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मुख्यमंत्री शिवराज का चीनी कम्युनिस्ट पार्टी शासित सरकार से गहरे-नजदीकी संबंध, जांच क्यों नहीं ? : के.के. मिश्रा

भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित महत्वपूर्ण पत्रकार वार्ता में अरूणाचल प्रदेश के तवांग में 300 से अधिक चीनी सैनिकों द्वारा 17000 फीट ऊंची चोटी पर घुसपैठ की कोशिश को नाकाम किये जाने की घटना पर भारतीय सेना को धन्यवाद और बधाई देते हुये भाजपा, आरएसएस और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी व उसकी सरकार से गहरे-नजदीकी संबंधों की सूक्ष्म जांच कराये जाने की मांग की है। क्योंकि यह मामला देश की अस्मिता, आंतरिक सुरक्षा और कथित आर्थिक लेनदेन से जुड़ा हुआ है। इन स्थितियों में भाजपा की कथित देशभक्ति, छद्म राष्ट्रवाद और सरहदों पर अपनी जान की बाजी लगाने वाले भारतीय सेना के प्रति उनके दृष्टिकोण पर प्रश्नचिन्ह उपस्थित हो रहा है?


इस गंभीर आरोप के साथ श्री मिश्रा ने प्रामाणिक साक्ष्यों के साथ भाजपा और प्रदेश के मुखिया पर कई सवालिया प्रश्न दागे हैं। उन्होंने कहा कि एक ओर प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री और गृहमंत्री देश के राजनैतिक सेनाध्यक्ष के रूप में अरूणाचल घटना को अपनी ऐतिहासिक सफलता और कूटनीतिक सफलता का दावा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मप्र के मुखिया शिवराजसिंह चौहान 26 जून 2016 को शाम 6.06 बजे अपने अधिकृत ट्वीटर हेंडल से एक ट्वीट कर चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी और भाजपा में जबरदस्त साम्यता बताते हैं! यही नहीं वे 19 जून 2016 से 23 जून 2016 तक मप्र में चीनी निवेश को लेकर अपनी राजनैतिक यात्रा सार्वजनिक कर वहां जाते हैं, ताकि चीनी उद्योगपति भारत में अपने निवेश कर सकें! दूसरी तरफ भाजपा और आरएसएस देश में स्वदेशी वस्तुआंे के उत्पादन और उपयोग के लिए न केवल आंदोलन चलाती है, बल्कि चीन निर्मित वस्तुओं के बहिष्कार का आव्हान भी करती है, यह दोहरा चरित्र क्यों?


मिश्रा ने यह भी कहा कि कथित तौर पर संपन्न इस राजनैतिक यात्रा में मुख्यमंत्री ने बीजिंग में 20 जून, 2016 को व्यापारिक सेमीनार ‘‘मप्र में निवेश’’ विषय पर भी संबोधित किया था, इसका उद्घाटन चीन के चेम्बर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष झांग यूजिंग द्वारा किया गया था। जहां मुख्यमंत्री चीनी कंपनियों के प्रमुखों से भी मिले थे। कहा जा रहा है कि यह उनकी सरकारी यात्रा थी। अब यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि मुख्यमंत्री द्वारा फैलाये गये झूठ का पर्दाफाश उन्हीं की सरकार के प्रवक्ता एवं मौजूदा गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने 01 जुलाई, 2016 को संपन्न अपनी पत्रकार वार्ता मंे कर दिया, जिसमें उन्होंने यहां तक कहा दिया कि मुख्यमंत्री की चीन यात्रा का खर्च चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने ही उठाया? इस स्थिति में मुख्यमंत्री और उनके चीनी रिश्तों की जांच अब तक क्यों नहीं हुई? क्या प्रचारित की जा रही इस सरकारी यात्रा जो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के खर्च पर संपन्न हुई थी, उस दौरान कुछ आर्थिक लेनदेन भी हुये क्या? यदि हुये तो विदेशी धन को लेकर फेरा, आईटी, ईडी और भाजपा के अनुषांगिक संगठन सीबीआई ने क्या इसकी जांच की? विदेशी निवेश के नाम पर चीन का कितना धन भारत और मप्र में आया?


यहां यह भी प्रासंगिक है कि अरूणांचल के तवांग में घुसपैठ करने वाली पीपुल्स लिवरेशन आर्मी चीनी कम्युनिष्ट पार्टी के इशारे पर ही कार्य करती है? श्री मिश्रा ने यह भी गंभीर आरोप लगाया कि शिवराज सिंह चौहान ही नहीं, भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष और मौजूदा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह 2009 में, दूसरे अध्यक्ष नितिन गडकरी 2011 में और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे राममाधव भी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के ही निमंत्रण पर चीन की यात्रा कर चुके हैं। ये किस राजनैतिक चरित्र की द्योतक हैं? एक ओर भाजपा-संघ कबीला धर्म, हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का पाखंड करता है, वहीं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की संपन्न भारत यात्रा के दौरान तमिलनाडु के महाबलीपुरम के देवादिदेव भगवान शिव के विख्यात मंदिर में 11 अक्टूबर 2019 को उन्हें मंदिर परिसर में रात्रि भोज के समय मांसाहार परोसा गया, जो सनातन परंपरा के विपरीत होकर करोड़ों हिन्दुओं की आस्था और भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला छल है। क्या संघ-भाजपा अपने इस कुकृत्य के लिए वास्तविक राष्ट्रवादियों एवं करोड़ों हिन्दुओं से सार्वजनिक माफी मांगेगी?

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