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निकाय चुनाव: उम्मीदवार चयन में BJP से आगे निकली कांग्रेस, मेयर पद के 8 प्रत्याशी फाइनल

भोपाल। नगरीय निकाय चुनाव के लिए उम्मीदवार चयन में कांग्रेस ने बाजी मार ली है। कांग्रेस ने इंदौर-भोपाल समेत 8 नगर निगमों में मेयर पद का प्रत्याशी फाइनल कर लिया है। शेष आठ शहरों को लेकर भी मंथन जारी है और शुक्रवार तक उनका नाम भी फाइनल हो जाएगा। उधर बीजेपी में उम्मीदवार चयन को लेकर माथापच्ची जारी है। आंतरिक विवादों के कारण सत्ताधारी दल अबतक एक भी प्रत्याशी फाइनल नहीं कर सकी है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक भोपाल से कांग्रेस ने मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष विभा पटेल का नाम तय कर लिया है। विभा पटेल बीजेपी की राजो मालवीय को हराकर साल 1999 में महापौर बनी थी। बुधवार को पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के आवास पर विभा पटेल की चुनावी रणनीति को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक की गई। इस दौरान वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी, विधायक पीसी शर्मा, तरुण भनोट, आरिफ मसूद, महिला कांग्रेस की नेत्री नूरी खान समेत कई लोग मौजूद थे।

उधर इंदौर में कांग्रेस ने मेयर पद के लिए विधायक संजय शुक्ला का नाम फाइनल कर लिया है। हफ्तेभर पहले से ही संजय शुक्ला ने चुनाव प्रचार शुरू कर दिया। इंदौर में कांग्रेस संगठन मजबूती से संजय शुक्ला के साथ खड़ी नजर आ रही है। इसी तरह जबलपुर से शहर कांग्रेस अध्यक्ष जगत बहादुर सिंह ‘अन्नू” का नाम तय किया गया है। राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा और पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोट ने अन्नू का नाम प्रस्तावित किया था। बताया जा रहा है कि 30 मई को ही पीसीसी चीफ कमलनाथ ने अन्नू को चुनाव की तैयारी करने के निर्देश दे दिए थे।

इसी तरह उज्जैन से महेश परमार का नाम फाइनल किया गया है। परमार तराना से विधायक हैं। खंडवा और बुरहानपुर से कैंडिडेट चयन की जिम्मेदारी अरुण यादव को दी गई थी। उन्होंने खंडवा से लक्ष्मी यादव और बुरहानपुर से पूर्व निगम अध्यक्ष गौरी शर्मा का नाम प्रस्तावित किया है। सागर में पूर्व विधायक सुनील जैन की पत्नी निधि जैन को कांग्रेस मैदान में उतारेगी, जबकि रीवा से अजय मिश्रा का नाम फाइनल कर लिया गया है।

दूसरी ओर सत्ताधारी दल बीजेपी महापौर पद के लिए अबतक एक भी प्रत्याशी का चयन नहीं कर पाई है। इतना ही नहीं बताया जा रहा है कि बीजेपी समितियों का गठन भी नहीं कर पाई है। सभी क्षेत्रों में 2-3 धड़े के दावेदार ताल ठोंक रहे हैं। लेकिन आंतरिक विवाद के कारण किसी का भी नाम तय नहीं हो सका है। यह स्थिति तब है जब वर्तमान में प्रदेश के सभी 16 नगर निगम पर बीजेपी का कब्जा है। बहरहाल, नामों को लेकर उहापोह की स्थिति के कारण बीजेपी कार्यकर्ता भी हतोत्साहित नज़र आ रहे हैं।

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