नाथ की मौजूदगी में उपस्थित 85 विधायकों ने पार्टी से न टूटने की ली शपथ Politics by mpeditor - July 20, 2020July 20, 20200 कांग्रेस विधायकों के टूटने का सिलसिला जारी रहने की चिंता विधायक दल की बैठक में साफतौर पर दिखाई दी। विधायकों का कहना था कि जिसे पार्टी छोड़ना है उसे कोई रोक नहीं सकता, वह अपने परिवार की भी नहीं सुनेगा तो हमारी क्या मजाल। पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने विधायकों में एकजुटता का संदेश देते हुए कहा कि अब अगली विधायक दल की बैठक सरकार बनाने के लिए होगी। सरकार बनाने के लिए हमें नेता जो चुनना होगा। कांग्रेस नेताओं के बार-बार पार्टी से 24 विधायकों के टूटने का दर्द सामने आने पर पूर्व मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने बैठक में मौजूद सभी विधायकों से शपथ लेने का प्रस्ताव रखा। इसके बाद नाथ की मौजूदगी में उपस्थित सभी 85 विधायकों ने शपथ ली कि अब पार्टी से आगे कोई भी नहीं टूटेगा और पूरी शिद्दत से कांग्रेस सरकार की वापसी मे एकजुटता से लगेंगे। बैठक में स्वास्थ्य कारणों से प्रवीण पाठक, लखन घनघोरिया और टामलाल सहारे उपस्थित नहीं हो सके। आरिफ अकील और लक्ष्मण सिंह अन्य कारणों से नहीं आ पाए। पूर्व मंत्री भनोत और यादव आए आमने-सामने बैठक के दौरान प्रदेश में पार्टी का संगठनात्मक ढांचा लचर होने की बात भी विधायकों ने रखी। इस मामले में जबलपुर से विधायक संजय यादव और पूर्व मंत्री तरुण भनोत तो आमने सामने आ गए। बाद में सज्जन सिंह वर्मा ने बीच बचाव करते हुए दोनों को शांत कराया और कहा कि यह सही है कि जिलों में हमारा संगठन कमजोर है, वहां उसे मजबूत करने की जरूरत है। दरअसल, यादव का कहना था कि ठीक है 26 विधानसभा सीटों के उप चुनाव में तो पार्टी का शीर्ष नेतृत्व लगा है, लेकिन बाकी प्रदेश में कांग्रेस क्या कर रही है। साफ है कि वहां हमारा संगठन कमजोर है। भनोत का कहना था कि हमारी 15 महीने की सरकार में हमने जो काम किए हैं, उससे हमें उप चुनावों में निश्चित रूप से जीत मिलेगी। उद्देश्य सिर्फ पार्टी मजबूत करना…. कमलनाथ ने कहा कि मेरा उद्देश्य सिर्फ पार्टी मजबूत करना है। इसीलिए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद फैसला लिया कि मैं यही आप लोगों के बीच में रहूंगा। छिंदवाड़ा तक नहीं गया और 24 विधानसभा सीटों के उपचुनाव की रूपरेखा बनाना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि हौंसला रखें। कांग्रेस ने 1977 का दौर भी देखा। उसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी जब प्रधानमंत्री थे, उस समय सोनिया गांधी ने उन्हें घर बिठाकर धमाकेदार वापसी की थी।