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खासगी ट्रस्ट ने रामेश्वरम, हरिद्वार सहित 5 शहरों में ही 18 संपत्तियां बेची

गुरुवार को इंदौर आए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि खासगी ट्रस्ट किसी की जागीर नहीं है। इसमें गड़बड़ी करने वालों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी। इसके बाद भोपाल में भी मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस ने संपत्तियों पर कब्जा लेने के निर्देश दिए। इधर, खासगी ट्रस्ट ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर दी है। दूसरी तरफ, ट्रस्ट की संपत्तियों को लेकर नए खुलासे हो रहे हैं।

सरकार के पास मौजूद रिकॉर्ड के अनुसार, रामेश्वरम की तीन, जिसमें ज्योतिर्लिंग मंदिर के पास की कीमती जमीन भी है, के अलावा खंडवा की दो, पुष्कर की दो, हरिद्वार की एक और जेजुरी महाराष्ट्र स्थित 10 संपत्तियों के सौदे हो चुके हैं। यही नहीं, कुशावर्त घाट को बेचने का सौदा निजी ट्रस्ट बताकर कर दिया। शेष संपत्तियों को लेकर इलाहाबाद से लेकर हरिद्वार, वृंदावन, अयोध्या में 42 केस चल रहे हैं।

खासगी ट्रस्ट की संपत्तियों को बेचने के लिए ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने अलग-अलग तरह के खेल किए। साल 1962 में गठित ट्रस्ट को पहले सरकारी ट्रस्ट बताकर रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट से संपत्ति बेचने के लिए छूट ले ली गई और तत्कालीन मुख्य सचिव एमपी श्रीवास्तव ने भी जून 1969 में संपत्ति बेचने की मंजूरी का पत्र जारी कर दिया। लेकिन इसके बाद 1972 में नई ट्रस्ट डीड बनाकर संपत्ति बेचने का प्रावधान कर दिया गया, जबकि मूल ट्रस्ट गठन में केवल संपत्ति के प्रबंधन की ही जिम्मेदारी थी।

खंडवा स्थित गोहदपुरा की करीब सवा हेक्टेयर जमीन बेचने के सौदे के सिवा ट्रस्ट द्वारा कभी रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट से संपत्ति बिक्री के लिए कोई मंजूरी नहीं ली गई है। साल 2017 में रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट द्वारा संभागायुक्त को भेजे गए पत्र और धार्मिक संस्थानों का जिम्मा संभालने वाले माफी अधिकारी की रिपोर्ट में साफ है कि ट्रस्ट द्वारा कभी भी पुष्कर, रामेश्वरम, हरिद्वार सहित अन्य संपत्तियां बेचने के लिए कभी रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट से कोई मंजूरी नहीं ली गई है।

दूसरे दिन भी ईओडबल्यू ने दस्तावेज हासिल करने के प्रयास किए
ईओडब्ल्यू एसपी धनंजय शाह के मुताबिक दूसरे दिन भी बेची गई संपत्ति के दस्तावेज और अन्य संपत्तियों की जानकारी हासिल करने के प्रयास किए। डीएसपी अजय जैन की टीम ने संभागायुक्त कार्यालय कुछ दस्तावेज प्राप्त हुए। ट्रस्ट को तीन दिन में पूरा रिकॉर्ड उपलब्ध कराने को कहा है। 26 राज्यों में जाएगी 39 सदस्यों वाली जांच टीम, हर जगह की वीडियोग्राफी होगी शासन ने खासगी की देशभर में फैली संपत्तियों की जांच और वस्तुस्थिति के लिए 39 सदस्यीय टीम बनाई है। दो से तीन सदस्यों की टीम 26 राज्यों में 250 संपत्ति की वास्तविक स्थिति पता करेगी। हर जगह की वीडियोग्राफी करेगी।

संपत्ति की पड़ताल के लिए हर शहर में जाएगी एक टीम
मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने गुरुवार को इस पूरे मामले का रिव्यू किया। इसमें अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव व इंदौर कमिश्नर के साथ धर्मस्व विभाग के अधिकारी भी रहे। एक घंटे चली बैठक में दो सौ से ज्यादा संपत्तियों, अदालत के फैसले, पूरानी ट्रस्ट डीड और जमीनों की खरीद-बिक्री से जुड़ीं जानकारियों की मुख्य सचिव ने जानकारी ली। साथ ही तय किया कि तमाम संपत्तियों की जानकारी एक एप पर भी डाली जाएगी, ताकि नजर रखी जा सके।

