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न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी’’ की तर्ज पर भाजपा ने अपनों को भी नहीं छोड़ा: के.के. मिश्रा

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने भाजपा पर आपराधिक मानसिकता से ग्रसित होने का गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि राजधानी भोपाल के बेशकीमती इलाके ई-2 अरेरा कॉलोनी स्थित मजबूत पार्टी मुख्यालय दीनदयाल उपाध्याय भवन को बुलडोजर से ध्वस्त कर वहां 10 मंजिली इमारत बनाना न केवल राष्ट्रीय हानि है, बल्कि वहां काबिज़ दुकानदारों को बेसमेंट में जिस तरह प्रायोजित आग लगवा कर उन्हें भयाक्रांत कर विवशतावश, बेदखल करने का वातावरण निर्मित किया जा रहा है, वह भाजपा के तालिबानी चरित्र को दिखा रहा है।


मिश्रा ने कहा कि 27 साल पहले निर्मित इस मजबूत भवन को भोपाल नगर पालिक निगम ने कभी भी जर्जर व जानलेवा घोषित नहीं किया है। बताया जा रहा है कि करीब 2.5 करोड़ को लागत से बने इस भवन को उस वक्त आर्थिक परेशानी से पार्टी चलाने वाले नेताओं ने कार्यकर्ताओं के सहयोग से चंदा एकत्र कर निर्माण करवाया था। पार्टी विचारधारा को ही समर्पित लोगों से बतौर पगड़ी कुछेक लाख रुपये लिए गए, इसके एवज में उन्हें वहां निर्मित दुकानें/ आफिस किरायेदारी के रूप में आवंटित किए गए, ताकि दुकानों से मिलने वाले किराए की राशि से पार्टी की आर्थिक गतिविधियां भी संचालित की जा सके। आज अपनी ही विचारधारा से संबद्ध लोग इन दुकानों/ आफिस से अपनी रोजी- रोटी कमा कर अपने परिवार का जीवनयापन कर रहे हैं।


भाजपा ने इस इमारत पर बुलडोजर चलवाकर अब इसे ध्वस्त करवाने का काम शुरू कर दिया है। असहाय दुकानदारों को विश्वास में नहीं लिया गया, न तो उन्हें 27 साल पहले पगड़ी के रूप में लिया गया पैसा ब्याज सहित लौटाया गया, न ही उन्हें नए भवन में दुकानें दिए जाने का आश्वासन दिया गया, बल्कि उन्हें बिना समय दिए जबरिया दुकानें/ आफिस खाली किये जाने को मजबूर किया जा रहा है, यही नहीं भवन में अपने ही एक कार्यकर्ता के माध्यम से प्रायोजित तरीके से आग लगवाकर दुकानदारों और ऑफिसों में रखे व्यावसायिक/ कार्यालयीन साम्रगी को भी जलावा कर बर्बाद करने की कोशिश की गई। इसके सीसीटीवी फुटेज भी कांग्रेस जारी कर रही है।


आग की घटना के बाद फायर ब्रिगेड ने जहां आग बुझाई, हबीबगंज थाने में आग की घटना की एफआईआर भी हुई है। कांग्रेस जानना चाहती है आखिरकार सीसीटीवी फुटेज में उपलब्ध चिन्हित आरोपी की शिनाख्त हो जाने के बाद भी उसकी गिरफ्तारी तो दूर, उससे पूछताछ भी किसके दबाव में अब तक क्यों और किसलिए नहीं की गई? यहां अब यह सवाल भी उठना वाजिब है कि जिस भाजपा के पूर्व नेताओं ने इस भवन को कार्यकर्ताओं से चंदा-पगड़ी लेकर बनवाया उस मजबूत भवन को अब ध्वस्त कर नया भवन बनाने के लिए 150 करोड़ रु. कहां से और कैसे प्राप्त हुए? क्या यह वही भाजपा है जो पार्टी विद-ए-डिफरेंस, चाल, चरित्र व चेहरे की दुहाई देती आ रही है!

जिस तरह भाजपा ने न्यूनतम किराए पर आरटीओ दफ्तर व उसका बड़ा परिसर लिया है वह भी न्यायसंगत नहीं है। क्या कोई राजनैतिक दल किसी सरकारी विभाग के दफ्तर का भवन और उसका परिसर एक लंबे समय के लिए किराए पर ले सकता है? भाजपा और परिवहन विभाग के बीच हुए समझौते/ करार के दस्तावेज भी सार्वजनिक किए जाएं? कांग्रेस ने यह आरोप भी लगाया कि जिस तरह भाजपा ने अपनी ही विचारधारा के लोगों को भी उनके द्वारा जताई गई असहमति के बाद अपनी ही विचारधारा के समर्थकों की दुकानों / ऑफिसों को प्रायोजित तरीके अपने ही लोगों के माध्यम से आग के हवाले किए जाने का प्रामाणिक व अक्षम्य अपराध किया है, वह उसके तालिबानी चरित्र का परिचायक होकर यह साबित कर रहा है कि इस आपराधिक विचारधारा को विधि-विधान, नियम, कानून और संविधान के विपरीत अपराध करने में भी कोई गुरेज नहीं है, चाहे उक्त मामला हो, जस्टिस लोया की मौत हो, या देवास जिले में आरएसएस के ही प्रचारक सुनील जोशी की हत्या हो? हमारे आड़े जो आएगा वह उक्त घटनाओं के अलावा राजद्रोही, देशद्रोही, झूठे प्रकरणों में जेल भेजने का शिकार भी हो सकता है। ‘‘न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी।’’

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