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शरद पवार में राकांपा का अध्यक्ष पद छोड़ने का ऐलान किया

पवार ने अपनी चिट्‌ठी में लिखा- मैं पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ रहा हूं, सार्वजनिक जीवन से रिटायरमेंट नहीं ले रहा

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मुंबई – शरद पवार ने राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का अध्यक्ष पद छोड़ने का ऐलान कर दिया। पवार ने कहा कि वो इस्तीफा देने जा रहे हैं। उन्होंने इसकी वजह नहीं बताई है।

4 दिन पहले गुरुवार को शरद पवार ने कहा था कि रोटी पलटने का वक्त आ गया है। किसी ने मुझसे कहा कि रोटी सही समय पर पलटनी है। न पलटे तो कड़वी हो जाती है। इस बयान पर अजीत पवार ने कहा कि नए चेहरों को आगे लाना राकांपा की परंपरा रही है। राकांपा महाराष्ट्र के महा विकास अघाड़ी गठबंधन में सहयोगी है।

पवार ने 1999 में कांग्रेस से अलग होकर राकांपा बनाई थी। उसके बाद से ही वे पार्टी के अध्यक्ष थे। पवार के ऐलान के बाद पार्टी कार्यकर्ता उनके समर्थन में नारे लगाने लगे। वे उनसे अपना फैसला वापस लेने की मांग कर रहे थे।

अध्यक्ष चुनने के लिए कमेटी बनाई गई

पवार के इस्तीफे के बाद पार्टी का अध्यक्ष चुनने के लिए एक कमेटी बनाई गई है। इसमें प्रफुल्ल पटेल, सुनील तडकारे, केके शर्मा, पीसी चाको, अजित पवार, जयंत पाटिल, सुप्रिया सुले, छगन भुजबल, दिलीप पाटिल, अनिल देशमुख, राजेश टोपे, जितेंद्र अह्वाद, हसन मुशरिफ, धनंजय मुंडे, जयदेव गायकवाड़ का नाम शामिल है।

इस्तीफे में लिखा- लगातार यात्रा मेरी जिंदगी का हिस्सा

पवार ने अपनी चिट्‌ठी में लिखा- मैं पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ रहा हूं, सार्वजनिक जीवन से रिटायरमेंट नहीं ले रहा।
शरद पवार ने इस्तीफे में लिखा, ‘मेरे साथियो! मैं NCP के प्रेसिडेंट का पद छोड़ रहा हूं, लेकिन सामाजिक जीवन से रिटायर नहीं हो रहा हूं। लगातार यात्रा मेरी जिंदगी का अटूट हिस्सा बन गया है। मैं पब्लिक मीटिंग और कार्यक्रमों में शामिल होता रहूंगा। मैं पुणे, बारामती, मुंबई, दिल्ली या भारत के किसी भी हिस्से में हूं, आप लोगों के लिए हमेशा की तरह उपलब्ध रहूंगा। लोगों की समस्याएं सुलझाने के लिए मैं हर वक्त काम करता रहूंगा। लोगों का प्यार और भरोसा मेरी सांसें हैं। जनता से मेरा कोई अलगाव नहीं हो रहा है। मैं आपके साथ था और आपके साथ आखिरी सांस तक रहूंगा। तो हम लोग मिलते रहेंगे। शुक्रिया।’

शरद पवार मुंबई के वाईबी चव्हाण सेंटर में मंगलवार को अपनी बायोग्राफी ‘लोक भूलभुलैया संगति’ का विमोचन कर रहे थे। इस किताब के पन्ना नंबर 319 पर उन्होंने लिखा- महाविकास अघाड़ी की सरकार सिर्फ सत्ता का खेल नहीं थी। अन्य पार्टियों को दबाकर, अन्य पार्टियों का महत्व किसी ना किसी तरह से खत्म करके राजनीतिक वर्चस्व निर्माण करने वाली भाजपा को यह करारा जवाब था।
महाविकास अघाड़ी की सरकार भाजपा को देश में मिली सबसे बड़ी चुनौती थी। यह सरकार अस्थिर करने का प्रयास होगा, इसकी कल्पना मुझे थी। हम हमारे लेवल पर हम इसे हैंडल करने में सक्षम थे, लेकिन उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने से शिवसेना में तूफान आएगा, इसका हमें अंदाजा नहीं था। यह असंतोष खत्म करने में शिवसेना नेतृत्व (उद्धव और आदित्य) कम पड़ा। संघर्ष ना करते हुए उद्धवजी के इस्तीफा देने के कारण महाविकास अघाड़ी की सत्ता को पूर्ण विराम मिला।

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