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Bharat Jodo Yatra: राहुल गांधी भी नए सिरे और नजरिये से भारत को करीब से देख चुके होंगे

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी रहे गोपाल कृष्ण गोखले महान स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ ही मंझे हुए राजनीतिज्ञ भी थे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु होने के नाते उन्होंने ही गांधी जी को देश के लिए लड़ने की प्रेरणा भी दी थी। अंग्रेजों के अत्याचार पर भारतीयों को कोसते हुए उन्होंने कहा था कि तुम्हें धिक्कार है, जो अपनी मां-बहनों पर हो रहे अत्याचार को चुप्पी साधकर देख रहे हो। इतना तो पशु भी नहीं सहते।

उन्होंने गांधी से यह भी कहा था कि यदि भारत को समझना चाहते हो तो तुम्हें संपूर्ण भारत को अपनी खुली आंखों से देखना पड़ेगा। फिर गांधीजी ने अपने बेदाग वस्त्रों को त्यागकर फकीरी का वस्त्र धारण कर भारतवर्ष घूमकर भारतीयों की गरीबी और उसकी दुर्दशा को देखा और फिर वह अधनंगा फकीर राष्ट्र को अंग्रजों के चंगुल से मुक्त कराने का बीड़ा उठा लिया।

युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर ने साल 1983 में 4,000 किलोमीटर की पदयात्रा की थी। उनकी पदयात्रा  कन्याकुमारी से दिल्ली में राजघाट तक चली। इस दौरान उन्हें देश की तमाम समस्याओं को नजदीक से जानने का मौका मिला। सुनील दत्त शांति और सामाजिक सद्भाव को लेकर लंबी पदयात्रा की। इन सभी यात्राओं में उनकी बेटी प्रिया दत्त साथ होती थीं।

1987 में उन्होंने पंजाब में उग्रवाद की समस्या के समाधान के लिए बंबई से अमृतसर के स्वर्ण मंदिर तक 2,000 किलोमीटर की पैदल यात्रा की। इन मशहूर राजनेताओं के अतिरिक्त एनटी रामाराव, लालकृष्ण अडवाणी, वाईएस राजशेखर रेड्डी तथा जगमोहन रेड्डी की प्रजा संकल्प यात्रा ऐतिहासिक पदयात्रा विभिन्न माध्यमों से भारत को समझने का प्रयास किया है। 

अब आइए उस पदयात्रा पर चर्चा करें जो पूरे देश में आज सबकी जुबांन है, यानी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की 3,570 किलोमीटर की 150 दिनों तक चलने वाली ‘भारत जोड़ो यात्रा’, जो कन्याकुमारी से कश्मीर तक जाएगी और पिछले दिनों ही शुरू हुई है। तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई यह पदयात्रा केरल के तिरुवनंतपुरम, कोच्चि और नीलांबुर जाएगी। इसके बाद कर्नाटक के मैसूर, बेल्लारी, रायचुर, तेलंगाना के विकाराबाद, महाराष्ट्र के नांदेड़, जलगांव जामोद, मध्य प्रदेश के इंदौर पहुंचेगी। यहां से यात्रा राजस्थान के कोटा, दौसा, अलवर, बुलंदशहर, दिल्ली, हरियाणा के अंबाला, पंजाब के पठानकोट होते हुए जम्मू होते हुए श्रीनगर पहुंचेगी, जहां यात्रा का समापन होगा।

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