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सिग्नल पर भीख मांगने मजबूर कोरोना वारियर्स, हाथों में कटोरा लेकर सड़को पर निकले

भोपाल- कोरोना संकट काल में बीते दो सालों से संक्रमितों की सैंपलिंग, टेस्टिंग, कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग से लेकर मरीजों के बीच रहकर इलाज करने वाले कोरोना वारियर्स इन दिनों राजधानी की सड़कों पर भीख मांग रहे हैं। दरअसल, कोरोना वायरस का प्रकोप कम होते ही सरकार ने फ्रंटलाइन कोरोना योद्धाओं को निकाल दिया है।

राजधानी भोपाल में सिग्नल पर गाडियां खड़ी होते ही पीपीई किट में एनएचएम द्वारा हटाए गए अस्थाई कोरोना योद्धा कटोरा लेकर भीख मांगने पहुंच जाते हैं। वाहन चालकों को निष्कासित हेल्थवर्कर्स यह बता रहे हैं कि भीषण संक्रमण के दौर में अपनी और परिवार की जान की परवाह छोड़कर सेवाएं देने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को अब बाहर कर दिया गया है। इससे दस हजार परिवार प्रभावित हुए हैं।

कोविड-19 योद्धा संघर्ष संगठन के नेता डॉ.देवेन्द्र सूर्यवंशी ने कहा कि जब तक हमारी संविदा नियुक्ति के आदेश नहीं हो जाते हम अपने घर वापस नहीं जाएंगे। सूर्यवंशी ने कहा कि, ‘पिछले 2 वर्ष से कोविड-19 महामारी में दिन-रात कार्य करने वाले कोविड स्टाफ को सरकार ने बजट का बहाना बनाकर निकाल दिया। मुख्यमंत्री से कई बार मिलने और ज्ञापन देने के बाद भी आज तक कोई मांग नहीं मानी गई है। स्वास्थ्य विभाग में हजारो पद खाली पड़े हुए हैं। सरकार वहां सभी कोविड स्टाफ़ को नियुक्त कर सकती है।’

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