बेरोजगार युवाओं के लिए आयोजित विभिन्न प्रतियोगी परिक्षाओं का शुल्क कांग्रेस सरकार भरेगी – कांग्रेस का वचन पत्र News Politics by mpeditor - October 23, 2020October 23, 20200 मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने 28 विधानसभा क्षेत्रों में हो रहे उपचुनाव के लिए वचन पत्र जारी किया है। कांग्रेस ने 52 बिंदुओं वाले इस वचन पत्र में प्रदेश के विकास की नई तस्वीर लिखने का दावा किया है। वचन पत्र को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह, पूर्व मंत्री सुरेश पचैरी और राष्ट्रीय प्रभारी सचिव सी.पी. मित्तल ने जारी किया। इस अवसर पर पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा, पी.सी. शर्मा और जीतू पटवारी भी उपस्थित थे। वचन पत्र जारी करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि हमने हमारे वर्ष 2018 के वचन पत्र के 974 बिंदुओं में से 574 बिंदुओं को पूरा कर राजनीति के क्षेत्र में एक आदर्श स्थापित किया। प्रदेश में दोबारा हमारी सरकार बनने पर इस वचन पत्र के सभी बिंदुओं को हम हर हाल में पूरा करेंगे। बेरोजगार युवाओं के लिए विभिन्न प्रतियोगी परिक्षाओं का शुल्क कांग्रेस सरकार भरेगी कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में यह वादा किया है कि बेरोजगार युवाओं के लिए आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं का शुल्क कांग्रेस सरकार भरेगी। इस बार कांग्रेस की तरफ से हर विधानसभा सीट के लिए अलग से वचनपत्र भी तैयार किया गया है। वचन पत्र घोषित करने से पहले कमलनाथ ने शिवराज सरकार पर निशाना भी साधा। इस दौरान जब उनसे उपचुनाव में पर्याप्त सीटें ना आने का सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमने तीन-चार दिन पहले चुनाव प्रचार शुरू किया है। वो 7 महीने से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस ने वचन पत्र में गोवर्धन सेवा योजना, कोरोना से मृत लोगों के परिवार के लिए पेंशन, कोरोना को राज्यस्तरीय आपदा घोषित करने जैसे वचन शामिल किए हैं। इसके अलावा, यदि किसी परिवार के मुखिया की कोरोना की वजह से मौत हो जाती है तो उसके परिवार के किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की भी बात कही गई है। साथ ही किसानों की कर्ज माफी को पूरा करने और गेस्ट टीचर्स को नियमित करने का भी वादा किया गया है। बता दें कि गेस्ट टीचर्स कई सालों से नियमित करने की मांग कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के 22 विधायकों के त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल होने के कारण प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई थी, जिसके कारण कमलनाथ ने 20 मार्च को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।