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मध्यप्रदेश उपचुनाव के लिए कांगेस ने पहली सूची में 15 प्रत्याशी किए घोषित, भाजपा में पशोपेश जारी

आगामी उपचुनाव के लिए सभी राजनैतिक दल अपनी तैयारी में जुट गए हैं। मध्यप्रदेश के उपचुनावों को लेकर कांग्रेस ने 15 प्रत्याशियों की अपनी पहली सूची जारी कर दी है। यह कांग्रेस खेमे के लिए प्राथमिक तौर पर मनोबल बढ़ाने वाली जीत मानी जा रही है। कांग्रेस के द्वारा प्रबल आत्मविश्वास और निर्विवाद तरीके से सूची जारी करने के कारण इससे भाजपा पर न सिर्फ एक मनोवैज्ञानिक बढ़त बना ली है अपितु पहली दृष्टि में ही कड़ी चुनौती भी दे दी है। कमलनाथ चुनावी राजनीति के कुशल प्रबंधक माने जाते है। उनके तरकश से निकले पहले तीर ने प्रदेश की शांत ​राजनैतिक फिजां में अचानक हलचल मचा दी है।

गौरतलब है कि कांग्रेस के सभी प्रत्याशी अपने विधानसभा सीट के सबसे प्रभावशाली, लोकप्रिय व जननेता हैं इन्हीं गुणों के कारण उन्हें विजयी प्रत्याशी माना जा रहा है जो भाजपा के किसी भी प्रत्याशी के सामने काफी मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहे हैं। कांग्रेस ने प्रत्याशियों के चयन में जिन मापदंडों को आधार माना उसके अनुसार जन हितैषी, ईमानदार, निष्ठावान स्पष्ट छवि एवं वर्षो से कांग्रेस के लिए समर्पितों को सूची में शामिल किया है। उपचुनाव की तैयारी को लेकर कांग्रेस बड़े ही बेबाक और बेखौफ तरीके से जनता के सामने आ रही है।

जबकि दूसरे खेमें में नजर डाली जाए तो भारतीय जनता पार्टी अभी भी पशोपेश की स्थिति का सामना कर रही है एक ओर भाजपा के निष्ठावान नेता दावेदारी कर रहे हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए विधायक प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं जिससे भारतीय जनता पार्टी में अंतरकलह चरम पर है। भाजपा का कोई भी स्थापित नेता सिंधिया और उसके सर्मथकों को स्वीकारने को आज भी तैयार नहीं है। लिहाजा सिंधिया समर्थकों की टिकिट की घोषणा होते ही भाजपा का आंतरिक विद्रोह सड़क पर आने की संभावना अधिक है।

कमलनाथ का यह निर्णय राजनैतिक विश्लेषकों के लिए पहली नजर में पहली मनो​वैज्ञानिक जीत के रूप में देखा जा रहा है। वहीं उपचुनाव में शामिल होने वाले मतदाताओं के लिए भी यह स्पष्ट कर दिया है कि बड़ी ही सहजता के साथ जनता के बीच अपनी बात रखने आ रहे हैं। वहीं बीजेपी आलाकमान फूंक फूंक कर कदम रखते हुए प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया से बच रहे हैं। जैसे जैसे उपचुनाव का समय नजदीक आ रहा है भाजपा में गुत्थम गुत्थी बढ़ती जा रही है। बहरहाल अब देखना होगा कि कमलनाथ का प्रबंधन कौशल चुनावी परिणामों में कितना कारगर साबित होगा ।

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