आदिवासी विधायक बोले बीजेपी वाले आदिवासियों को केवल वोट बैंक समझते हैं Politics by mpeditor - August 12, 2020August 12, 20200 बीजेपी सरकार में आदिवासी समाज को केवल चुनाव के वक़्त ही याद किया जाता है। जबकि कांग्रेस के कार्यकाल में कमलनाथ के मुख्यमंत्री रहते आदिवासी समाज के उत्थान के लिए कई काम हुए। लेकिन बीजेपी सरकार में आदिवासीयों की उपेक्षा हुई है। 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाता है। लेकिन एमपी में आदिवासी दिवस पर भी बीजेपी के किसी नेता ने आदिवासी समाज को याद नहीं किया। प्रदेश में आदिवासियों की आबादी 21 फीसदी से ज्यादा है। राज्य की 47 विधानसभा सीटें आदिवासी समाज के लिए आरक्षित हैं। फिर भी आदिवासी उपेक्षित है। मुख्य रूप से आदिवासी जातियों में भील, भीलदा, गोंड, सहरिया, बैगा, कोरकू, भारिया, हल्बा, कौल और मरिया की बड़ी आबादी है। राजनीतिक प्रभाव प्रदेश में आदिवासियों की आबादी 21 फीसदी से ज्यादा है, इसलिए दोनों प्रमुख सियासी दल इनको साधने के जतन करते हैं। यह जनजातियां दस से ज्यादा लोकसभा सीटों को सीधे तौर पर प्रभावित करती हैं। प्रदेश में आदिवासी 89 आदिवासी बाहुल्य विकासखंड प्रदेश में50.50 लाख विशेष पिछड़ी जाति परिवार सूबे में21 फीसदी आदिवासी आबादी मानी जाती प्रदेश में20 जिलों में आदिवासी संख्या ज्यादा04 एससी लोकसभा सीटें06 एसटी-लोकसभा सीट 2016 के रेकॉर्ड के मुताबिक प्रदेश के 2,314 गांवों में 50.50 लाख विशेष पिछड़ी जनजाति के परिवार निवास करते हैं। कांग्रेस में था आदिवासी का सम्मान बीजेपी में है उपेक्षा एमपी में आदिवासी समाज उपेक्षित है कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने आदिवासी बेल्ट के लिए काम किए लेकिन बीजेपी यह वर्ग उपेक्षित है । आदिवासी समाज के लिए सरकार ने इस दिन भी कुछ नहीं किया । – डॉ हीरा अलावा विधायक जयस