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सिद्धू और अमरिंदर ने एक दूसरे से फेरी नज़रें, सिद्धू पंजाब कांग्रेस के ‘कैप्टन’ बने

चंडीगढ़- पंजाब कांग्रेस भवन में सिद्धू ने एक बार फिर अपने तेवर दिखाए। जब वह भाषण देने के लिए खड़े हुए तो भगवान को याद किया, क्रिकेट शॉट मारने का एक्शन किया। अपने दाईं ओर बैठे कैप्टन और हरीश रावत को इग्नोर करते हुए आगे बढ़े और पूर्व मुख्यमंत्री रजिंदर कौर भट्‌ठल और लाल सिंह के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। इसके बाद वे भाषण देने खड़े हुए। सिद्धू ने कहा- मेरा दिल चिड़े के दिल जैसा नहीं है। जो मेरा विरोध करेंगे, वो मुझे और मजबूत बनाएंगे। मेरी चमड़ी मोटी है। मुझे किसी के कहने-सुनने से कोई फर्क नहीं पड़ता।

15 अगस्त से कांग्रेस भवन में लगेगा बिस्तरा
सिद्धू ने अपने भाषण में विरोधियों को खूब ललकारा। वे बोले- परखने से कोई अपना नहीं रहता, किसी भी आइने में ज्यादा देर चेहरा नहीं रहता। सिद्धू ने कहा कि आज सारे कांग्रेस कार्यकर्ता प्रधान बन गए क्योंकि कार्यकर्ताओं के सहयोग के बिना कोई पार्टी राजनीति में टिक नहीं सकती। इस बीच सिद्धू ने भाजपा को घेरते हुआ कहा कि जिनके मत से बनती हैं सरकारें, आज दर बदर सड़कों पर भटक रहे बेचारे। सिद्धू की यह बात किसानों को लेकर थी।15 अगस्त से सिद्धू का बिस्तरा कांग्रेस भवन में लगेगा। मंत्रियों से अपील है कि वे मुझसे मिलने आएं, पंजाब मॉडल को आगे ले जाकर दिल्ली मॉडल को फेल करना है।

इस वक्त सबसे बड़ा मसला ये है कि हमारे किसान दिल्ली में बैठे हैं। मैं किसानों से मिलना चाहता हूं। इसके अलावा बेअदबी का मसला है। ETT टीचर सड़कों पर हैं। डॉक्टर हड़ताल पर हैं। कंडक्टर, ड्राइवर धरने पर हैं। इन सभी के मसले हमें हल करने हैं। इसके लिए उनकी समस्याएं सुननी होंगी। मैं सभी के बीच जाऊंगा, बात करुंगा और उन्हें हर संभव तरीके से अपने साथ लेकर आऊंगा।

कैप्टन बोले- सिद्धू के पिता मुझे राजनीति में लाए थे
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मंच से सिद्धू को पंजाब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनने के समारोह में सुनील जाखड़ की तारीफों के पुल बांधे। कैप्टन ने कहा कि जाखड़ ने पंजाब कांग्रेस के बहुत कुछ किया है। उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। इसके बाद सिद्धू और अपने कनेक्शन पर बोेले। कहा- जब सिद्धू पैदा हुए थे तबसे उनके परिवार को जानता हूं। सिद्धू का जन्म 1963 में हुआ था और यही वक्त था जब मैं चीन के बॉर्डर पर शिफ्ट हुआ था। कैप्टन कहा कि मेरी माता जी ने और सिद्धू के पिता ने भी साथ काम किया| सिद्धू के पिता तब पटियाला के प्रधान हुआ करते थे। इसके बाद मेरी माता जी 1967 में लोकसभा में आ गईं।

वहीं जब मैं 1970 में सेना छोड़ के आया तो माता जी ने कहा कि राजनीति में कदम रखो। पर मैं तो बिलकुल भी राजनीति नहीं जानता था। तब माता जी ने कहा- सिद्धू के पिता सरदार भगवंत सिंह सब सिखा देंगे। इसके बाद फिर सिद्धू के पिता के साथ मेरी कई बैठकें हुईं, कुछ मेरे तो कुछ सिद्धू के घर पर।सिद्धू के पिता पटियाला कांग्रेस के प्रधान रहे। इसके बाद एक समय में सरदार भगवंत सिंह मेरे कदम सियासत में ले ही आए। कैप्टन ने सिद्धू को लेकर आगे कहा कि जब मैं इनके घर जाया करता था तो सिद्धू अब तो बड़े लगते हैं लेकिन तब सिद्धू की उम्र 6 साल हुआ करती थी और ये इधर-उधर भागते फिरते थे।

अपने भाषण में कैप्टन ने सिद्धू से कहा कि पंजाब का सारा बॉर्डर पाकिस्तान से सटा है और हमें बहुत सावधान रहने की जरूरत है। कांग्रेस पार्टी एक जमात है जो देश की आजादी के लिए लड़ती रही है। अब हमें अपना फर्ज और अपनी डयूटी निभानी है। फिर बोले- सोनिया जी ने मुझसे कहा कि अब नवजोत पंजाब के अध्यक्ष होंगे और आप दोनों को मिलकर काम करना होगा तो मैंने कह दिया था कि आपका जो भी फैसला होगा, वो हमें मंजूर होगा।

