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मुख्यमंत्री ने अपमानजनक भाषा का उपयोग कर
आउटसोर्स, संविदा, अस्थाई कर्मचारियों का किया अपमान: वासुदेव शर्मा

भोपाल। मप्र कांग्रेस आउटसोर्स एवं संविदा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री की भाषा को बेहद आपत्तिजनक और अस्थाई कर्मियों को अपमानित करने वाली भाषा बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में आयोजित बिजली विभाग के कर्मचारियों अधिकारियों के एक कार्यक्रम में अपने भाषण में प्रदेश के आउटसोर्सकर्मियों को व्यवस्था बिगाड़ने वाला ‘अलाना सोर्स-फलाना सोर्स, ढिमका सोर्स’ जैसी भाषा सार्वजनिक मंच से बोलकर प्रदेश के लगभग 10 लाख अस्थाई कर्मियों का अपमान किया है, जिसके लिए मुख्यमंत्री को सार्वजनिक रूप से माफी मांगना चाहिए। 


श्री शर्मा ने कहा कि आउटसोर्स प्रथा के जनक शिवराजसिंह चौहान ही है, आउटसोर्स में कर्मचारियों को न न्यूनतम वेतन मिलता है और न ही उनकी नौकरी में सुरक्षा है, मुख्यमंत्री ने इन्हें सम्मानजनक वेतन एवं नौकरी में सुरक्षा देने की बात करने की बजाय उन्हें व्यवस्था बिगाड़ने वाला कर्मचारी बताया है। मुख्यमंत्री ने इस तरह की भाषा का उपयोग इसलिए किया क्योंकि मप्र का आउटसोर्स, अस्थाई, संविदा एवं ठेका कर्मचारी 18 साल से सरकार के अन्याय के खिलाफ एकजुट होने लगा है, इसी एकजुटता से भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री में सत्ता छिन जाने का डर पैदा हो गया है। मुख्यमंत्री का यह अपमानजनक बयान इसी डर की बौखलाहट है। 


श्री शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जिन आउटसोर्स कर्मियों को व्यवस्था बिगाड़ने वाला बताया है उसी के हाथों बना नाश्ता सीएम करते हैं, मंत्रियों, अधिकारियों की गाडियां यही आउटसोर्स कर्मी ही चलाता है, मंत्रालयों में पत्र, नोटशीट तैयार करता है। यदि यह व्यवस्था बिगाड़ने वाला कर्मचारी होता, तब सरकार की न नोटशीट बनती और न ही मंत्री अधिकारी समय पर कार्यालयों तक पहुंच पाते। इसलिए मुख्यमंत्री को सोच समझकर भाषा का उपयोग करना चाहिए। वासुदेव ने कहा कि मुख्यमंत्री के बयान के बाद प्रदेश भर का अस्थाई कर्मचारी एकजुट हो सरकार के खिलाफ लामबंद हो गया है। शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री को इस अपमानजनक भाषा को लेकर आउटसोर्स, संविदा, अस्थाई कर्मियों से माफी मांगना चाहिए। वहीं सरकार से तत्काल नौकरियों में लागू की गई आउटसोर्स, संविदा, अस्थाई प्रथा बंद करने की मांग की है, जिससे यह कर्मचारी भी सम्मानजनक जीवन यापन कर सकें।

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