इंदौर में दलित महिला का दाह संस्कार रोकने पर दिग्विजय सिंह ने कहा – एमपी सरकार अभी भी मौन क्यों ? News Politics by mpeditor - September 12, 2020September 12, 20200 मध्यप्रदेश के इंदौर से एक मानवता को शर्मसार करने वाली खबर आई है। जिले में एक महिला के शव का अंतिम संस्कार बस इसलिए रोक दिया गया क्योंकि वह दलित थीं। घटना जिले के देपालपुर तहसील के ग्राम चटवाड़ा का है जहां शुक्रवार (11 सितंबर) को दबंगों ने एक दलित महिला के शव को श्मशान में नहीं जलाने दिया गया। इस घटना को कांग्रेस नेता व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने शर्मनाक बताया है और सरकार की चुप्पी पर अचरज जताया है। दरअसल, कमला बाई नामक एक दलित महिला का निधन हो गया था जिसके बाद परिजन शव को लेकर दाह-संस्कार करने के लिए श्मशान घाट पहुंचे। लेकिन यह बाय रसूखदारों को रास नहीं आई और उन्होंने अंतिम संस्कार करने पर रोक लगा दिया। दबंगों का कहना था कि इस श्मशान में दूसरी जाति के लोगों का अंतिम संस्कार किया जाता है ऐसे में किसी दलित महिला का शव यहां नहीं जलाया गया। इसके बाद आक्रोशित परिजन महिला के शव को रखकर धरने पर बैठ गए। हद तो तब हो गई जब पूरे मामले के दौरान पुलिस और प्रशासन भी मूकदर्शक बनी रही। महिला बलाई समाज की थी। घटना की जानकारी मिलते ही बलाई समाज के लोग बड़ी संख्या में एकत्रित हो गए। दलित नेता आचार्य मनोज परमार भी वहां पहुंच गए। दिन भर चले विवाद के बाद आखिर में प्रशासन ने चटवाड़ा गांव मुख्य मार्ग पर ग्राम कोटवार की सेवा भूमि पर देर शाम शेड तैयार करवाया और शव का अंतिम संस्कार कर मामले को शांत किया। दलित भेदभाव के इस मामले पर विपक्ष ने शिवराज सरकार को निशाने पर लिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘पूरे समाज और विशेष कर मध्यप्रदेश के लिए यह शर्म की बात है कि आज भी समाज में छुआ छूत है। ज़िंदा के साथ भी और मरने के बाद भी!! मध्यप्रदेश सरकार अभी भी मौन। तत्काल करवाई होना चाहिए।’ पूरे समाज और विशेष कर मध्यप्रदेश के लिए यह शर्म की बात है कि आज भी समाज में छुआ छूत है। ज़िंदा के साथ भी और मरने के बाद भी!! मध्यप्रदेश सरकार अभी भी मौन। तत्काल कार्यवाही होना चाहिए। https://t.co/0RGQ65pXkc— digvijaya singh (@digvijaya_28) September 12, 2020 वहीं मध्यप्रदेश कांग्रेस सेवा दल ने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से ट्वीट कर कहा, ‘जाति है जो मरने के बाद भी नहीं जाती। इंदौर में एक दलित की मृत्यु के बाद उसका दाह संस्कार सिर्फ उसकी जाति की वजह से रोक दिया गया। दलित समाज एक ओर 7 घण्टे तक धरने पर बैठा रहा, वहीं प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। मध्यप्रदेश फिर शर्मसार। बता दें कि चटवाड़ा गांव में हर वर्ग के लिए अलग-अलग श्मशान घाट बनाए गए हैं लेकिन जहां दलितों का श्मशान घाट है वहां बड़ा नाला होने के कारण बारिश में जल-जमाव हो जाता है। इसी वजह से कमला का शव वहां नहीं जलाया जा सकता था।