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CBSE बोर्ड परीक्षा को लेकर बहस शुरू, सरकार और शिक्षाविद आमने-सामने

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा हाई स्कूल एवं हाईस्कूल की परीक्षाएं आयोजित करवाई जाएं या नहीं, करवाई जाए तो परीक्षा की तारीख क्या है और किस तरह से पेपर सेट किए जाए इसे लेकर बहस शुरू हो गई है। सरकार और शिक्षाविद आमने सामने आ गए हैं। दिल्ली सरकार चाहती है कि परीक्षा की तारीख आगे बढ़ा दी जाए और पेपर सरल हो जबकि शिक्षाविदों का कहना है कि तारीख आगे बढ़ाने की जरूरत नहीं है और कोर्स में जितनी कटौती करनी थी की जा चुकी है।

अरविंद केजरीवाल सरकार ने परीक्षाएं स्थगित करने की मांग की है 

स्कूल प्राचार्यों का मानना है कि बोर्ड परीक्षाओं को स्थगित करना सही कदम नहीं होगा, क्योंकि इससे उच्च शिक्षा की प्रवेश परीक्षाओं और प्रवेश प्रक्रिया का कार्यक्रम भी प्रभावित होगा और इससे छात्रों को भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। बता दें कि दिल्ली सरकार ने पिछले महीने CBSE को पत्र लिखकर मांग की थी कि अगले साल परीक्षाएं पोस्टपोन की जाएं। परीक्षाएं मई से पहले न करवाई जाएं और पाठ्यक्रम भी घटाया जाए, क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के कारण अब भी स्कूल बंद हैं।

इस साल डिस्टेंस लर्निंग से पढ़ाई हुई है

PTI से बातचीत में दिल्ली इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल प्रियंका बरार ने कहा कि बोर्ड परीक्षाएं पोस्टपोन होने का असर दूर रहकर पढ़ाई कर रहे छात्रों के विकास और प्रदर्शन पर पड़ सकता है। उन्होंने तर्क दिया कि यह सत्र डिस्टेंस लर्निंग से परिचित होने का रहा है। ऐसे में छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए ये अलग अनुभव रहा है। कोरोना का टीका बनने को लेकर अभी तक कोई ठोस परिणाम नहीं मिलते दिख रहे हैं। इसलिए फिलहाल अभिभावक बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे। इसलिए अब बोर्ड परीक्षाएं टलने पर वक्त बरबाद करना सही नहीं रहेगा।

शिक्षाविद नहीं चाहते कि बोर्ड परीक्षाओं की तारीख आगे बढ़ाई जाए

शालीमार बाग स्थित मॉर्डन पब्लिक स्कूल की प्राचार्य और दिल्ली सहोदय स्कूल कॉम्प्लेक्स की अध्यक्ष अलका कपूर ने कहा कि इस मुद्दे पर प्राचार्यों और शिक्षकों की राय जानने के लिए एक सर्वे करवाया गया था। उन्होंने बताया कि इसमें हमसे पूछा गया था कि परीक्षाएं कब करवाई जानी चाहिए? अधिकांश स्कूल प्रशासनों ने कहा कि बोर्ड परीक्षाएं 15 मार्च से अधिक नहीं टाली जानी चाहिए।

CBSE ने जितना पाठ्यक्रम घटा दिया उतना काफी है

उन्होंने वजह बताते हुए कहा कि सीबीएसई बोर्ड की बारहवीं की परीक्षा का परिणाम और उच्च शिक्षा की प्रवेश परीक्षाएं आपस में जुड़े हैं। ऐसे में परीक्षाओं को टालने से अनावश्यक भ्रम पैदा होगा। दूसरी वजह ये है कि हम सब इस बात पर सहमत थे कि पाठ्यक्रम को और घटाना ठीक नहीं होगा, बल्कि छात्रों को परीक्षाओं के बीच में कम से कम तीन से चार दिन का अंतर दिया जाए। 

दिल्ली सरकार का तर्क

वहीं सीबीएसई को भेजे पत्र में शिक्षा निदेशालय, दिल्ली सरकार ने कहा था कि कोविड-19 के कारण वर्तमान सत्र के लगभग सात महीने कक्षा में शिक्षण नहीं हो सका। इसलिए सरकार ने सिलेबस घटाने की मांग की थी।

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