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राष्ट्रपति चुनाव- अमेरिका में चुनावी धांधली की ऐसी आशंका पहले कभी नहीं जताई गई, कई राज्यों में आपात इंतजाम

  • होमलैंड सिक्यूरिटी विभाग और क्राइसिस ग्रुप ने चेतावनी जारी की
  • डोनाल्ड ट्रम्प के तेवरों को देखते हुए रिटायर्ड सैनिक हिंसा रोकने के लिए सक्रिय हुए

अमेरिका में चुनाव को लेकर भय का ऐसा माहौल पहले कभी नहीं था, जैसा इस बार नजर आ रहा है। हथियार बंद गिरोहों के सदस्यों ने गृहयुद्ध की धमकी दे रखी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी शांतिपूर्ण सत्ता परिवर्तन की गारंटी देने के लिए तैयार नहीं हैं। दक्षिणपंथी और वामपंथी उग्रपंथियों के एकजुट होने का खतरा है। उधर, देशभर में शहरों के मेयर और पुलिस प्रमुख लोगों को सुरक्षा का आश्वासन दे रहे हैं। उन्होंने, वोटरों को धमकाने, हिंसा की आशंका और चुनाव से संबंधित अन्य संदेहों से निपटने की रणनीति सार्वजनिक तौर पर दी है। दूसरी ओर कई विशेषज्ञों का कहना है कि, 3 नवंबर को होने वाले मतदान के संबंध में जताई जा रही आशंकाएं गलत साबित होंगी।

नेशनल गार्ड्स शहरों और ग्रामीण इलाकों में सुरक्षा के लिए तैनात हैं। कई स्वयंसेवी संगठनों ने भी किसी खराब स्थिति का सामना करने की तैयारियों की हैं। अपने 25 साल के इतिहास में इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप ने पहली बार चुनाव पर रिपोर्ट जारी की है। ग्रुप का काम जानलेवा संघर्ष रोकने के लिए चेतावनी जारी करना है। उसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि “देश के सामने अस्वाभाविक खतरा है। चुनाव का दिन नजदीक आने के साथ अशांति की जमीन तैयार है”। सुरक्षा एजेंसियों ने भी ऐसी ही चिंता जताई है। होमलैंड सिक्यूरिटी विभाग (डीएचएस) ने अपनी मासिक रिपोर्ट मेंं कहा है कि चुनाव सभाओं, मतदान केंद्रों और वोटर रजिस्ट्रेशन सेंटर में हिंसा हो सकती है।

फिलाडेल्फिया में सोमवार को पुलिस के हाथों एक अश्वेत की मौत के बाद भड़के उग्र विरोध प्रदर्शन हो चुके हैंं। इसके बाद रिटेल कंपनी वालमार्ट ने देशभर में अपने स्टोर से गन हटाने का आदेश जारी कर दिया। ध्यान रहे, पिछले कुछ महीनों के दौरान अमेरिका के कई शहरों में पुलिस ज्यादतियों के विरोध में प्रदर्शन हुए हैं। शुक्रवार को शिकागो की मेयर लोरी लाइटफुट ने दस दिन की आपात योजना की घोषणा की है। व्यापक हिंसा भड़कने की स्थिति में रास्ते रोकने के लिए सैकड़ों बड़े वाहन शहर में रख दिए गए हैं। पुलिस का बंदोबस्त बढ़ा दिया है।

इलिनॉय नेशनल गार्ड्स ने राज्य चुनाव बोर्ड की मदद के लिए 40 साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ उपलब्ध कराए हैं। विस्कांसिन में 400 नेशनल गार्ड्स चुनाव में स्थानीय चुनाव अधिकारियों की मदद कर रहे हैं। ये सादे कपड़ों में तैनात हैं। कोविड-19 महामारी के कारण कर्मचारियों की कमी हो गई है। टेक्सास नेशनल गार्ड्स ने किसी अशांति का आशंका में एक हजार सैनिकों को तैयार रहने के लिए कहा है। मेने, मिशिगन, नेवादा और विस्कांसिन में अटार्नी जनरलों ने वोटरों को धमकाने वाले लोगों पर नियंत्रण के लिए खास दिशानिर्देश जारी किए हैं।

