कमलनाथ ने प्रदेश सरकार के पेसा नियम को बताया आदिवासी विरोधी Politics by mpeditor - November 15, 2022November 15, 20220 भोपाल। मप्र के शहडोल में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस के राज्य स्तरीय समारोह में आज नियमावली का विमोचन कर पेसा एक्ट लागू किया। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में पेसा एक्ट लागू किया। पेसा एक्ट लागू किये जाने पर मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए इसे आदिवासी विरोधी बताया है। साथ ही उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रदेश सरकार ने सिर्फ दिखावे के लिए पेसा कानून लागू किया है। कमलनाथ ने मंगलवार को अपने एक बयान में कहा कि मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार आदिवासियों के लिए पेसा कानून लागू करने के नाम पर आदिवासी हितैषी होने का ढोंग कर रही है। केंद्र सरकार ने 1996 में पेसा कानून बनाया था, लेकिन भाजपा सरकार की आदिवासी विरोधी मानसिकता के कारण पिछले 26 साल से यह कानून प्रदेश में लागू नहीं हो सका। अब जब प्रदेश सरकार ने यह कानून लागू किया है तो उसके नियम इस तरह से बनाए गए हैं कि आदिवासियों को वास्तव में कोई फायदा ही ना मिल सके।पूर्व सीएम ने कहा कि जब 1996 में केंद्र सरकार ने यह कानून बनाया था तब प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इसे लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी और आवश्यक विधायी कार्य किए जा रहे थे। लेकिन 2003 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद से पेसा कानून को लागू न करने का षड्यंत्र किया गया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने पेशा कानून के लिए जो नियम बनाए हैं उनसे स्पष्ट होता है कि सरकार की मंशा आदिवासियों को अधिकार देने की नहीं है बल्कि आदिवासी हित के नाम पर पैसे की बंदरबांट करने की है।कमलनाथ ने सवाल उठाते हुए कहा कि प्रश्न यह है कि किसको समर्थ बनाने के लिए यह कार्य हो रहा है? आदिवासी समुदाय को या नौकरशाही को? आदिवासी हाथ जोड़े खड़ा हो तो क्या यह पेसा कानून के मूल भावना के प्रतिकूल होकर सरकार की नियत को आदिवासी विरोधी प्रमाणित नहीं करता? कमलनाथ ने कहा कि आदिवासी समाज को सशक्त बनाने का प्रावधान ऐसा होना चाहिए था कि वन विभाग का कर्मचारी आदिवासी ग्राम सभा से अनुमति लेता, यदि उसे तेंदूपत्ते का संग्रहण और विपणन करना हो। प्रावधान तो यह होना चाहिये था कि वन विभाग को आदिवासी ग्रामसभा से अनुमति लेनी पड़ेगी, तभी आदिवासी सशक्तिकरण होता। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लागू किए जा रहे पेसा नियम आदिवासी क्षेत्रों में उनकी सामाजिक, संस्कृति और जीवन शैली के अनुकूल स्वशासन की स्थापना करने की निहित मंशा को समाप्त करते हैं।कमलनाथ ने कहा कि इन नियमों को निर्मित करने के पूर्व आदिवासी समाज से गहन विचार विमर्श, सुझाव लेना, सर्व दलों की बैठक करना और आदिवासी स्वीय विधियों की पूर्णत: अनदेखी भाजपा सरकार द्वारा बनाए नियमों की प्रासंगिकता को शून्य कर देती है और सरकार की आदिवासी समाज के प्रति सोच और गंभीरता को प्रकट करता है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को आदिवासी समुदाय के साथ छल करने की मानसिकता छोड़ देनी चाहिए और इमानदारी से आदिवासी समुदाय का सम्मान और कल्याण करना चाहिए।