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जोखिमपूर्ण कार्य करने वाले विद्युत विभाग के कर्मचारियों के साथ भाजपा सरकार कर रही है खिलवाड़

भोपाल। मध्य प्रदेश विद्युत विभाग में 2010-11 से संविदा नियुक्ति प्रारंभ हुई और वर्तमान में विद्युत विभाग में लगभग 6000 संविदा अधिकारी/ कर्मचारी काम कर रहे हैं, जो आरक्षण एवं भर्ती के नियमों को ध्यान में रखते हुए आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं, जिसमें लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार के माध्यम से भर्ती हुए हैं। पद अनुरूप योग्यता का विवरण:-
1- Assistant engineer& BE@ B-tech
2- Junior engineer& BE@B-tech@ polytechnic
3- Testing assistant & ITI
4- line attendant & ITI
स्टेनोग्राफर आदि पदों के अधिकारी/ कर्मचारी उक्त पद के अनुरूप योग्यता धारी है। विद्युत विभाग में काम कर रहे सभी संविदा इंजीनियर कर्मचारी नियमित पदों के विरुद्ध भर्ती हुए हैं। विद्युत विभाग निरंतर चलने वाला विभाग है, इस विभाग में नियमित अधिकारी कर्मचारियों की बहुत ज्यादा कमी है, लेकिन फिर भी बीजेपी सरकार 6000 पढ़े-लिखे संविदा अधिकारी/ कर्मचारियों को अल्प वेतनभोगी संविदा के रूप में रखे हुए हैं, जो सरासर शोषण और अत्याचार है।
विद्युत विभाग एक ऐसा विभाग है, जिसकी कार्यप्रणाली जोखिम भरी है कई बार तो हमारे विद्युत संविदा कर्मी कार्य के दौरान अपनी जान भी गंवा चुके हैं, अभी तक लगभग 200 से अधिक संविदा कर्मचारियों की विद्युत दुर्घटना में मृत्यु हो चुकी है, जिससे प्रभावित होकर आज 200 से अधिक परिवार इन स्थितियों के शिकार हो गए हैं, विद्युत विभाग में संविदा कर्मचारियों को अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता नहीं है, अपने दायित्वों को निर्वहन करते हुए ड्यूटी के दौरान दुर्घटना मंे अकाल मृत्यु के शिकार हुये हैं, जिनमें से कुछेक नाम इस प्रकार है:-

  1. राहुल कुमार संविदा सहायक अभियंता पिपरिया
  2. राहुल संविदा लाइन अटेंडेंट सेमरी हरचंद सुहागपुर
  3. नितिन कुमार अहिरवार संविदा सहायक यंत्री कटनी
  4. मनीष कडोपे संविदा परीक्षण सहायक भोपाल
  5. बनवारी वर्मा संविदा लाइन अटेंडेंट सीहोर
  6. नीरज समाधिया लाइन अटेंडेंट शिवपुरी
  7. मार्काे संविदा लाइन अटेंडेंट इटारसी
  8. जितेंद्र मरावि लाइन अटेंडेंट भोपाल
  9. जामवंत नागवंशी स्टेनो भोपाल
  10. विनीत तिवारी लाइन अटेंडेंट भिंड
  11. योगेश ठाकरे संविदा लाईन अटेडेट गुडी खंण्डवा (सस)
  12. राजेंद्र हाडा, संविदा लाइन परिचालक, झाबुआ
  13. बापू सिंह बामनिया, संविदा लाइन परिचारक, आलीराजपुर
  14. विनीत तिवारी संविदा लाइन अटेंडेंट भिंड
  15. महेश चौहान, लाइन परिचारक, वितरण केंद्र चापड़ा, संभाग बागली, देवास वृत्त
  16. परसोत्तम परस्ते संविदा लाइनमैन चरवा जबलपुर
  17. मुकेश पंवार, राजगढ़ संभाग – भोपाल
    विद्युत संविदा अधिकारी / कर्मचारी की मृत्यु के उपरांत आज तक उनके परिवार को अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिली है। पेंशन भी नहीं मिलती, दुर्घटना बीमा भी नहीं है, मेडिकल सुविधाएं भी नहीं है। ऐसे ना जाने कितने नाम इस लिस्ट में शामिल नहीं है। यही नहीं इन घटनाओं के शिकार हुये कुछ कर्मचारियों के परिवारजनों की वीडियों भी हमारे पास उपलब्ध हैं। बिजली विभाग में आये दिन किसी न किसी जिले में एक या दो कर्मचारियों की करंट लगने से मृत्यु हो रही है।
    दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने विधानसभा चुनाव 2013 के समय पार्टी का जन संकल्प 2013 जारी किया था, जिसमें विद्युत विभाग के पृष्ठ क्रमांक 33 बिंदु क्रमांक 9.6 पर स्पष्ट संकल्पित घोषणा है की विद्युत संविदा कर्मचारियों को भाजपा की प्रदेश में सरकार बनने के पश्चात नियमित किया जाएगा, आज वर्तमान में 2023, तक 9 वर्ष बीत जाने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी का विद्युत संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का संकल्प अधूरा है। भाजपा सरकार ने नियमित नियुक्ति हेतु विज्ञापन जारी किया, लेकिन संविदा नियुक्ति देकर इन 6000 कर्मचारियों के भविष्य के साथ छल और खिलवाड़ किया। सरकार ने 01 अप्रेल 2018 में एक ट्वीट के माध्यम से ऐसे कर्मचारियों के साथ छलावा करने का कुत्सित कृत्य भी किया। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह को बीते 9 वर्षों में अब तक इन पीड़ित कर्मचारियों के बात सुनने के लिए समय तक नहीं मिला। वहीं कमलनाथ जी की 15 माह की सरकार में स्वयं कमलनाथ जी इन कर्मचारियों से बैठकर लगभग एक घंटे से अधिक का समय दिया और उनके निराकरण संबंधी चर्चा की। यदि कमलनाथ सरकार आगे चलती तो इन कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित होता।
    क्या यह वही भाजपा का जनसंकल्प पत्र है जिस का दंभ केंद्र के गृहमंत्री एवं मध्य प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान भरते हैं। शिवराज जी से सवाल है कि वह ऐसा क्यों कर रहे हैं? शिवराज जी आप पढ़े-लिखे B&tech,BE,ITI जैसे उच्च शिक्षित युवाओं को क्यों अंधेरे में ढकेल रहे? यहीं नहीं विद्युत विभाग में 6000 कर्मचारी जो कि संविदा पर कार्यरत हैं, लेकिन उनके अलावा लगभग 40 हजार से अधिक यानि 80 प्रतिशत कर्मचारी आउटसोर्सिंग द्वारा विभिन्न एजंेसियों और कंपनियों के माध्यम से काफी कम वेतन पर काम कर रहे हैं, इनकी जान पर वैसा ही जोखिम हैं, जिस तरह से ये 200 लोंगों की जिंदगी समाप्त हो चुकी है।
    शिवराज जी आप तो विद्युत विभाग के संविदा कर्मचारियांे/ अधिकारियों को धोखे में रखकर उनका भविष्य बर्बाद कर रहे हैं, आप 9 साल से इतनी उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं से संविदा नौकरी करवा रहे हो? ना तो आप उनको पूरा वेतन दे पा रहे हैं ना ही आप उनको मेडिकल सुविधाएं दे रहे हैं ना ही उनका बीमा सुविधा दे रहे है और ऊपर से रोज़ उनकी जान जौखिम मैं डाल रहे है। शिवराज जी जो 200 कर्मचारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए ऑनडूटी के दौरान काल के गाल में समाए हैं उनके परिवार का लालन-पालन कौन करेगा? उन 200 लोगों की जान के हत्यारे आप है, उनके परिवार को बेघर करने वाले आप है। जवाब दे और आप है की रोज़गार मेले का ढोंग कर रहे है युवाओं के भविष्य को बर्बाद करके कैसा युवा समागम?
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