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बासमती चावल को लेकर सीएम शिवराज एवं पंजाब सीएम कैप्टन अमरिंदर आमने सामने

  • मध्यप्रदेश के 13 जिलों में वर्ष 1908 से बासमती चावल का उत्पादन हो रहा है और इसका लिखित इतिहास भी है।
  • मध्यप्रदेश का बासमती चावल अत्यंत स्वादिष्ट माना जाता है और अपने जायके और खुशबू के लिए यह देश-विदेश में प्रसिद्ध है।

मध्य प्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैगिंग (भौगोलिक संकेत) दिलाने को लेकर पंजाब ने आपत्ति जताई है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखे जाने पर विवाद बढ़ता जा रहा है। इसको लेकर बुधवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निंदा की और कैप्टन का यह कदम राजनीति से प्रेरित बताया। शिवराज ने कहा- मैं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से यह पूछना चाहता हूं कि आखिर उनकी मध्यप्रदेश के किसान बंधुओं से क्या दुश्मनी है? यह मध्यप्रदेश या पंजाब का मामला नहीं, पूरे देश के किसान और उनकी आजीविका का विषय है।

पंजाब के मुख्यमंत्री ने कल प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मध्यप्रदेश के निर्यात होने वाले प्रसिद्ध बासमती चावल को जीआई टैग दिलाने के मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। पत्र में दावा किया गया कि ऐसा हो जाने पर पंजाब और अन्य राज्यों के हित प्रभावित होंगे, जिनके बासमती चावल को पहले से ही ‘जीआई टैग’ हासिल है। पत्र में यह भी कहा गया है कि ऐसा होने पर पाकिस्तान को भी लाभ मिल सकता है।

मध्यप्रदेश के दावों से कोई संबंध नहीं

मुख्यमंत्री ने ट्वीट के जरिए कहा कि पाकिस्तान के साथ कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपेडा) के मामले का मध्यप्रदेश के दावों से कोई संबंध नहीं है। क्योंकि यह भारत के जीआई एक्ट के तहत आता है और इसका बासमती चावल के अंतर्देशीय दावों से कोई जुड़ाव नहीं है। पंजाब और हरियाणा के बासमती निर्यातक मध्यप्रदेश से बासमती चावल खरीद रहे हैं। केंद्र सरकार के निर्यात के आकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं। केंद्र सरकार वर्ष 1999 से मध्यप्रदेश को बासमती चावल के ‘ब्रीडर बीज’ की आपूर्ति कर रही है।

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