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उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बावजूद सरकार दिव्यांग बच्चों शिक्षा देने के नाम पर थोथे गाल बजा रही है- के.के. मिश्रा

  • दिव्यांग बच्चों की शिक्षा के लिए शीघ्र ही विशेष शिक्षकों की नियुक्ति करें सरकार.

भोपाल. मध्य प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने केंद्र और राज्य सरकार द्वारा प्रदेश भर के दिव्यांग बच्चों को उचित शिक्षा मुहैया न कराये जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार दिव्यांग बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है, उनको शिक्षा देने के नाम पर स्कूलांे में एक भी विशेष शिक्षक की भर्ती न कर महज घोषणा कर इतिश्री कर अपने थोथे गाल बजा रही है।
श्री मिश्रा ने कहा कि दिव्यांग बच्चों को उचित शिक्षा और उनके अधिकारांे के लिए वर्ष 1995 में पीडब्लूडी एक्ट बनाया गया था, जिसे बाद में वर्ष 2016 में संशोधित कर आरपीडब्लूडी लागू किया गया, जिसके तहत कक्षा एक से बारहवीं तक के दिव्यांग बच्चे शिक्षा विभाग द्वारा जिसमें विकलांग, दृष्टिबाधित, श्रवणबाधित एवं मानसिक रूप से विकलांग बच्चों को एक विशेष शिक्षक नियुक्त किया जायेगा, लेकिन सरकार ने आज तक प्रदेश के किसी भी शिक्षण संस्था में दिव्यांग बच्चों के लिए शिक्षक की नियुक्ति नहीं की है, सरकार के इस अमानवीय रवैये से इन बच्चों का भविष्य अंधकारमय है। शिक्षा के नाम पर दिव्यांग बच्चों को केवल स्कूलों में बैठाया जा रहा है, ये मूलभूत शिक्षा से पूरी तरह वंचित हैं, जिस ओर सरकार का ध्यान आज तक नहीं जा रहा है।
श्री मिश्रा ने कहा कि प्रदेश भर में लगभग डेढ़ लाख दिव्यांग बच्चे है, जिन्हंे शिक्षा से वंचित रखा जा रहा है, जबकि राज्य सरकार के मुखिया शिवराजसिंह चौहान द्वारा मुख्यमंत्री निवास में 2008 में आयोजित निःशक्तजनों की महापंचायत में घोषणा की गई थी कि जिन विद्यालयांे में कक्षा एक से बारहवीं तक आठ या उससे अधिक विकलांग बच्चे अध्ययनरत हैं, एक विशेष शिक्षक शिक्षा विभाग द्वारा नियुक्त किया जायेगा। सवाल यह है कि प्रदेश भर के डेढ़ लाख दिव्यांग बच्चे कैसे अध्ययन कर रहे होंगे?
श्री मिश्रा ने कहा कि दिव्यांग बच्चों की शिक्षा व्यवस्था हेतु किसी भी प्रकार की कोई पहल न कर राज्य सरकार द्वारा जहां भारतीय पुर्नवास परिषद नई दिल्ली के नियमों की अनदेखी तो की ही जा रही है, वहीं उच्चतम न्यायालय के आदेश की भी अवहेलना की जा रही है, जो कि इन बच्चों के हित में नहीं है। कई शिक्षक संघों द्वारा राज्य सरकार से दिव्यांग बच्चों को उचित शिक्षा हेतु शिक्षक नियुक्ति करने की मांग भी की गई, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात रहे। राज्य सरकार से मांग है कि दिव्यांग बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए शीघ्र ही अलग से विशेष शिक्षकों की नियुक्ति की जाये।

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