रोकथाम: फेसमास्क नहीं, टोटके प्रमोट कर रहे हैं जनप्रतिनिधि corona Health Nation by mpeditor - October 15, 2020October 15, 20200 बचपन में “दीपावली” पर लिखे जाने वाले निबंध के पहले पैराग्राफ में लिखा होता था कि “भारत त्यौहारों का देश है”। लेकिन जैसे जैसे समय बीतता जा रहा है ये समझ आ रहा है कि “भारत अफवाहों का देश है”। यहां अफवाहें हवा की तरह अदृश्य होती हैं लेकिन तूफानों से तेज होती हैं।कोरोना संक्रमण जब चीन से प्रारंभ होकर समीपवर्ती देशों में पहुंचा तब भारत में इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था। शुरुआती केस आने पर सभी लोग 30 अप्रैल का इंतजार कर रहे थे क्योंकि तब ऐसी अफवाहें फैली कि कोरोना वाइरस गर्मी सहन ही नहीं कर सकता हालांकि तब तक अरब जैसे गर्म देशों में ये फैल चुका था और भारत के अन्य राज्यों की तुलना में अपेक्षाकृत गर्म रहने वाले राज्य केरल में कोरोना से प्रथम मौत हो चुकी थी। 30 अप्रैल का समय जब निकला तब तक आधिकारिक रुप से लॉकडाउन हो चुका था और हम “थाली” भी बजा चुके थे और “दियों” में आग भी लगा चुके थे जो कोरोना संक्रमण के स्वागत समारोह से ज्यादा कुछ नहीं था। कुछ लोगों का तब ये तर्क था कि थाली एक साथ इसलिए बजाई जिससे वाइरस वहीं खत्म हो जाये और दिया इसलिए जलवाया जिससे इतनी गर्मी पैदा हो जिससे वाइरस आगे संक्रमण फैला ही ना सके।लेकिन यदि कोरोना को थाली की आवाज और गर्मी से इतना ही फर्क पड़ता तो अमेरिका जैसे देशों में इतनी मौतें होती ही नहीं। कोरोना का भयावाह दौर जारी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की तरफ से वैक्सीन आने के समय की अलग-अलग दिन अलग तारीखों की घोषणा की गयी।शायद उन्हें पता है कि भारत का नागरिक इंतजार कर ही लेता है।खैर आजकल मास्क,ग्लाव्स का व्यापार फल-फूल रहा है लेकिन जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों के गले में एक नया टोटका कोरोना से उन्हें बचा रहा है जिसे कुछ लोग कोरोना कार्ड कह रहे हैं। जो कार्ड गले में डालते हैं वो मास्क नहीं लगाते हैं। लेकिन शासन-प्रशासन का कोई नुमाइंदा इस अफवाह को रोकने के लिए कुछ नहीं कर रहा और बेचारा आम आदमी इन दोनों की तरफ मुंह ताक कर खड़ा है कि कभी तो ये हमें स्वस्थ जीवन और बेहतर अर्थव्यवस्था दे पायेंगे वर्ना कोरोना का जन्मदिन भी हम थाली बजाकर और दिये जलाकर ही मनायेंगे।