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रेत माफिया का दबाव…:संकट में सोन सेंचुरी

भोपाल – सोन घड़ियाल सेंचुरी के अस्तित्व पर अब दोहरा खतरा मंडरा रहा है। दो साल से यहां एक भी नर घड़ियाल नहीं है। सेंचुरी में लगभग 40 मादा घड़ियाल हैं। प्रजनन नहीं हो पाने के कारण घड़ियालों की नई पीढ़ी जन्म नहीं ले पा रही है। अब रेत कारोबारियों के दबाव में सोन घड़ियाल सेंचुरी को ही खत्म करने के लिए डी-नोटिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू की गई है।
सीधी-सिंगरौली के नवनिर्वाचित विधायकों की मांग पर राज्य शासन ने वन विभाग को डी-नोटिफिकेशन का प्रस्ताव तैयार करने को कहा है। वन विभाग ने भी आनन-फानन में सीसीएफ रीवा और संजय टाइगर रिजर्व प्रबंधन को घड़ियाल सेंचुरी के डी-नोटिफिकेशन की जरूरत का परीक्षण कर रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। यहां घड़ियाल के अलावा दो और संकटग्रस्त जीव भारतीय नर्म खोल कछुए (चित्रा इंडिका) और भारतीय स्किमर (रिनचॉप्स अल्बिकोलिस) पाए जाते हैं।

बाढ़ में बह गए थे घड़ियाल

2017 में यहां नर घड़ियाल समाप्त हो गए थे। 2021 में चंबल सेंचुरी से लाकर एक नर घड़ियाल छोड़ा गया था। इसके बाद 112 बच्चे जन्मे थे। 2022 में बाणसागर डेम से अचानक पानी छोड़ने से नर घड़ियाल और 100 घड़ियाल बच्चे बह गए। बच्चों का कोई पता नहीं चला जबकि कॉलर आईडी के कारण मप्र और बिहार के वन विभाग ने गंडक नदी से नर घड़ियाल को पकड़ लिया, लेकिन बिहार के अफसरों ने घड़ियाल देने से इनकार कर दिया। इसके बाद से घड़ियालों की शिफ्टिंग टलती रही।

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