पंजाब भवन में सिद्धू ने फेर ली थीं नजरें
इससे पहले पंजाब भवन में कांग्रेस के नए प्रधान सिद्धू ने कैप्टन को देखकर पहले तो नजरें फेर लीं थीं और आगे बढ़ गए। पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने सिद्धू को आवाज देकर वापस बुलाया और अमरिंदर सिंह से मुलाकात कराई। कैप्टन ने सिद्धू को पास आकर बैठने को कहा तो वह कांग्रेस भवन के कार्यक्रम में लेट होने की बात कहने लगे। कई बार कहने पर सिद्धू उनके पास आकर बैठे। इससे पहले सिद्धू 18 मार्च को कैप्टन के सिसवां फार्म हाउस पर उनसे मिले थे। इस दौरान दोनों की करीब 40 मिनट तक बातचीत हुई थी।

लगातार ट्वीट करके पंजाब सरकार का विरोध कर रहे सिद्धू से कैप्टन अमरिंदर सिंह नाराज थे। उन्हें पार्टी का पंजाब प्रधान बनाए जाने के बाद कैप्टन ने साफ कर दिया था कि जब तक सिद्धू उनसे माफी नहीं मांगते, वह उनसे मुलाकात नहीं करेंगे। लेकिन, पंजाब भवन में दोनों की मुलाकात भी हुई, जबकि सिद्धू ने सार्वजनिक तौर पर कैप्टन से माफी नहीं मांगी है। कार्यक्रम में सभी ने अमरिंदर के पैर छुए, लेकिन सिद्धू ने नहीं छुए।

अगल-बगल बैठे, तिरछी नजरों से एक-दूसरे को देखा, पर बोले नहीं
पंजाब भवन से कांग्रेस भवन पहुंचे कैप्टन मंच पर नवजोत सिद्धू के बगल वाली सीट पर बैठे। यहां मंच पर पूर्व प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़, पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री रजिंदर कौर भट्‌ठल, कैप्टन की पत्नी परनीत कौर भी थीं। सिद्धू और कैप्टन एक साथ अगल-बगल में बैठे, लेकिन बातचीत नहीं की। सिद्धू की ताजपोशी कार्यक्रम के बाद कैप्टन फिरोजपुर जिले के कस्बा जीरा जाएंगे। यहां वह मोगा में हुए हादसे में मारे गए लोगों के परिजन से मिलेंगे।

गुरुवार को चंडीगढ़ आना था, ऐन मौके पर बदला कार्यक्रम
ताजपोशी के लिए सिद्धू चंडीगढ़ पहुंच चुके हैं। उनका परिवार भी उनके साथ आया है। सिद्धू और उनका परिवार पटियाला स्थित आवास से चंडीगढ़ आया। गुरुवार को होली सिटी स्थित अपनी कोठी से निकलकर सिद्धू ने पहले शहर के दो बड़े नेताओं से मुलाकात की और उसके बाद पटियाला के लिए रवाना हो गए थे। वैसे सिद्धू को सीधा चंडीगढ़ जाना था, लेकिन ऐन मौके पर कार्यक्रम बदल गया।

कड़े सुरक्षा इंतजाम
पंजाब प्रदेश कांग्रेस प्रधान के पद पर नवजोत सिद्धू की ताजपोशी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कांग्रेस के मंत्री, सांसद, विधायक, नेता और कार्यकर्ता चंडीगढ़ पहुंच रहे हैं। ऐसे में मेहमानों को कोई परेशानी न हो, इसके लिए चंडीगढ़ पुलिस द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। कांग्रेस भवन के आसपास चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात किया गया है। खुद SSP कुलदीप सिंह चहल मौके पर मौजूद रहेंगे। माहौल को देखते हुए चंडीगढ़ में धारा 144 लगा दी गई है।

सिद्धू जब तक माफी नहीं मांगते, व्यक्तिगत तौर पर नहीं मिलूंगा
CMO के सूत्रों के अनुसार, कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पार्टी के सीनियर नेताओं की बैठक में साफ कहा कि जब तक सिद्धू माफी नहीं मांगते, तब तक निजी तौर पर वे उनसे मुलाकात नहीं करेंगे। ताजपोशी पार्टी का कार्यक्रम है। मैं कांग्रेसी हूं, इसलिए जाऊंगा। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैप्टन और सिद्धू के बीच में छिड़ी जंग के दूर होने के आसार तो दिखाई दे रहे हैं, लेकिन कैप्टन माफी मंगवाने पर अड़े हैं। बता दें कि गुरुवार को नए कार्यकारी अध्यक्ष कुलजीत नागरा और संगत सिंह गिलजियां ने कैप्टन से मिलकर उन्हें कार्यक्रम का औपचारिक निमंत्रण पत्र दिया था। इस पत्र पर चारों कार्यकारी अध्यक्षों के अलावा नवजोत सिंह सिद्धू के भी हस्ताक्षर थे।

सिद्धू ने दरकिनार किए हाईकमान के पहले आदेश
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की ताजपोशी होने से पहले ही हाईकमान के आदेशों को नवजोत सिद्धू ने दरकिनार कर दिया। गुरुवार को सभी राज्यों में कांग्रेस की ओर से पैगासस जासूसी मामले में राज्यपालों को ज्ञापन देने के लिए प्रदर्शन करना था, लेकिन पंजाब में कोई प्रदर्शन नहीं किया गया। बताया जाता है कि सिद्धू ने व्यस्तता का हवाला देकर प्रदर्शन करने में असर्मथता जताई।

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