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अंतरिम अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी ने पूरा किया साल

  • सोनिया को कांग्रेस अध्यक्ष बने हुए एक साल पूरा।
  • सोनिया की दूसरी पारी में दो राज्यों में सरकार में भागीदारी।

कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर सोनिया गांधी का एक साल सोमवार को पूरा हो गया है। सोनिया के अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस ने महाराष्ट्र और झारखंड में सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई, लेकिन मध्य प्रदेश में पार्टी में राजनैतिक षड़यंत्र के चलते सत्ता गवांनी पड़ी तो राजस्थान में भी कांग्रेस को विश्वासघात से जूझना पड़ रहा है। सोनिया अपने पहले अध्यक्षीय कार्यकाल में बहुत सफल रही थीं, लेकिन अब वे 73 साल की हो चुकी हैं और अस्वस्थ होने के चलते पार्टी को भी उतना समय नहीं दे पा रही हैं, जितना पार्टी अध्यक्ष के रूप में उनसे अपेक्षित है. इसके बावजूद कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच सोनिया थोड़ी सक्रिय नजर आईं।

दरअसल, लोकसभा चुनाव में मिली हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। राहुल के इस्तीफा देने के कुछ दिन तक तो यही पता नहीं चल रहा था कि कांग्रेस में अध्यक्ष का पद किसके पास है। कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए पार्टी के कई नेताओं के नाम पर चर्चा होती रही लेकिन हफ्तों की माथापच्ची के बाद कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर फिर से सोनिया गांधी को कमान सौंप दी गई। इस तरह से सोनिया को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष रहते हुए एक साल पूरे हो गए हैं।

कांग्रेस को सत्ता में हिस्सेदार बनाया

सोनिया गांधी को पार्टी की कमान मिलने के बाद महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली और झारखंड में विधानसभा चुनाव हुए हैं। सोनिया चुनाव प्रचार में भले ही कहीं नजर नहीं आई हैं, लेकिन सत्ता का राजनीतिक समीकरण बनाने में जरूर सफल साबित हुई हैं। महाराष्ट्र में वैचारिक विरोधी शिवसेना के साथ हाथ मिलाकर सरकार बनाने में सफल रही हैं तो झारखंड में हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली सरकार में पार्टनर के रूप में है। इन दोनों राज्यों में बीजेपी की सत्ता थी, लेकिन आज कांग्रेस गठबंधन की है। हालांकि, दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कोई करिश्मा नहीं दिखा सकी है जबकि हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में चुनाव लड़ना पार्टी के लिए काफी हद तक सफल रहा। कांग्रेस 30 सीटें जीतने में सफल रही थी।

सोनिया ने बनाए कई प्रदेश अध्यक्ष

सोनिया ने यह तय किया है कि कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और बाकी नेताओं को कामकाज में ज्यादा स्वायत्तता दी जाए और हर छोटे-बड़े फैसले के लिए उन्हें 10, जनपथ का रुख न करना पड़े। उदाहरण के तौर पर, सोनिया गांधी ने उत्तर प्रदेश की सारी जिम्मेदारी प्रियंका गांधी पर छोड़ दी है। सोनिया गांधी ने कुछ अहम बदलाव भी किए है। कर्नाटक में डीके शिवकुमार, उत्तर प्रदेश में अजय कुमार लल्लू। दिल्ली में अनिल चौधरी और गुजरात में हार्दिक पटेल को पार्टी की कमान सौंपी गई है। कांग्रेस के ये ऐसे नेता हैं, जो लगातार पार्टी के लिए संघर्ष करते नजर आ रहे हैं।

कांग्रेस का ‘स्पीक-अप’ अभियान

कांग्रेस ने ‘स्पीक अप’ के जरिए कई सारे अभियान चलाए हैं। इसके तहत तेल की बढ़ती कीमतों, छात्रों के मुद्दे, भारत-चीन के बीच लद्दाख को लेकर छिड़े विवाद और हाल ही में कांग्रेस शासित राज्यों में बीजेपी के सरकार गिराने के षड्यंत्र वगैरह पर पार्टी के नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बनाए वीडियो को सोशल मीडिया पर जारी किया गया है। कांग्रेस ने इस तरह से सोशल मीडिया के जरिए सरकार को घेरने का काम किया, जिसमें पार्टी के नेता से लेकर कार्यकर्ता इस मुहिम में बराबर के भागीदार रहे।

कोरोना काल में सोनिया सक्रिय

कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच सोनिया थोड़ी सक्रिय नजर आईं। कोरोना के बढ़ते को खतरे को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन का ऐलान किया तो उस वक्त सोनिया गांधी ने सरकार द्वारा देरी से उठाए गए फैसले पर सवाल खड़े किए। कांग्रेस कार्यसमिति की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक कर उन्होंने पीएम मोदी को कोरोना से लेकर चीन के मामले तक में कुछ अहम सुझाव भी दिए। कांग्रेस ने 11 सदस्यीय सलाहकार समूह का भी गठन किया, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शामिल किया गया। इस कदम के जरिए संदेश विभिन्न अहम मुद्दों पर पार्टी ने मजबूती से अपना पक्ष रखने का काम किया।

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