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शिवराज सरकार आदिवासियों को जंगल की ज़मीनों पर
अधिकार देना ही नहीं चाहती: कमलनाथ

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने राज्य सरकार पर तंज कसा है। उन्होंने कहा है कि मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी आदिवासी गौरव दिवस मना रही है, लेकिन सच्चाई यह है कि भाजपा हमेशा आदिवासी समुदाय के विरुद्ध कार्य करती है। आदिवासी अत्याचार में मध्य प्रदेश को देश में नंबर वन बनाने वाली और विश्व आदिवासी दिवस का अवकाश समाप्त करने वाली भाजपा सरकार को आदिवासी गौरव दिवस मनाने का नैतिक अधिकार नहीं है।

कमलनाथ ने सोमवार को अपने बयान में कहा कि भाजपा एक तरफ़ आदिवासी गौरव दिवस मना रही है, दूसरी तरफ़ मध्य प्रदेश आदिवासी अत्याचारों में पूरे देश में नंबर वन है। प्रदेश अब तक नेमावर की वह घटना नहीं भुला पाया है, जिसमें पूरे आदिवासी परिवार की जघन्य हत्या कर उन्हें जमीन में गाड़ दिया गया था। बीजेपी के गौरव दिवस की हक़ीक़त ये है कि आदिवासी महिलाओं पर मध्य प्रदेश में सर्वाधिक अत्याचार होते हैं। पूर्व सीएम ने कहा कि शिवराज सरकार में पिछले 20 सालों से पेसा कानून लागू नहीं हो पाया है। मध्यप्रदेश में एक लाख से अधिक बैकलाग के पद खाली पड़े हैं, जिसको भरने में प्रदेश की भाजपा सरकार की कोई रुचि दिखायी नहीं देती है, वह तो केवल आदिवासी वर्ग सहित सभी वर्गों को झूठ, फरेब और विज्ञापनों से भ्रमित करने में लगी हुई है।उन्होंने कहा कि वन अधिकार अधिनियम में 6 लाख आवेदन आये, जिसमें 3.25 लाख आवेदन निरस्त कर दिये गये, 52 प्रतिशत आवेदन निरस्त करने का मतलब है कि सरकार आदिवासियों को जल, जंगल की ज़मीन पर अधिकार देना ही नहीं चाहती।

कमलनाथ ने कहा कि पूरे प्रदेश में वन समितियाँ निष्क्रिय पड़ी हैं। उन्हें बजट नहीं दिया जा रहा है। कुछ बजट मिलता भी है तो शिवराज सरकार श्रेय के नाम पर अपने राजनीतिक कार्यक्रमों, इंवेट में खर्च कर देती है। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर अब आदिवासी वर्ग इस झूठी, फरेबी और नौटंकीबाज़ सरकार की हक़ीक़त जान चुका हैं। मध्यप्रदेश का आदिवासी कांग्रेस के साथ तो रहा ही है, अब गुजरात का आदिवासी भी भाजपा के खिलाफ सडक़ों पर उतर गया है। भाजपा को अब समझ लेना चाहिए कि आदिवासी वर्ग को भ्रमित करने से उन्हें कुछ हासिल होने वाला नहीं है। भाजपा नौटंकी और इंवेंट की राजनीति छोड़ धरातल पर कुछ करके दिखाये।

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