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शिवराज सरकार ने घोषणा की लेकिन 16 साल से नहीं बन पाया राम वन गमन पथ

कमलनाथ ने सीएम रहते राम वन गमन पथ के काम में तेजी लाई, पर सरकार गिर गई

भोपाल – मध्यप्रदेश में राम वन गमन पथ प्रोजेक्ट की फाइल 16 साल बाद भी आगे नहीं बढ़ पाई है। 2018 में कमलनाथ की सरकार बनने के बाद राम वन गमन प्रोजेक्ट पर तेजी से काम होना शुरू हो गया था लेकिन डेढ़ साल के भीतर ही सरकार गिर गई। इसके बाद शिवराज सरकार ने इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
सरकार ने पांच साल पहले इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी धर्मस्व विभाग को दी थी। अब यही काम दस माह से संस्कृति विभगा के पास है। बावजूद, कार्य में गति आती नहीं दिख रही है। सरकार ने घोषणा की है कि राम वन गमन पथ के लिए एक न्यास समिति बनेगी, इसमें कौन होगा, प्रोजेक्ट में क्या-क्या काम होना है और इसका स्वरूप क्या होगा। यह समिति ही तय करेगी। आलम यह है कि दस माह में संस्कृति विभाग इस समिति यह गठन ही नहीं कर पाई है। जबकि प्रदेश से जुड़े छत्तीसगढ़ राज्य में राम वन गमन पथ का काफी कुछ काम हो चुका है।
भाजपा सरकार 16 वर्ष में शुरुआती सर्वे के अलावा आगे का काम नहीं बढ़ा पाई। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में इसे चुनावी मुद्दा बनाया और प्रस्ताव को अपनी घोषणा पत्र में शामिल किया। तत्कालीन धर्मस्व मंत्री पीसी शर्मा ने तीन माह के अंदर इसका सर्वे कराने का प्रस्ताव रखा। इसके लिए बीस करोड़ रुपए का बजट भी रखा था। लेकिन बीच में ही कांग्रेस सरकार गिरने के बाद शिवराज सरकार ने वर्ष 2020 में इसकी विधिवत घोषणा की। अभी तक यह मामला सिर्फ प्रस्ताव बनकर विभागों के चक्कर काट रहा है।
त्रेता युग में भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के दौरान जिन क्षेत्रों से होकर निकले थे, वहां से सरकार राम वन गमन पथ के लिए कॉरिडोर बनाना चाह रही है। इसमें कुछ क्षेत्र वर्तमान मध्यप्रदेश का भी शामिल है। इन क्षेत्रों में एक सर्किट तैयार किया जाना है, जिससे लोग इन क्षेत्रों में एक तरफ से भ्रमण कर सकें। वहां पर्यटकों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराना है, सड़कों का चौड़ीकरण, रेल, बस, हवाई मार्ग को मजबूत करना था। इसके अलावा यहां पर्यटन स्थलों का विकास और राम वन गमन पथ से जुड़े जो स्थल जर्जर हो गए हैं, उनका जीर्णोद्धार किए जाने का प्रस्ताव है।

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