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शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश को बदनाम करने का ठेका ले रखा है

भोपाल। जब व्यवस्था नहीं थी तो प्रवासी भारतीय सम्मेलन में 6000 लोगों को आमंत्रित करने का क्या औचित्य है? सरकार और प्रशासन की इस लापरवाही ने देश विदेश में मध्यप्रदेश की साख को धब्बा लगा दिया है। व्यापम को लेकर पहले भी मध्यप्रदेश वैश्विक स्तर पर बदनाम हो चुका है। इस असफलता का मूल कारण प्रदेश में स्थानीय स्तर पर जो भाजपा में राजनैतिक अंतर्द्वंद चल रहा है, उसका खामियाजा इन्वेस्टर्स मीट में प्रदेश को भोगना पड़ा है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह और पूर्व मंत्री एवं विधायक श्री सज्जन सिंह वर्मा ने संयुक्त पत्रकार वार्ता में यह बात कही।


नेताद्वय ने कहा कि क्या कारण है कि प्रदेश के गृहमंत्री जो इंदौर के प्रभारी हैं, मुख्यमंत्री के इशारे पर उन्हें नौकरशाहों ने इस समिट की तैयारियों से लेकर आज तक उनकी भूमिका से दूर रखा। यह पूरी तरह मुख्यमंत्री के इशारों पर हुआ है। मुख्यमंत्री के इशारे पर ही स्थानीय स्तर पर नौकरशाहों ने वहां के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की भी उपेक्षा की है। उसका कारण भी स्पष्ट भाषा में सामने आ रहा है कि तैयारियों, शहर की सजावट और अन्य प्रबंधन को लेकर करोड़ों रुपयों का खर्चा किया गया है, यहां तक कि नकली हरी घास भी स्प्रे से कराई गई है और इन सब तैयारियों के नाम पर करोड़ों रुपए नौकरशाहों को लूटना था। इस लूट में भागीदारी किस-किस की है, वह खोज का विषय है। किंतु इस भ्रष्टाचार में भी अफसरों ने मजा लिया है, जिसकी सजा समिट को भुगतनी पड़ी है। मुख्यमंत्री बताएं वी.डी. शर्मा जो भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष हैं, उन्हें भी इस सम्मेलन से दूर क्यों रखा गया? क्या यह बात भी झूठ है कि एनआरआई मेहमानों को बेइज्जत करने के पीछे भी कोई राजनीति है। जब सुरक्षा के तमाम प्रबंध थे, प्रधानमंत्री जैसी शख्सियत का इस समागम में आना तय था तो एनआरआई को बेइज्जत कर भाजपा की भीड़ को अंदर कैसे जाने दिया गया? सत्ता और संगठन के बीच दरार दिखाई दे रही है, वही इस समिट को असफल करने का दुस्साहस था। मुख्यमंत्री द्वारा सार्वजनिक तौर पर माफी मांगना भी इस अपराध को साबित कर रहा है कि इस साजिश में कौन-कौन शामिल हैं, पूरी तरह से इस समिट को भारतीय जनता पार्टी और सरकार के बीच का अंतरद्वंद निगल गया है। इन अव्यवस्थाओं के अलावा भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने पहले भी जो ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट की हैं, उनके बारे में भी सरकार को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए।


नेताद्वय ने कहा कि सरकार यह बताना चाहिए कि निवेशकों को आकर्षित करने के नाम पर मुख्यमंत्री, मंत्रियों और अधिकारियों ने करोड़ों रुपए विदेश यात्राओं पर क्यों खर्च कर दिए? जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा अपनी विदेश यात्राओं पर खर्च करने के बाद निवेशकों के नाम पर पहले से ही कंगाली में चल रहे नगर निकाय और देसी कंपनियों को ही क्यों निवेशक घोषित कर दिया? नेताद्वय ने कहा कि शिवराज सरकार यह भी बताए कि विदेश से आए मेहमानों के नाम पर हो रहे प्रवासी भारतीय सम्मेलन को भारतीय जनता पार्टी ने एक तरह से अपना कार्यकर्ता सम्मेलन क्यों बना लिया?

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