एप्पल अस्पताल में कोरोना मरीज को थमाया गया लाखों का बिल, कोरोना के नाम पर चल रही लूट Health by mpeditor - August 27, 2020August 27, 20200 मध्यप्रदेश के इंदौर में कोरोना के नाम पर लूट मचा रहे निजी अस्पतालों पर जिला प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है। कोरोना मरीज के इलाज के लिए छह लाख का बिल दिए जाने के मामले में भंवरकुआं स्थित एप्पल अस्पताल को नोटिस जारी किया गया है। साथ ही तीन सरकारी डॉक्टर्स को भी नोटिस दिए गए हैं, जो अनुमति नहीं होने के बाद भी वहां इलाज के लिए गए। एप्पल अस्पताल से जब्त रिकाॅर्ड की प्रारंभिक जांच में कई तरह की अनियमितताएं सामने आई हैं, जिसके बाद अस्पताल का लाइसेंस भी निरस्त हो सकता है। कलेक्टर के आदेश पर पुलिस प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मंगलवार को अस्पताल में छापा मारा, इस दौरान बिल और रिकॉर्ड जब्त किए गए। रिकार्ड के आधार पर जूनी इंदौर एसडीएम और डॉ. अमित मालाकार ने जो जांच प्रतिवेदन तैयार किया। प्रतिवेदन में बताया गया है कि 22 दिन तक कोरोना मरीज को हॉस्पिटल में भर्ती रखा गया और लगभग छह लाख रुपये का बिल थमा दिया। इतने भारी भरकम बिल के बावजूद एक लाख की दवाइयां अलग से मंगवाई। पीपीई किट, आइसोलेशन चार्ज और यूनिवर्सल प्रोटेक्शन के नाम पर प्रतिदिन 9,000 रुपये के हिसाब से राशि वसूल की गई। आईसीएमआर के निर्देश और डब्लूएचओ की गाइडलाइन के विपरीत एसिंप्टोमेटिक (बिना लक्षण वाले) मरीज होने के बावजूद चार बार आरटीपीसीआर कोविड टेस्ट निजी लैब से करवाया गया, इसमें भी निजी लैब में जो टेस्टिंग चार्ज लगता है, उससे अधिक शुल्क मरीज से वसूल किया गया।। एक बार भी ये टेस्ट करवाने की आवश्यकता नहीं थी, इसके बावजूद बार-बार करवाए गए। मरीज के परिजन ने कलेक्टर से की थी शिकायत सागर निवासी व्यक्ति के परिजन ने कलेक्टर से इसकी शिकायत की थी। इसमें कहा गया था कि 22 दिन तक भर्ती करने के बाद मरीज को छह लाख का बिल दिया गया। एक लाख रुपये की दवाई बाहर से मंगवाई, जिससे इलाज का कुल खर्च सात लाख हो गया। इसके बाद मंगलवार रात को जिला प्रशासन की समिति ने छापामार कार्रवाई की। शिकायत करने वाले मरीज के अलावा अन्य मरीजों के बिल का रिकाॅर्ड भी लिया गया था। लाइसेंस निरस्त करने का नोटिस सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जड़िया ने इस मामले में तीन दिन में स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है। साथ ही कहा गया है कि जवाब न मिलने या असंतोषजनक होने पर मेडिकल एक्ट 2019 की धारा 27 में प्रोफेशनल एवं एथिकल मिसकंडक्ट मानकर मध्यप्रदेश उपचर्या अधि. 1973 एवं नियम 1997 में पंजीयन निरस्त/ एफआईआर कराई जाएगी।