केवल डेढ़ घंटे चला विधानसभा का एक दिनी मानसून सत्र Politics by mpeditor - September 21, 2020September 21, 20200 नेता प्रतिपक्ष कमल नाथ ने उठाया निजी अस्पतालों में लापरवाही का मुद्दा। मध्यप्रदेश विधानसभा का एक दिनी मानसून सत्र क़रीब डेढ़ घंटे चला। इस दौरान पांच विधेयक पारित किए गए। नेता प्रतिपक्ष कमल नाथ ने निजी अस्पतालों में कोरोना मरीज़ों के साथ हो रही लापरवाही का मुद्दा उठाया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना पर वक्तव्य देते हुए कहा कि मध्य प्रदेश की स्थिति अन्य राज्यों से बेहतर है। विपक्ष भी कोरोना से निपटने में सहयोग प्रदान करे। हम सब मिलकर इस महामारी से लड़े और उसे परास्त करें। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के वक्तव्य के बाद सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। सत्र प्रारंभ करते हुए अध्यक्ष ने सबसे पहले दिवंगतों के सम्मान में दो मिनट का मौन रखने कर 5 मिनट के लिए सत्र स्थगित कर दिया था। इसके बाद दोबारा सदन की कार्रवाई शुरू की गई। सबसे पहले संसदीय कार्य मंत्री ने आदेश पत्रों को पटल पर रखा। अध्यक्ष ने विधानसभा सदस्यों को विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देने वाले विधायकों सदस्यों की सूचना सदन को दी और फिर कार्रवाई शुरू की गई। वित्त मंत्री की अनुपस्थिति में संसदीय कार्य मंत्री ने धन विधेयक विनियोग प्रस्तुत किया गया। इस पर कांग्रेस ने चर्चा कराने की मांग की, लेकिन सरकार ने मना कर दिया। सरकार कहना था कि पहले ही बैठक में इस पर चर्चा हो चुकी है। ऐसे में इस पर चर्चा करने की जरूरत हैं। इसके बाद मध्यप्रदेश विनियाेग विधेयक 2020 पारित हो गया। संसदीय कार्य मंत्री ने समस्त विभागों को अनुदान मांगों के एक साथ प्रस्ताव प्रस्तुत किया। गोविंद सिंह मुख्य सचेतक कांग्रेस विधायक दल ने तथा नेता प्रतिपक्ष ने चर्चा कराने का अनुरोध किया। संसदीय कार्य मंत्री ने सर्वदलीय बैठक का उल्लेख करते हुए मना कर दिया। नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने विधेयक पारित होने के बाद कोरोना का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि निजी अस्पताल में मनमानी चल रही है। इस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को स्थिति साफ करनी चाहिए। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि राज्य में रिकवरी रेट 77 प्रतिशत है। आवश्यक ऑक्सीजन बेड और व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं। कोरोना की स्थिति की प्रतिदिन समीक्षा वे खुद कर रहे हैं। 23 मार्च से अब तक उपचार और रोगियों की देखरेख के सभी उत्तम प्रबंध सुनिश्चित किए गए हैं। इसके बाद संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने प्रस्ताव प्रस्तुत किया कि सर्वदलीय बैठक के निर्णय के अनुसार सदन की कार्यवाही समाप्त की जाए।