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लाखों में बिक रहे हैं परीक्षाओं के पेपर, एनएचएम भर्ती पेपर 50 लाख में लीक हुआ

नौजवानों के भविष्य खिलवाड़ लीक हो रहे हैं प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर

भोपाल- मध्यप्रदेश में योग्य नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बदस्तूर जारी है। बोर्ड की परीक्षाएं हो या फिर कॉन्पिटिटिव एग्जाम सारे पेपर बाजार में आ रहे हैं। हाल ही में एनएचएम भर्ती का पेपर लीक होने का घोटाला सामने आया है।
एनएचएम भर्ती का पेपर चिराग अग्रवाल, दीपक मेवाड़, रवींद्र ठाकुर ने मिलकर कंपनी के सर्वर से आउट किया था। चिराग अग्रवाल एमईएल का पूर्व कर्मचारी है। दीपक व रवींद्र कंपनी में कॉन्ट्रैक्ट पर भोपाल व नोएडा में काम करते हैं। एमईएल कंपनी के संबंध में बताया गया है कि यह एपटेक कंपनी के 2018 में ब्लैकलिस्ट होने के बाद सक्रिय हुई है और इसमें उसी कंपनी के लोग सक्रिय है। यह खुलासा रविवार को ग्वालियर पुलिस ने किया है। कंपनी ने 100 भर्ती परीक्षाएं कराई हैं।

इसमें मेडिकल, शिक्षा की परीक्षाएं भी शामिल हैं। पकड़े गए तीनों आराेपियाें ने पेपर को कंपनी के सर्वर से निकाल कर तरुणेश अरजरिया उर्फ गुरु को दिया। गुरु ने पेपर राजीव नयन मिश्रा को दिया, जिसे सॉल्व कराकर राजीव ने मप्र की टीम को भेज दिया। राजीव ने गुरु से पेपर की डील 50 लाख रुपए में की थी। राजीव ने यह पेपर प्रति परीक्षार्थी 3 लाख रुपए में तय कर गुर्गों को दिया था। मामले में अब तक 16 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है।

सरगना ने कहा- 5 माह पहले हुई थी डील, तीन माह पहले लिया था आईडी, पासवर्ड

सरगना ने पुलिस को बताया कि राजीव व गुरु में डील 5 माह पूर्व हुई थी। गुरु का कंपनी में नेटवर्क था। इसके बाद गुरु ने चिराग अग्रवाल से संपर्क किया। चिराग कोडिंग-डिकोडिंग का विशेषज्ञ है। चिराग ने कहा कि सर्वर का लॉगइन आईडी, पासवर्ड व सर्वर लिंक मिल जाए तो काम हो जाएगा। इसके बाद दोनों ने मिलकर दीपक मेवाड़ से संपर्क किया और आईडी, पासवर्ड व लिंक की जुगाड़ करने की बात की। दीपक भोपाल में रहता है और वहीं एमईएल कंपनी में जरूरत पड़ने पर कॉन्ट्रैक्ट पर काम करता है।

इसके बाद दीपक ने कंपनी ने ड्यूटी की जुगाड़ की और लगभग तीन माह पहले एमईएल के नोएडा आफिस में गया और उसने वहां रवींद्र ठाकुर से संपर्क कर आईडी, पासवर्ड ले लिया। 7 फरवरी को सुबह 10 बजे और 3 बजे की पाली में होना था। दीपक मेवाड़ के पास लॉगइन आईडी, पासवर्ड था।

इसकी ड्यूटी भोपाल के एक परीक्षा सेंटर पर तकनीकी व्यवस्था के लिए कंपनी ने लगाई थी। दीपक ने सुबह लगभग 8 बजे सेंटर के एक कंप्यूटर पर लॉगइन पासवर्ड से कंपनी के सर्वर में सेंध लगाकर अनक्रिप्टेड फॉर्म में पेपर डाउनलोड कर चिराग अग्रवाल को भेजा और चिराग अग्रवाल ने इसी पेपर को सर्वर में एक दिन बाद 8 फरवरी डेट कंप्यूटर पर फीड की। कंपनी के सर्वर के सिस्टम में पेपर होने के एक दिन बाद पेपर पीडीएफ फॉर्म कन्वर्ट होने का प्रावधान था। सर्वर में 8 फरवरी की डेट डलते ही सर्वर कनफ्यूज हो गया और 7 फरवरी को पेपर होने से पहले ही पेपर पीडीएफ फॉर्म कन्वर्ट कर निकाल दिया।

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