मप्र उपचुनाव के लिए कराए गए सर्वे में कांग्रेस ने 25 से अधिक सीटों पर बढ़त बनाई News Politics by mpeditor - October 30, 2020October 30, 20200 मध्यप्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व से चल रही कांग्रेस सरकार को गिराकर, पीछे के दरवाजे से गद्दी पर पहुचे शिवराज और बीजेपी को लोगों ने अपनी राय मतों से बहुत हद तक स्पष्ट करा दी है। मध्यप्रदेश के मतदाताओं ने प्रदेश में हुए अलोकतांत्रिक घटनाक्रम को अस्वीकार किया है। यह हाल में कराए गए सर्वे से साफ हो रहा है। 15 साल के बीजेपी शासन में जनता शिवराज सिंह चौहान के झूठे वादों से तंग आ गई थी। जिसके परिणाम स्वरूप मध्यप्रदेश की जनता ने शिवराज सिंह को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाते हुए कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई थी। कांग्रेस ने मध्यप्रदेश का चुनाव किसान, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के मुद्दे पर लड़ा था। इसको पूरा करने के लिए कमलनाथ सरकार वचन बद्ध थी। जिसे काफी हद तक पूरा भी किया। बिजली के दामों में अपेक्षा से अधिक कमी की गई। किसानों का कर्जा माफ सबसे पहले सरकार के गठन के बाद किया गया। प्रदेश में बेरोजगारी कम करने के लिए कमलनाथ प्रदेश में उद्योग लाए। साथ में सही प्रबंधन के चलते साढ़े चार प्रतिशत से अधिक बेरोजगारी दर कम हुई थी। वो भी उस समय में जब देशभर में बेरोजगारी सबसे ऊंचे मानक तय कर रही थी। आधुनिक दौर सोशल मीडिया का दौर है। यहाँ लोगों को वह भी दिखाई देता है, जो राजनेता दिखाना नहीं चाहते है। लोगों तक सही आंकड़े पहुचे और जब कमलनाथ की सरकार नहीं रही तो कांग्रेस पार्टी ने अपना पक्ष लोगों के समक्ष रखा जिसका असर सर्वे में स्पष्ट तौर पर दिखाई देने लगा है। साथ में मोदी सरकार, शिवराज सिंह, और सिंधिया की घटती लोकप्रियता को भी उजागर कर रहा है। इसकी एक वजह कोरोना काल में मोदी सरकार के अविवेकपूर्ण निर्णय और देश में बढ़ते अलोकतांत्रिक घटनाक्रम भी हैं। जब देश कोरोना के संकट से लड़ रहा था, तब एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे शिवराज और सिंधिया मिलकर सत्ता के खेल में उलझे थे। जिसका असर यह हुआ कि सिंधिया के प्रभाव वाली ग्वालियर-चंबल की सभी 16 सीटों पर कांग्रेस में 13 से 15 सीटों पर बढ़त बना ली रखी है। वहीं आदिवासी बाहुल्य सीटों पर भी कांग्रेस का ही बोलबाला है। पिछले दिनों यह आंकड़ा इतना अधिक कांग्रेस के पक्ष में नहीं था। जितना बीजेपी की खरीद-फरोख्त के बाद कांग्रेस के पक्ष में आ गया है। क्योंकि प्रदेश की जनता ने ‘बिकाऊ नहीं टिकाऊ’ के नारे को आत्मसात किया है। जिसका असर यह हुआ कि कांग्रेस 28 में से 27 सीटों पर न सिर्फ कड़ी टक्कर दे रही है बल्कि जीतने के पूरे समीकरण बनते नजर आ रहे हैं। इसके पीछे बीजेपी के अंदर असंतुष्टों का आक्रोश भी है।