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कृषि मंत्री कमल पटेल ने अवैध खनन की शिकायत करी, फिर भी कलेक्टर द्वारा कार्रवाई नहीं

  • पटेल ने जबलपुर कमिश्नर बी चंद्रशेखर को लिखी चिट्ठी।
  • कांग्रेस ने सरकार पर उठाए सवाल।

मध्य प्रदेश में यह क्या हो रहा है? क्या अब अवैध खनन माफिया की प्रदेश में इस कदर तूती बोल रही है कि राज्य के बड़े अफसर उनके खिलाफ राज्य सरकार के मंत्रियों की शिकायत भी अनसुनी कर रहे हैं? यह बेहद गंभीर सवाल प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल की उस चिट्ठी की वजह से उठ रहे हैं, जो उन्होंने नरसिंहपुर के कलेक्टर वेदप्रकाश के खिलाफ लिखी है। जबलपुर के कमिश्नर बी चंद्रशेखर के नाम लिखी चिट्ठी में कमल पटेल ने आरोप लगाया है कि कलेक्टर वेदप्रकाश कई बार शिकायत करने के बावजूद अवैध रेत खनन करने वाले माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने को तैयार नहीं हैं।

कृषि मंत्री कमेल पटेल ने अपनी चिट्ठी में नर्मदा नदी में हो रहे अवैध खनन का खुलासा करते हुए कलेक्टर वेद प्रकाश के लचर रवैए की शिकायत की है। कमल पटेल ने जबलपुर कमिश्नर से शिकायत की है कि रेत के अवैध खनन को रोकने और माफियाओं पर कार्रवाई करने के लिए कई बार कलेक्टर से संपर्क साधा गया। लेकिन बार बार संपर्क किए जाने के बावजूद कलेक्टर इस पूरे मामले पर आनाकानी भरा रवैया ही अपना रहे हैं। कमल पटेल ने जबलपुर कमिश्नर बी चंद्रशेखर को पत्र लिखकर कहा है कि नर्मदा नदीं में लगातार अवैध खनन जारी है। साफ है कि जिला प्रशासन की मिली भगत के बिना यह संभव नहीं है।

कृषि मंत्री ने कमिश्नर को लिखे पत्र में कहा है कि अवैध रेत खनन को रोकने की ज़िमेदारी ज़िला प्रशासन की है। लेकिन अवैध खनन की जानकारी देने के बाद भी नरसिंहपुर कलेक्टर कार्रवाई नहीं कर रहे। कमल पटेल ने कमिश्नर से रेत माफियाओं पर नकेल कसने में नाकाम खनिज अफसर, खनिज निरीक्षक, एसडीएम और तहसीलदार सहित सभी ज़िम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों को तत्काल निलंबित करने को कहा है। कमल पटेल ने अपने पत्र में अवैध खनन करने वालों के वाहनों को ज़ब्त करके उनके खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई करने की मांग भी की है। पटेल इससे पहले भी कई बार अवैध खनन का मसला उठा चुके हैं।

अगर राज्य के मंत्री की यह शिकायत सही है, तो इससे एक और गंभीर सवाल उठ रहा है। सवाल यह कि अगर एक कलेक्टर राज्य के मंत्री की शिकायत को भी गंभीरता से नहीं ले रहे, तो इसकी वजह क्या है? सवाल यह भी है कि मंत्री की शिकायत को अनसुना करने का दुस्साहस अफसर किसकी शह पर कर रहे हैं? सोचने वाली बात यह भी है कि जो अफसर मंत्री की शिकायत को गंभीरता से नहीं ले रहे, वे आम लोगों की समस्याओं की कितनी परवाह करते होंगे?

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