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बुरहानपुर के कपड़ा उद्योग में प्रदर्शन

बुनकरों की हड़ताल, हजारों के सामने रोजी-रोटी का संकट

बुरहानपुर – बुरहानपुर में पावरलूम बुनकरों की हड़ताल से डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों के सामने अब रोजी-रोटी का संकट गहराएगा। इसमें बड़ा वर्ग मजदूर पेशा है, जो हर दिन कमाकर खाता है। पावरलूम नहीं चलने से सिर्फ मशीन चलाने वाले मजदूर ही प्रभावित नहीं होंगे, इससे जुड़े कई और मजदूर वर्ग और टेक्सटाइल में काम करने वाले कारीगर भी प्रभावित होंगे, क्योंकि कच्चा माल तैयार नहीं होने से टेक्सटाइल के संचालन में भी परेशानी आने वाली है।
जिन टेक्सटाइल संचालकों के खुद के कारखाने हैं, उन्हें परेशानी कम होगी। पावरलूम की एक मशीन से दिनभर में 100 मीटर कपड़ा औसतन तैयार होता है। इस हिसाब से 50 लाख मीटर के आसपास कपड़ा तैयार होता है। अब यह पूरी तरह बंद हो गया है।
पावरलूम बुनकर मजदूरी बढ़ाने की मांग को लेकर पिछले एक सप्ताह से विरोध कर रहे हैं। यह हड़ताल पावरलूम मजदूर और इस उद्योग से जुड़े लोगों के लिए बड़ी परेशानी साबित होगी। पावरलूम कारखाने में मशीन चलाने वाले मजदूर के अलावा कांडी भरने वाले, हम्माल, मुकादम, फोल्डिंग, कटला मिस्त्री को भी रोजगार मिलता है।
टेक्सटाइल में कच्चा माल नहीं मिलने से यहां भी काम बंद हो जाएगा। ऐसे स्थिति में उद्योग नगर में 70% कपड़ा कारखाने बंद होने की स्थिति में आ जाएंगे। इससे पहले साल 2017 में मजदूरी बढ़ाने को लेकर हड़ताल हुई थी। छह दिन की हड़ताल में पावरलूम बुनकरों के साथ टेक्सटाइल भी बंद हो गई थी। इस बार भी हड़ताल लंबी चली, तो मजदूर वर्ग के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा।

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