भाजपा की परंपरा के खिलाफ सिंधिया समर्थक बना रहे फैंस क्लब Politics by mpeditor - August 10, 2020August 10, 20200 क्लब में शहर और जिलाध्यक्षों की तैनाती ने समानांतर संगठन चलाने का कराया भान। भोपाल. पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद कई समीकरण बदले हैं। सिंधिया के साथ आए 22 पूर्व विधायकों में से 14 को मंत्री बनाने और उन्हें बेहतर विभाग दिए जाने से भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी सामने आई थी और अब मध्य प्रदेश में सिंधिया फैंस क्लब का गठन शुरू होने से यह नाराजगी बढ़ सकती है। दरअसल, भाजपा नेता कहते तो हैं कि पार्टी कार्यकर्ता अपने नेता का फैंस क्लब बना सकते हैं, लेकिन भाजपा में इसकी परंपरा नहीं रही है। अब जबकि सिंधिया समर्थक जिला और शहर स्तर पर फैंस क्लब की नियुक्तियां कर रहे हैं तो आशंका है कि क्लब व संगठन पदाधिकारियों और असंतुष्टों में टकराव बढ़ेगा। विधानसभा की 27 सीटों पर होने वाले उपचुनाव ने सिंधिया समर्थकों की सक्रियता बढ़ा दी है। सिंधिया फैंस क्लब के प्रदेश अध्यक्ष अक्षय सक्सेना ने तेजी से शहर और जिलों में अध्यक्षों की नियुक्ति शुरू की तो सवाल उठने शुरू हुए। सक्सेना ने बताया कि सिंधिया जी ने जब कांग्रेस छोड़ी तो हमने क्लब को भंग कर दिया था। चूंकि अब विचारधारा बदल गई है इसलिए क्लब का रंग, सोच और उद्देश्य भाजपा के विचारों के अनुरूप कर दिया है। यह क्लब श्रीमंत माधवराव सिंधिया के जमाने से चल रहा है। अक्षय ने शुक्रवार को दीपक व्यास को मुरैना का शहर अध्यक्ष बनाया और उनका मनोनयन पत्र वायरल हुआ तो भाजपा के कुछ कार्यकर्ताओं ने संगठन स्तर पर इसकी शिकायत की। उपचुनाव वाली 27 सीटों में 16 सीटें ग्वालियर-चंबल संभाग की हैं। इस इलाके में सिंधिया का खासा प्रभाव है। सक्सेना द्वारा चलाया जा रहा फैंस क्लब इस समय राजनीतिक रूप में दिखने लगा है। क्लब में शहर और जिलाध्यक्षों की तैनाती ने समानांतर संगठन चलाने का भान करा दिया है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि अक्षय सक्सेना शिवराज सरकार में सिंधिया समर्थक मंत्री तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, महेंद्र सिंह सिसौदिया और विधायक रघुराज सिंह कंषाना की अनुशंसा के आधार पर फैंस क्लब के पदाधिकारियों की नियुक्ति का दावा कर रहे हैं। ऐसा वह नियुक्ति पत्र में लिखते भी हैं। सवाल उठना स्वाभाविक है कि भाजपा में शामिल होने और मंत्री बनने के बावजूद इतने वरिष्ठ लोग कैसे पदाधिकारियों की नियुक्ति की अनुशंसा कर रहे हैं। इस सिलसिले में संबंधित मंत्रियों से बातचीत नहीं हो सकी।