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नरेंद्र मोदी-अमित शाह दोनों संविधान को नहीं मानते – दिग्विजय सिंह

  • मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी-अमित शाह ने दबाव और पैसे से पहले गुजरात को चलाया और अब देश को चलाना चाहते हैं। ऐसे हालात में प्रजातंत्र जिंदा कैसे रहेगा।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा है। दिग्विजय ने उन्हें संविधान और नियम नहीं मानने वाला करार दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों ने दबाव और पैसे से पहले गुजरात को चलाया और अब देश को चलाना चाहते हैं। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे हालात में प्रजातंत्र जिंदा कैसे रहेगा। बीजेपी के पास इतना पैसा है कि वो किसी से भी नाम वापसी करा लेगे और निर्विरोध चुनाव जीत लेंगे। प्रजातंत्र के लिए यह जो 20, 25 करोड़ हो रहा है क्या यह अच्छा है।

दिग्विजय सिंह ने आगे आरोप लगाते हुए कहा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस के टिकट पर चुन कर आए जिन विधायकों ने इस्तीफा दिया है, बीजेपी ने पैसे देकर उन्हें अपनी सदस्यता ग्रहण करवाई है। उन्होंने कहा कि इस्तीफा देने वाले एक विधायक ने उनसे भी आठ करोड़ का कर्ज उतारने में मदद मांगी थी। दूसरा विधायक भी पैसों की मांग कर रहा था। उन्होंने बीजेपी पर काली कमाई का पैसा खरीद-फरोख्त में खर्च करने का आरोप लगाया।

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राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह

मध्य प्रदेश बीजेपी पर हमला बोलते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि हंसी आती है, जो लोग बीजेपी की नीति-रीति के खिलाफ चुनाव लड़कर जीते हों, और जनता ने भी बीजेपी के कार्यकाल से नाराज होकर उन्हें चुन कर भेजा हो, अब वो फिर जब जनता के बीच में जाएंगे तो पता चल जाएगा।

‘बिना उचित मुहूर्त के राम मंदिर निर्माण का शिलान्यास होने जा रहा’

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास के मुहूर्त पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि मुहूर्त देखने का काम बीजेपी और कांग्रेस का नहीं है। मुहूर्त पंडित देखते हैं, मगर यह रोजगार भी नरेंद्र मोदी पंडितों से छीन रहे हैं। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का शिलान्यास बिना मुहूर्त देखगे प्रधानमंत्री की सुविधानुसार किया जा रहा है। दिग्विजय सिंह ने दोहराया कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने मुहूर्त देखा है, उसे ही जनता के बीच में उन्होंने रखा है। शिलान्यास न करें, यह नहीं कह रहे हैं बल्कि शुभ मुहूर्त में करें यह कह रहे हैं।

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