संपत्ति देखरेख के लिए सिस्टम बने : महाजन
लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुुमित्रा महाजन ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को खासगी ट्रस्ट की संपत्तियों के संबंध में पत्र लिखकर कहा है कि देवी अहिल्या की संपत्तियों की देखभाल अच्छे से हो सके, आम जन वहां पहुंच सकें, इसके लिए एक सिस्टम बनाया जाना चाहिए।

यह संपत्तियां बिक चुकीं

  • रामेश्वरम- अन्नक्षेत्र, ज्योतिर्लिंग के पास की जमीन, पर्वत काठबाग और हनुमान मंदिर(2008, 2004 व 2003 में सौदे)
  • खंडवा- गोहदपुरा की साढ़े तीन एकड़ जमीन (1998 और 2004 में दो सौदे)
  • पुष्कर- सरकारी नोहरा, मकान व गणेश मंदिर की छत (1984, 2011)
  • हरिद्वार- कुशावर्त घाट (अप्रैल, सितंबर 2009 में 2 सौदे)
  • जेजुरी- गांव की 10 जमीनें (2008 से 2012 के बीच सौदे)

भास्कर : आप तो संपत्ति के कस्टोडियन रहे, फिर कैसे बिक गई
बीपी सिंह : देखना होगा बोर्ड के सामने क्या जानकारी लाई गई थी

तत्कालीन कमिश्नर, पूर्व मुख्य सचिव व वर्तमान में राज्य निर्वाचन आयुक्त से सीधी बात

  • चार साल इंदौर कमिश्नर रहे, आपको पता नहीं था कि जमीनें बिक रही हैं? – कुछ चीजें बिक रही हैं ये तो पता था। लेकिन इसके लिए वाजिब वजह बताई गई। ट्रस्ट के बोर्ड के सामने लाया गया। ऐसा है, चीजें कंट्रोल में ही नहीं रहेंगी। चारों तरफ से घिर जाएं या अतिक्रमण हो गया तो क्या ठीक है। पहले भी तो बिक्री होती रही।
  • आप तो संपत्ति के कस्टोडियन रहे, फिर ऐसा कैसे हो गया? – ट्रस्ट में कई लोग रहते हैं। मैं अकेला नहीं। ट्रस्ट के बोर्ड के सामने क्या जानकारी लाई जाती है, उसी आधार पर निर्णय लिया जाता था। अब देखना होगा उस समय बोर्ड के सामने क्या जानकारी लाई गई थी।
  • ट्रस्ट को जमीन बेचने का अधिकार नहीं हैं, यह पता था? – देखिए, अदालत का एक पूर्व का आदेश अभी इंदौर हाईकोर्ट ने पलटा है। मनोज श्रीवास्तव ने रिसर्च करके जो रिपोर्ट बनाई थी, उसी आधार पर कोर्ट ने फैसला दिया है। अब यह मसला सुप्रीम कोर्ट चला गया है। मुझे ऐसी जानकारी मिली है। इसलिए कुछ भी कहना अब ठीक नहीं रहेगा।
  • इलाहाबाद की प्रोपर्टी बेचने के मामले में आपका नाम भी चर्चा में है? – कागज देख कर ही बता पाऊंगा। काफी पुराना मामला है। मुझे लगता है कि करीब 12-13 साल पहले की बात है।
  • अदालत की ओर से आपको कोई नोटिस दिया गया? – अभी मुझे इस मामले में कोई नोटिस नहीं मिला।
  • (8 जून 2007 से 23 मई 2011 तक इंदौर कमिश्नर रहे बसंत प्रताप सिंह)

एमपी श्रीवास्तव मुख्य सचिव थे, ट्रस्टी (अब दिवंगत) क्या करना था- ट्रस्ट की संपत्तियों का प्रबंधन क्या हुआ- 1969 में संपत्ति बेचने की छूट दी। (हाईकोर्ट ने कहा है कि उनका जारी पत्र सिर्फ विभागीय है, उस आधार पर बेच नहीं सकते। बीएन श्रीवास्तव (तत्कालीन ट्रस्टी व सुप्रीटेंडेंट इंजीनियर) क्या करना था- संपत्तियों का प्रबंधन, बचाव क्या हुआ- प्रस्ताव से मल्होत्रा को अधिकृत किया। क्या कहना है- निर्माण होते तो बात रखता, सौदों से लेना-देना नहीं।

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