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संविदा कर्मियों ने राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री से इच्छा मृत्यु देने की मांग की

मध्य प्रदेश के संविदा कर्मियों ने सोमवार पोस्ट कार्ड लिखकर राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री से इच्छा मृत्यु देने की मांग की है। संविदाकर्मी नियमित नहीं किए जाने से नाराज हैं और पिछले 10 सालों से चरणबद्ध आंदोलन कर रहे हैं। संविदा कर्मियों का तर्क है कि वे स्वास्थ्य विभाग से लेकर मध्य प्रदेश के लगभग सभी विभागों में सेवाएं दे रहे हैं। उन्हीं विभागों में नियमित कर्मचारी भी काम कर रहे हैं।

संविदा और नियमित कर्मचारी बराबर का काम करते हैं बल्कि कई विभागों में तो संविदा कर्मी अतिरिक्त जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। फिर भी वेतन भत्ते और सुविधा देने में भेदभाव किया जा रहा है। पिछले 10 सालों में हजारों संविदा कर्मी को निकाल दिया गया है। अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान नहीं है एक तरह से योग्यता होने के बावजूद भी शोषण किया जा रहा है।

मध्य प्रदेश संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सौरभ सिंह चौहान ने बताया कि सोमवार से अभियान के तौर पर आगे भी इच्छा मृत्यु की मांग के लिए पोस्ट कार्ड लिखना जारी रखेंगे।

इन मांगों को लेकर आक्रोशित हैं संविदा कर्मचारी

संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष सौरभ सिंह चौहान ने बताया कि नियमितीकरण न किए जाने एवं 5 जून 2018 सामान्य प्रशासन की संविदा नीति, नियमित समकक्ष पद 90 प्रतिशत वेतनमान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में 2 साल बीत जाने के बाद भी लागू न होने से संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों में सरकार के प्रति आक्रोश है।

कोविड-19 में ड्यूटी के दौरान 6 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की हुई आकस्मिक मृत्यु, स्वास्थ्य विभाग और प्रदेश सरकार द्वारा किसी भी शहीद कोरोना योद्धा के परिवार को 50 लाख रुपए व अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी गई।

इतना ही नहीं मुख्यमंत्री कोविड 19 कल्याण योजना से भी संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों को वंचित रखा गया है। इसलिए संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ प्रदर्शन कर रहे हैं और अगर प्रदर्शन के बाद भी सरकार ने जल्द इनकी मांगों को पूरा नहीं किया तो इनका आंदोलन सड़क पर उतरेगा।

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