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कमलनाथ ने सरकार पर आदिवासी समाज को बांटने का लगाया आरोप

भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने प्रदेश सरकार पर आदिवासी समाज को बांटने का आरोप लगाया है। रविवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय मेंं मीडिया से बातचीत करते हुए कमलनाथ ने कहा कि जो आदिवासी समाज हमेशा से ही एक रहा है, वह एक नहीं रहे यह आज भाजपा का लक्ष्य है। आज सरकार का फोकस आदिवासी समाज को बांटने का है।

पूर्व सीएम ने कहा कि वह एक तरफ इवेंट करती है और दूसरी तरफ आदिवासी समाज को बांटने का काम भी कर रही है। भील-भिलाला, गौंड-कोरकू को बांटने में लगे हैं। ताकि हमेशा एक रहने वाला आदिवासी समाज बंट जाए। ईवेंट के बहाने ये आदिवासियों में ऐसा माहौल पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की जो उपजातियां हैं, उनके कई संगठन है, उनको यह पैसा, प्रलोभन देकर समाज को बांटने का प्रयास कर रहे हैं। भाजपा का शुरू से प्रयास लोगों को बांटने का रहता है, कभी धर्म के नाम पर, कभी जाति के नाम पर। ये इनका गेम प्लान है।कुपोषण और बेरोजगारी की बात नहीं करतेकमलनाथ ने निशाना साधते हुए कहा कि आज यह चीता छोड़ रहे हैं लेकिन कुपोषण पर बात नहीं कर रहे हैं, बेरोजगारी पर बात नहीं कर रहे हैं। यह आज प्रदेश के हालत है और यह जनता को गुमराह करने का काम कर रहे हैं। जो वास्तविक मुद्दे हैं, जो आज प्रदेश और हर व्यक्ति के भविष्य से जुड़े हुए मुद्दे हैं, उससे आज ध्यान बांटने का काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा श्योपुर जिला देश का सबसे ज्यादा कुपोषित जिला है, इसके गवाह तो खुद सरकारी आंकड़े हैं। चीता तो यह एक माह बाद भी छोड़ सकते थे, पहले यह कुपोषण दूर करने के लिए कैंप लगाते, कुपोषण दूर करने के उपाय करते लेकिन इन्हें तो चीता इवेंट करना था।

कमलनाथ ने कहा कि आज श्योपुर जिला कुपोषित के साथ-साथ सबसे गरीब जिला भी है और वहां के रहवासियो के भविष्य की इनको कोई चिंता नहीं और वहां जाकर यह लेक्चर दिया जा रहा है कि पर्यावरण के लिए यह सही है, यह सब नाटक आज चल रहा है। सरकार को कुपोषण को दूर करने को लेकर कार्य योजना बनानी चाहिये। पूर्व सीएम ने तंज कसते हुए कहा कि वहाँ गिर के शेर आने चाहिये थे। जब मेरी सरकार थी, जब मैं मुख्यमंत्री था तब मैंने इसको लेकर खूब प्रयास किए। मैंने इसको लेकर सरकार से बात भी की थी कि यहां पूरी तैयारी है, आप गिर के शेर भेज दीजिए लेकिन उन्होंने शेर भेजने से मना कर दिया। अब शेर तो भेजे नहीं गुजरात से, अफ्रीका से चीता ले आये ध्यान बांटने के लिये। हम जनहित के मुद्दों पर लगातार आवाज उठा रहे हैं। आज की जनता समझदार हैं, इनकी सच्चाई को देख रही है।

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