर के केले

बुरहानपुर का केला खाड़ी देशों की पहली पसंद है। यह उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र समेत अन्य प्रदेशों में भी जाता है, लेकिन इस बार यहां के केले एक्सपोर्ट नहीं हो पाएंगे। प्राकृतिक आपदा ने 40 से अधिक गांवों के सैकड़ों किसान की कमर तोड़कर रख दी है। किसानों का कहना है कि ढाई लाख से ज्यादा पौधों के नष्ट होने से करीब 50 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। हालात ये हैं कि एक्सपोर्ट क्वालिटी का माल भी लोकल मार्केट में बेचने काे किसान मजबूर हो गए हैं।

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