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अमृत काल के सपनों को पूरा करने में भारत की श्रम शक्ति अहम भूमिका निभाएगी : प्रधानमंत्री मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को जोर देकर कहा कि अमृत काल में एक विकसित राष्ट्र के निर्माण के भारत के सपनों और आकांक्षाओं को साकार करने में भारत की श्रम शक्ति की बहुत बड़ी भूमिका है और इसी सोच के साथ देश संगठित और असंगठित क्षेत्र के करोड़ों श्रमिकों के लिए लगातार काम कर रहा है।

प्रधानमंत्री आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के श्रम मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव और रामेश्वर तेली तथा राज्यों के श्रम मंत्री उपस्थित थे। दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन आंध्रप्रदेश के तिरुपति में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।

सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृतकाल में विकसित भारत के निर्माण के लिए हमारे जो सपने हैं, जो आकांक्षाएं हैं, उन्हें साकार करने में भारत की श्रम शक्ति की बहुत बड़ी भूमिका है। इसी सोच के साथ देश संगठित और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले करोड़ों श्रमिक साथियों के लिए निरंतर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्रम-योगी मानधन योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना जैसे अनेक प्रयासों ने श्रमिकों को एक तरह का सुरक्षा कवच दिया है।

उन्होंने कहा कि ऐसी योजनाओं के कारण असंगठित क्षेत्रों में काम करने वालों के मन में ये भाव जगा है कि देश उनके श्रम का भी उतना ही सम्मान करता है। प्रधानमंत्री ने इस दिशा में किये जा रहे केंद्र और राज्यों के प्रयासों को संवेदनशीलता के साथ एक साथ लाने की जरूरत बताई ताकि श्रमिकों को उनका अधिक से अधिक लाभ मिल सके।

देश की अर्थव्यवस्था पर इन प्रयासों के प्रभाव का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में हम इसके साक्षी बने हैं। उन्होंने कहा कि आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना से लाखों छोटे उद्योगों को मदद मिली। एक अध्ययन का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस योजना के कारण करीब 1.5 करोड़ लोगों का रोजगार जाने से बच गया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना के दौर में ईपीएफओ ने भारत में श्रम बल को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हजारों करोड़ रुपये कर्मचारियों को एडवांस के तौर पर दिये गये। ई-श्रम पोर्टल इस बात का एक और उदाहरण है कि कैसे भारत असंगठित क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है। निर्माण जैसे क्षेत्रों में काम करने वालों को अब सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है

उन्होंने कहा कि हम देख रहे हैं कि जैसे जरूरत के समय देश ने अपने श्रमिकों का साथ दिया, वैसे ही इस महामारी से उबरने में श्रमिकों ने भी पूरी शक्ति लगा दी है। आज भारत फिर से दुनिया की सबसे तेजी से आगे बढ़ कर रही अर्थव्यवस्था बना है, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय हमारे श्रमिकों को ही जाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रम शक्ति को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के लिए ई-श्रम पोर्टल एक प्रमुख पहल है। पोर्टल पर महज एक साल में 400 क्षेत्रों के करीब 28 करोड़ श्रमिकों का पंजीकरण हुआ है। इससे निर्माण श्रमिकों, प्रवासी मजदूरों और घरेलू कामगारों को विशेष रूप से लाभ हुआ है। उन्होंने सभी मंत्रियों से राज्य के पोर्टलों को ई-श्रम पोर्टल से जोड़ने का अनुरोध किया।

उन्होंने आगे कहा कि बीते आठ वर्षों में हमने देश में गुलामी के दौर के और गुलामी की मानसिकता वाले कानूनों को खत्म करने का बीड़ा उठाया है। देश अब ऐसे लेबर कानूनों को बदल रहा है, रीफॉर्म कर रहा है, उन्हें सरल बना रहा है। इसी सोच से 29 लेबर कानूनों को 4 सरल लेबर कोड्स में बदला गया है। इन सुधारों के माध्यम से हमने मजदूरों के लिए मूल वेतन, स्वास्थ्य बीमा और अन्य लाभ सुनिश्चित किए हैं।

प्रधानमंत्री ने बदलते परिदृश्य के अनुसार बदलाव की जरूरत दोहराई। उन्होंने त्वरित निर्णय लेकर और उन्हें तेजी से लागू करके चौथी औद्योगिक क्रांति का पूरा लाभ उठाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत पहली, दूसरी और तीसरी औद्योगिक क्रांतियों का लाभ लेने में पिछड़ गया, लेकिन चौथी औद्योगिक क्रांति के समय भारत को तेजी से निर्णय भी लेने होंगे और उन्हें तेजी से लागू भी करना होगा।

प्रधानमंत्री ने काम की बदलती प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दुनिया आज डिजिटल युग में प्रवेश कर रही है। उन्होंने कहा कि देश का श्रम मंत्रालय अमृतकाल में वर्ष 2047 के लिए अपना विज़न भी तैयार कर रहा है। भविष्य की जरूरत है लचीले कार्यस्थल, घर से काम करने वाला पारिस्थितिकी तंत्र और फ्लेक्सी काम के घंटे। उन्होंने कहा कि हम लचीला कार्यस्थल जैसी व्यवस्थाओं को महिला श्रमशक्ति की भागीदारी के लिए अवसर के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।

15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने देश की नारी शक्ति की पूर्ण भागीदारी का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि नारी शक्ति का सही उपयोग करके भारत अपने लक्ष्यों को तेजी से प्राप्त कर सकता है। प्रधानमंत्री ने देश में नए उभरते क्षेत्रों में महिलाओं के लिए क्या किया जा सकता है, इस दिशा में सोचने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

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