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सरकार ने अब तक कोरोना पर 350 करोड़ का खर्च किया, फिर भी नहीं रुक रहा संक्रमण

  • सरकारी आशंका- अक्टूबर अंत तक कुल खर्च बढ़कर 450 करोड़ रु. तक पहुंच सकता है, क्योंकि संक्रमण दोगुना हो जाएगा।
  • प्रदेश में 5 माह 17 दिन में कोरोना पर सरकारी व्यय का लेखा-जोखा।

कोरोना इंसानों की जिंदगी के साथ ही प्रदेश का बजट भी लील रहा है। 24 मार्च से अब तक यानी 5 माह 17 दिन में सरकार कोरोना के इलाज और इंतजामों पर 350 करोड़ रु. खर्च कर चुकी है। इसमें भी 125 करोड़ रु. सिर्फ कोरोना की जांचों पर खर्च हुए। फिर भी संक्रमण बेकाबू है। गुरुवार को प्रदेश में रिकॉर्ड 2187 नए केस मिले। कुल संक्रमित 81 हजार के पार (81379) पहुंच गए।

यदि कुल खर्च को कुल मरीजों के लिहाज से देखें तो सरकार अब तक हर मरीज पर अनुमानित 43 से 45 हजार रु. खर्च कर चुकी है। यह सिर्फ सरकारी खर्च है, इसमें होम आइसोलेशन के मरीजों का खर्च शामिल नहीं है, क्योंकि ये मरीज घर में रहते हैं। सरकार का अनुमान है कि अक्टूबर तक संक्रमण दोगुना हो जाएगा। ऐसे में कुल खर्च भी 450 करोड़ तक पहुंच सकता है।

स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान का कहना है कि अभी 150 करोड़ रु. रखे हैं। जरूरत पड़ी तो व्यवस्था हो जाएगी। सूत्रों की मानें तो सरकार ने हाल ही में एक हजार करोड़ का कर्ज लिया है। केंद्र से इस साल जीएसटी की क्षतिपूर्ति का पैसा भी करीब 10-11 हजार करोड़ रु. कम आने की संभावना है। ऐसे में मुश्किल बढ़ सकती है।

125 करोड़ रुपए के कोरोना टेस्ट हो चुके

केंद्र की ओर से मप्र को 185 करोड़ रुपए कोविड के लिए मिले हैं। मप्र ने 165 करोड़ रुपए लगाए हैं। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 350 करोड़ रु. में से 125 करोड़ रु. तो मरीजों के सैंपल की जांच व किट में खर्च हुए हैं।

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