ट्रम्प द्वारा चुनाव प्रक्रिया में धांधली के प्रयासों को रोकने के लिए स्वयंसेवी संगठन मैदान में आ गए हैं। राजनीतिक एक्शन ग्रुप कॉमन डिफेंस ने रिटायर्ड सैनिकों को सक्रिय किया है। ग्रुप के सदस्य अफगानिस्तान युद्ध में हिस्सा ले चुके पैरी ओ ब्रायन ने कहा, ट्रम्प ने अपने समर्थकों को मतदान केंद्रों पर नजर रखने के लिए कहा है। इसके बाद हम सक्रिय हुए हैं। उन्होंने कहा, ट्रम्प स्पष्ट रूप से वोटरों को डराने का प्रयास कर रहे हैं। ग्रुप ने अभी हाल में 200 रिटायर्ड सैनिकों को तनावपूर्ण हालात का मुकाबला करने के लिए ट्रेनिंग दी है। टीम को डेमोक्रेसी क्विक रिएक्शन फोर्स नाम दिया गया है। 3 नवंबर को देश में 45 स्थानों पर रिटायर्ड सैनिक तैनात किए जाएंगे।

कुछ राज्यों में डाक मतपत्रों में गड़बड़ी की आशंका

मेडिसन, विस्कांसिन में डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक मार्क पोकन बताते हैं, कई लोग राष्ट्रपति ट्रम्प के इरादों को लेकर आशंकित हैं। वे मुझसे कहते हैं, ट्रम्प चुनाव जीतने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। याहू न्यूज, यू गव सर्वे में केवल 22 % अमेरिकियों ने निष्पक्ष चुनाव होने का भरोसा जताया है। 46% कहते हैं चुनाव निष्पक्ष नहीं होंगे। राष्ट्रपति ने चुनाव में धांधली की आशंका व्यक्त करके लोगों के मन में शक का बीज बो दिया है। उन्होंने, डाक मतपत्रों में गड़बड़ी की चर्चा कई बार की है। लोगों को लगता है, संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है। लेकिन, 2000 के चुनाव में पुन: मतदान में रिपब्लिकन उम्मीदवार का प्रतिनिधित्व करने वाले बेंजामिन गिंसबर्ग कहते हैं, सभी आशंकाएं गलत साबित होंगी।

डाक मतपत्रों के मामले में तीन राज्यों-मिशिगन, विस्कांसिन और पेनसिल्वानिया के संबंध में चिंता ज्यादा है। चुनाव परिणाम की दृष्टि से तीनों राज्य महत्वपूर्ण हैं। यहां डेमोक्रेटिक पार्टी के गवर्नर हैं। विधानसभा में रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत है। इन राज्यों में चुनाव नियमों पर तीखे विवाद हुए हैं। यहां डाक मतपत्रों की गिनती कई सप्ताह तक चलने की संभावना है। देर होने की स्थिति में ट्रम्प और रिपब्लिकन पार्टी अदालत में जा सकते हैं। कांस्टीट्यूशनल एडवोकेसी इंस्टीट्यूट के जोशुआ गेल्टजर कहते हैं, चुनाव परिणाम को अदालत में चुनौती देेने की कानूनी प्रक्रिया है।

ट्रम्प का यह कहना वैधानिक नहीं है कि वे वोटों की गिनती बंद करा देंगे। दूसरी ओर फ्लोरिडा, एरिजोना जैसे राज्यों में तेजी से वोटों की गिनती हो सकती है। लिहाजा,इन राज्यों से चुनाव का फैसला संभव है। विशेषज्ञ जोर देते हैं कि ट्रम्प देश की पेचीदा चुनाव प्रक्रिया में सेंध नहीं लगा सकते हैं। मानव अधिकार ग्रुप लीडरशिप कांफ्रेंस की प्रमुख वनिता गुप्ता कहती हैं, वोटों की गिनती में उम्मीदवार की कोई भूमिका नहीं होती है। वे ओबामा सरकार में न्याय विभाग में उच्च अधिकारी थीं।

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