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दिग्विजय सिंह ने CM को लिखा पत्र, कार्रवाई की जगह आदिवासियों को प्रताड़ित कर रही पुलिस

इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के संवेदनशील क्षेत्र महू के पास मानपुर थाना एरिया अंतर्गत ग्राम कालीकिराय में जहरीला केमिकल डंप करने का मुद्दा गर्मा गया है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि पुलिस आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए ग्रामीणों को प्रताड़ित कर रही है। सिंह का दावा है कि पुलिस बीजेपी नेताओं के दबाव में आकर यह कृत्य कर रही है।

सीएम को संबोधित पत्र में दिग्विजय सिंह ने लिखा कि, पिछले साल जब देश कोरोना महामारी से जूझ रहा था, तब कुछ लोगों ने समीपवर्ती फैक्ट्रियों से निकला जहरीला रासायनिक कचरा लाकर मानपुर के पास कालीकिराय गांव के खेतों में बहा दिया। ग्रामीणों ने जब रासायनिक पदार्थ देखा तो 4 जून को मानपुर थाने में आवेदन देकर दोषियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने की मांग की। इस जहरीले रसायन के रिसाव होने से आसपास के जल स्त्रोतों का पानी खराब होने लगा और आसपास के लोगों की तबीयत खराब हो रही थी।’

सिंह के मुताबिक शिकायत प्राप्त होने के बाद भी जब पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की तो प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों ने सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ प्रभावित क्षेत्र में ग्राम सभा कर केमिकल डालने के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रस्ताव पास किया और पूर्ण सोशल डिस्टेंसिग के साथ बैठक की। इस सभा में विधायक पांचीलाल मेढ़ा, नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेतृ मेघा पाटकर और सामाजिक कार्यकर्ता आनंद राय अतिथि वक्ता के रूप में शामिल हुए थे। बैठक के बाद हजारों की संख्या में ग्रामीण मानपुर थाने पहुंचे और जहरीला केमिकल फैलाने वाले आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की। पुलिस ने लोगों का आक्रोश को देखते हुए तीन लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया।’

कांग्रेस नेता ने आगे लिखा है कि, ‘इस प्रदर्शन से मानपुर पुलिस कुपित हो गई। पुलिस ने लोकतांत्रिक तरीके से मानपुर थाने में विरोध प्रर्दशन करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं और 600 अज्ञात ग्रामीणों को सबक सिखाने के लिए लॉकडाउन के उल्लंघन का प्रकरण दर्ज कर लिया। प्रर्दशनकारियों में अधिकांश इलाके के आदिवासी समुदाय के लोग थे। जिनके पेयजल स्त्रोत प्रभावित हुये थे। आसपास के गांव में हैंडपंप, कुएं सहित अन्य जल स्त्रोतों का पानी काला और लाल हो गया था। यही केमिकल जब बरसात में बहकर अजनार नदी में गया। यहीं से यह जहरीला केमिकल चंबल, क्षिप्रा, शिवना, कान्ह नदी में मिला और अंत में यह नदियां प्रदेश की जीवन रेखा कहे जाने वाली नर्मदा नदी में मिल गई।’

सिंह के मुताबिक इस जहरीले केमिकल के प्रभाव से जलीय जीव जन्तुओं में मछलियों और केंकड़ों के साथ पानी पीने से अनेक जानवर भी मर गए। सैकडों लोगों की त्वचा खराब हुई और उन्होंने अपना इलाज कराया। उन्होंने आश्चर्य जताया है कि जिस प्रदर्शन में जयस के अंतिम मुजाल्दा सहित सैकड़ों आदिवासी शामिल थे पुलिस ने हक की आवाज उठाने वालों पर दमनात्मक कार्रवाई कर प्रकरण दर्ज कर लिया। पुलिस 9 महीने बाद ग्रामीणों को गिरफ्तार करने की धमकी दे रही है और आरोपियों से समझौता करने का दबाव बना रही है। पुलिस की इस कार्यवाही से ग्रामीणों में सरकार के प्रति गुस्सा है।

राज्यसभा सांसद ने लिखा है कि, ‘मानपुर निवासी महेश भांवर पर 11 जुलाई के बाद 4 प्रकरण दर्ज कर जिलाबदर करने का नोटिस दिया गया। यह आदिवासी वर्ग का नौजवान है जो प्रदर्शन में अग्रणी भूमिका निभा रहा था। प्रदेश के सबसे बडे़ औद्योगिक क्षेत्र वाले इंदौर जिले में जहरीले केमिकल को भोले-भाले ग्रामवासियों के खेतों में डालकर जानलेवा अपराध करने वाले फैक्ट्री संचालकों और उनके लिये ‘‘केमिकल वेस्ट’’ डंप करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने में पुलिस ने कोई तेजी नहीं दिखाई। बल्कि विरोध प्रदर्शन करने वाले कार्यकर्ताओं पर झूठे प्रकरण दर्ज कर प्रताड़ित किया जा रहा है।’

दिग्विजय सिंह ने इसे संविधान के अनुच्छेद 19 में प्रदत्त लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करने के अधिकार का दमन है करार दिया है। साथ ही कहा है कि यह अनुच्छेद 21 में दिये गये जीवन की स्वतंत्रता के अधिकार और स्वास्थ्य के अधिकार को दबाने का प्रयास है। उन्होंने सीएम चौहान से मांग की है कि केमिकल वेस्ट फैलाकर अनेक नदियों और अन्य पेयजल स्त्रोतों को प्रदूषित करने वाले इस मामले की उच्च स्तर से जांच कराई जाए। सिंह ने कहा है कि उन पुलिस वालों की भी जांच हो, जिन्होंने मामले को दबाने के लिये सामाजिक कार्यकर्ताओं और ग्रामवासियों के विरूद्व मुकदमे दर्ज कर लोकतांत्रिक कार्रवाई को कुचलने का प्रयास किया है।

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