सिंधिया का भाजपा में बढ़ता कद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को रास नहीं आ रहा, सिंधिया समर्थक खेमें में नाराजगी News Politics by mpeditor - September 12, 2020September 12, 20200 जनता के सामने खुद को पाकसाफ साबित करने की जुगत।भाजपा को अपनी जमीन बचाने की मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। जैसे-जैसे उपचुनाव की घोषणा का समय नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे शिवराज सरकार अस्थिरता की ओर अग्रसर हो रही है। इस समय भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह बन गई है कि कैसे ज्योतिर्रादित्य सिंधिया के नकारात्मकता को भाजपा के दामन से धोया जा सके। एक ओर भाजपा को अपनी जमीन बचाने की मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है तो दूसरी ओर गद्दार नाम से प्रचलित सिंधिया की छाया से दूर रहकर, जनता के सामने खुद को पाकसाफ साबित करने की जुगत लगानी पड़ रही है। ऐसे में ग्वालियर चंबल क्षेत्र में भी सिंधिया को किनारे करना शुरू कर दिया गया है सूत्रों की मानें तो इस मुहिम में सरकारी तंत्र का उपयोग किया जा रहा। सिंधिया का कद छोटा किया जा रहा है सिंधिया का भाजपा में बढ़ता कद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को रास नहीं आ रहा है जिसकी बानगी देखी जा सकती है लगातार मीडिया में जारी किए गए अनेक विज्ञापनों, पोस्टर और भूमिपूजन और उद्घाटन के शिलालेखों में। कहीं भी सिंधिया को उसके कद के अनुरूप तरजीह नहीं दी जा रही है। शिवराज को प्रमुख चेहरा बनाकर सिंधिया को अन्य भाजपा नेताओं के साथ छोटी सी जगह दी जा रही। जिसे लेकर भाजपा में शामिल हुए सिंधिया समर्थक खेमें में नाराजगी भी देखी जा रही है। इन सभी बातों से स्पष्ट है कि भाजपा उपचुनाव में सिंधिया के चेहरे पर मैदान पर नहीं उतरना चाहती है कहीं न कहीं भाजपा को यह अंदेशा है कि सिंधिया की निगेटिव छवि का खामियाजा उपचुनाव में भाजपा को हार के रूप में भुगतना पड़ सकता है। शिवराज को ही हाईलाइट किया जाए सूत्रों की मानें तो सरकार द्वारा ग्वालियर चंबल संभाग के आयुक्तों व जनसंपर्क अधिकारियों को कहा गया है कि निर्देशित किया गया है कि ख़बरों विज्ञापना, शिलालेख में मुख्यमंत्री शिवराज की ही फ़ोटो लगाई जाएं एवं हर कार्यक्रम को शिवराज की सफलता के रूप में ही जनता के बीच लेकर जाए। जिससे भाजपा के रूप में सिंधिया की बजाय शिवराज के नाम पर जनता का समर्थन प्राप्त किया जा सके। क्योंकि बीजेपी को यह अच्छे से एहसास हो चुका है कि सिंधिया का झूठा जादू अब जनता के सामने नहीं चल सकता इसलिए बीजेपी हार के अंतर को कम करने की कोशिश में लग चुकी है ताकि उसे 2022 के चुनाव में कुछ सीटें ग्वालियर चम्बल के रण से भी मिल सके।